बॉलीवुड स्टार प्रियंका चोपड़ा के लिए पिछला हफ़्ता बेहद ख़ास रहा। प्रियंका को इस बार ऑस्कर अवार्ड सेरेमनी के रेड कारपेट पर चलने का मौक़ा मिला।


यूं तो प्रियंका ने ख़ुद कोई अवार्ड नहीं जीता, मगर कैमरों की चमकती फ़्लैशलाइट्स के बीच प्रियंका को इस बार ऑस्कर अवार्ड समारोह में बेस्ट एडिटिंग का अवार्ड देने का मौक़ा ज़रूर मिला।किसी भारतीय अभिनेत्री के लिए ये बड़ी कामयाबी थी। ऑस्कर में इंडिया की एंट्री हुई। हालांकि हॉलीवुड में भारतीय कलाकार बहुत पहले से काम कर रहे थे, मगर किसी भारतीय कलाकार को अवार्ड समारोह में अवार्ड देने का मौक़ा पहली बार मिला था। ये एक तरह से दुनिया के सबसे बड़े फ़िल्म अवार्ड समारोह का भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री को सलाम था।वैसे भी इस बार ऑस्कर में गोरों की बहुतायत का विवाद ख़ूब चर्चा में रहा। ट्विटर पर #OscarSoWhite ट्रेंड चला। निर्देशक स्पाइक ली और एक्ट्रेस जाडा पिंकेट स्मिथ ने अवार्ड समारोह का बायकॉट किया।
सेलेब्रिटी सलाहकार सुहेल सेठ कहते हैं कि दुनिया में भारत का दर्जा बढ़ रहा है। भारतीय मूल के लोग दूसरे देशों में कामयाबी के झंडे लगा रहे हैं। उनके पास पैसे हैं। ऐसे ही लोगों के बाज़ार का फ़ायदा उठाने में जुट गया है हॉलीवुड। इसीलिए भारतीय कलाकारों को आज ज़्यादा मौक़े दिए जा रहे हैं। क्योंकि कामयाब भारतीयों का अच्छा ख़ासा बाज़ार खड़ा हो गया है मनोरंजन उद्योग के लिए। इस बाज़ार में पैठ बनाने के लिए ज़रूरी है कि हॉलीवुड फ़िल्में, मशहूर भारतीय कलाकारों को अपने साथ जोड़ें।इसके अलावा, भारत में भी अंग्रेज़ी बोलने वालों का अच्छा ख़ासा तबक़ा है। इस तबक़े को अमरीकी-यूरोपीय ज़िंदगी में दिलचस्पी है। वहां के बैकग्राउंड वाली फ़िल्में देखना हिंदुस्तानियों का ये तबक़ा पसंद करता है। इन लोगों को टारगेट करने के लिए भी हॉलीवुड में भारतीय कलाकारों को मौक़े दिए जा रहे हैं।ख़ुद भारत में हर साल हज़ार से ज़्यादा फ़िल्में बनती हैं। बाज़ार पर नज़र रखने वाली संस्था केपीएमजी के मुताबिक भारत में टीवी और फ़िल्मों के मनोरंजन उद्योग का बाज़ार 2019 में क़रीब 29 अरब डॉलर का हो जाएगा। अगले कुछ सालों में ये बाज़ार और बढ़ने वाला है। सवा सौ करोड़ की आबादी वाले देश में लोगों में तरह-तरह की फ़िल्मों और टीवी शो की भारी डिमांड है। जानकार कहते हैं कि अगले दस सालों में मनोरंजन का ये कारोबार बीस से पचास गुना तक बढ़ने जा रहा है।इसी तरह अभिनेता अनिल कपूर, चर्चित अमरीकी सीरियल 24 में दिखे। सिर्फ़ अमरीका ही नहीं, नेट के ज़रिए बाक़ी दुनिया में भी दर्शकों ने इन्हें देखा और सराहा।


इरफ़ान ख़ान कहते हैं कि पहले हॉलीवुड में भारतीय किरदारों को बड़े बेहूदा तरीक़े से दिखाया जाता था। अक्सर खिल्ली उड़ाने वाले अंदाज़ में। लेकिन अब दौर बदल चुका है। हॉलीवुड को आगे बढ़ने में भारत एक सीढ़ी के तौर पर दिखाई देता है। इरफ़ान ख़ान के मुताबिक़, भारत से पहले हॉलीवुड के लिए चीन बड़ा बाज़ार था। वहां के लोगों, कलाकारों, किरदारों और कहानियों पर ज़ोर था। आज वक़्त भारत का है।इरफ़ान ख़ान की फ़िल्मों 'स्लमडॉग मिलियेनेयर' और 'द नेमसेक' की वजह से ही दुनिया का ध्यान भारत की तरफ़ गया। इरफ़ान कहते हैं कि इन फ़िल्मों की कामयाबी से हॉलीवुड को भारत में बड़ा बाज़ार नज़र आने लगा। इसी वजह से वो भारतीय कलाकारों और भारतीय कहानियों को अहमियत देने लगे।हालांकि सुहेल सेठ कहते हैं कि हॉलीवुड में भारतीय कलाकारों को पैसे भले कम मिलते हो, शोहरत ख़ूब मिलती है। उनकी ब्रैंड वैल्यू बढ़ जाती है, जिसकी मदद से वो दूसरी जगह ज़्यादा पैसे कमा सकते हैं, बेहतर रोल हासिल कर सकते हैं।

दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा के हॉलीवुड में बड़े और ताक़तवर एजेंट हैं। ये उन्हें अच्छे रोल, बड़ी फ़िल्में और अच्छा पैसा पाने में मदद करते हैं। जैसे प्रियंका चोपड़ा को अमरीकी सीरियल क्वांटिको के लिए चालीस लाख डॉलर या क़रीब सत्ताईस करोड़ रुपए मिले, जबकि भारतीय फ़िल्मों में प्रियंका को इसका एक चौथाई ही मेहनताना मिलता है।अमरीकी टीवी सीरियल्स में कुछ भारतीय कलाकार हैं जो करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। जैसे कुणाल नैय्यर। दुनिया के सबसे ज़्यादा कमाई करने वाले टीवी कलाकारों में वो तीसरी पायदान पर हैं, यानी आज भारतीय कलाकार भी जमे हुए हॉलीवुड कलाकारों को चुनौती दे रहे हैं।

Posted By: Satyendra Kumar Singh