कंगना रनोट की बोल्डनेस और बेबाकी से तो सभी वाकिफ हैं। हाल ही में मिड-डे के साथ खास इंटरव्यू में उन्होंने अपनी लाइफ जर्नी और थाॅट्स के बारे में खुलकर बात की...


features@inext.co.inKANPUR : आपने पहले भी कई बार मेंशन किया है कि आपकी लाइफ जर्नी फर्श से अर्श वाली रही है। इससे आपका क्या मतलब है? हिमाचल में लोगों के बीच बहुत इक्वैलिटी और न्यूट्रैलिटी है। वहां बहुत कुछ एक्सपेंसिव नहीं है तो भिखारी भी नहीं हैं। दुनिया की रिएलिटी क्या है, ये मुझे दिल्ली और मुंबई आने के बाद पता चला। यहां स्लम भी थे तो फाइव-स्टार होटेल भी। उस वक्त मेरे पेरेंट्स दिल्ली में मेरा रेंट भी नहीं पे कर सकते थे। उनके अपने थॉट्स थे। उन्होंने लड़कियों के मिसयूज और उनके पॉर्न एक्टर्स बनने की कहानी सुनी थी। फैक्ट यही है कि दस साल पहले वो मेरा 20000 रुपये का रेंट नहीं पे कर सकते थे। पर ये तो हर कॉमन मैन का परसेप्शन होता है। हां, और ये इस इंडस्ट्री में कॉमन भी है। यहां आकर ऐसा लगा जैसे मैं जाल में फंस गई हूं।


इसका क्या मतलब है?

लोग मिले और उन्होंने मुझे गाइड और हेल्प करने का प्रॉमिस भी किया लेकिन मुझे घर में बंद कर दिया गया। फिर पहलाज निहलानी ने मुझे लव यू बॉस नाम की फिल्म ऑफर की। इसके फोटो शूट में मुझे सिर्फ एक रोब पहनना था। ये एक सॉफ्ट-पॉर्न टाइप का ही कैरेक्टर था। फिर मुझे लगा कि मैं ये नहीं कर सकती, ये वैसा ही था जैसा मेरे पेरेंट्स ने सोचा था। तो आपने वो फोटोशूट किया?हां किया लेकिन फिर मैं गायब हो गई। मैंने अपना नंबर बदल दिया। उस दौरान मैं ऑडिशंस दे रही थी। तभी मुझे अनुराग बसु की गैंगस्टार और पोकिरी जैसी फिल्में मिल गईं। मैंने गैंगस्टर को चुना और ये हिट हो गई थी। उस दौरान क्या आपने मी टू मूवमेंट जैसा कुछ फेस किया था?बिल्कुल नहीं। अगर मैं ऐसे किसी प्रॉब्लम में फंसती भी तो इसकी जिम्मेदार मैं ही होती। अपनी कंटेंप्रेरीज के कंपैरिजन में आप मूवी बफ नहीं रही हैं। ऐसा क्यों?मैं इस प्रोफेशन में अचानक ही आई हूं। उस वक्त मेरी जरूरत थी खुद को ढूंढना जो मैं अभी भी एक्सप्लोर कर रही हूं। पहले भी मेरे लिए पैसा और शोहरत इतने इंपॉर्टेंट नहीं थे। ये लोग मेरी च्वॉइसेज में भी देख सकत  हैं। मैं सोशल मीडिया पर नहीं हूं और न ही कभी फिल्मों की फैन रही हूं। आज भी जब मुझे स्टडी के लिए फिल्म देखने के लिए कहा जाता है तो मुझे बहुत एफर्ट करना होता है। बिना फिल्में देखे आप खुद को एक्टिंग के लिए कैसे प्रिपेयर करती हैं?

मैं ये नहीं कहूंगी कि मैं सेल्फ-टॉट एक्टर हूं। बस मैं क्यूरियस हूं और सीखते रहना चाहती हूं। जब मैंने थिएटर सीखा था तो मेरे मेंटर अरविंद गौर ने मुझे कॉन्फिडेंस दिया। जब मैं अनुराग बसु से मिली थी तो उन्होंने कहा था, मैं कई यंग एक्टर्स से मिला हूं और उनमें से कई स्टार बन गए हैं। लेकिन कम ही लोग अपनी फीलिंग्स और थॉट्स को एक्सप्रेस कर पाते हैं। तुम में ये एबिलिटी है। वह मुझे एक इमोशन देते थे और माइंड में रिपीट करने के लिए कहते थे जो मेरे चेहरे पर झलकता था। बस मैं अभी भी इस प्रोसेज को फॉलो करती हूं।  जनरली लोगों के लिए डायरेक्शन प्लान बी होता है लेकिन आप तो इसे शुरू कर चुकी हैं जबकि आप अपने गेम के टॉप पर हैं। डायरेक्टर्स को मेनस्ट्रीम हीरोज की तरह होना चाहिए जैसे कि हॉलीवुड में होता है। फिल्ममेकिंग छोटा काम तो नहीं है। मैं अननेसेसरी अटेंशन नहीं चाहती कि शादियों में डांस करूं या फेयरनेस क्रीम एंडोर्स करूं। मैं अपने काम के जरिए अपने आइडियाज एक्सप्रेस करना चाहती हूं।

Posted By: Satyendra Kumar Singh