खबर है कि शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने महाराष्‍ट्र सरकार को सख्‍त निर्देश दिए हैं। इस क्रम में बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने कहा है कि धार्मिक जगह पर किसी भी तरह का लैंगिक भेदभाव नहीं होना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि ये महिलाओं का मूल अधिकार है। इसके साथ ही पूजा स्‍थल सभी हिंदू वर्ग और समुदायों के लिए खुले हैं।

ऐसी है जानकारी
महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट को कहा है कि वह किसी भी लैंगिक भेदभाव के खिलाफ है और महाराष्ट्र हिंदू प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट को लागू करेगी। चीफ जस्टिस डीएच वघेला और जस्टिस एमएस सोनक की डिवीजन बेंच ने निर्देश दिए हैं कि सरकार एक्ट को लागू करने के लिए सभी तरह के जरूरी कदम उठाए। उन्होंने इसको महिलाओं के मूलभूत अधिकारों में बताया। इसके साथ ही ये भी कहा कि सरकार का ये कर्तव्य है कि वह उनके अधिकारों की रक्षा करे।     
400 साल पुरानी है परंपरा
बताते चलें कि अहमदनगर स्थित प्रसिद्ध शनि शिंगणपुर मंदिर में महिलाओं के न प्रवेश करने की परंपरा अब से करीब 400 साल पुरानी है। इसी परंपरा को अब कोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट ने महिलाओं के पक्ष में सरकार को इस बात का निर्देश दिया है कि वह इस मामले पर पूरी तरह से नजर रखें। ऐसा इसलिए ताकि महिलाएं मंदिर परिसर में जाकर पूजा कर सकें।
याचिकाकर्ता का ये है कहना
इस बारे में याचिकाकर्ता नीलिमा वर्तक कहती हैं कि कोर्ट का निर्देश्ा महाराष्ट्र में किसी भी पूजा स्थल में किसी को प्रवेश करने से नहीं रोकता है। इसके तहत इस बात का अनुमान लगाया जा रहा है कि मुंबई स्थित हाजी अली दरगाह में भी महिलाओं के प्रवेश करने का रास्ता अब साफ हो गया है, लेकिन हाजी अली से संबंधित याचिका अभी भी लंबित है।

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Posted By: Ruchi D Sharma