-फर्टिलाइजर्स के कारण बढ़ रही जननांगों की दिक्कत

-एसजीपीजीआई मं इंटरनेशनल पीडियाट्रिक एंड एडोलीसेंट यूरोलॉजी वर्कशॉप आज से

LUCKNOW: संजय गांधी पीजीआई में हर वर्ष लगभग 10 से 12 ऐसे ऑपरेशन होते हैं जिनमें बायोलॉजिकली लड़का से लड़की या लड़की से लड़का बनाय जाता है। ज्यादातर केसेज में पैरेंट्स लड़का ही पसंद करते हैं भले ही शरीर के अंदर अंग लड़की के हो। एसजीपीजीआई में पीडियाट्रिक यूरोलॉजिस्ट डॉ। एमएस अंसारी ने दी।

हार्मोनल गड़बड़ी से हुई दिक्कत

डॉ। अंसारी ने बताया कि हार्मोन में गड़बड़ी के कारण एक हजार में 4 से 5 बच्चे ऐसे होते हैं जिनके जननांगों में गड़बड़ी होती है। जिन्हें ऑपरेशन के द्वारा ठीक कर दिया जाता है ताकि बच्चे की फिजिकल अपीयरेंस ठीक रहे और वह सामान्य लोगों की तरह जिंदगी बिता सके। उन्होंने बताया कि ज्यादातर बच्चे अंदर से लड़की और बाहरी अंगों से लड़का होते हैं। लेकिन बाहर से दिखने के आधार वे लड़कों की तरह रहते हैं और फिर उनके पैरेंट्स भी नहीं चाहते कि उन्हें लड़की बनाया जाए। डॉ। अंसारी ने बताया कि काउंसलिंग और आवश्यक जांचों के बाद सर्जरी कर दिक्कत को ठीक कर दिया जाता है। लेकिन लड़का बनाने के बाद वो जिंदगी भर संतान पैदा नहीं कर सकते। जबकि लड़की बनने में वे संतान को जन्म दे सकते है। लड़का बनाने पर जिंदगी भर हार्मोन थेरेपी भी देनी पड़ती है।

फर्टिलाइजर्स के कारण हो रही दिक्कत

डॉक्टर्स के मुताबिक जननांगों में गड़बड़ी में फर्टिलाइजर्स का बड़ा रोल है। सब्जियों और फलों को बिना ठीक से धोए खाने पर ये खतरा होता है। ये फर्टिलाइजर्स ही क्रोमोसोम तक में गड़बड़ी करते हैं।

हाइपोस्पेडियास का हो सकता है ऑपरेशन

डॉक्टर्स के मुताबिक बहुत से बच्चों में पैदायशी यह दिक्कत होती है कि पेशाब का रास्ता ठीक जगह नहीं बना होता है। जिसे समय पर ऑपरेशन कर पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।

कांफ्रेंस आज से

डॉ अंसारी ने बताया कि इंटरनेशनल पीडियाट्रिक एंड एडोलीसेंट यूरोलॉजी वर्कशाप का आयोजन 3 से 5 मार्च तक किया जाएगा। जिसमें देश विदेश के एक्सप‌र्ट्स बड़ी संख्या में भाग ले रहे हैं।

Posted By: Inextlive