-मोहन भागवत ने किया 'भारत रत्न : लाल बहादुर शास्त्री' पुस्तक का किया विमोचन

-रामनगर में आयोजित कार्यक्रम में बोले, संस्कार से बनेगा भारत विश्व गुरु

VARANASI : 'मनसा वाचा कर्मणा' एक थे शास्त्रीजी। उनकी ख्याति प्रधानमंत्री बनने के कारण नहीं बल्कि कर्म और सात्विकता के कारण दुनिया उन्हें पूजती है। ये बातें गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने कहीं। रामनगर के बटाऊबीर स्थित वाटिका में 'भारत रत्न : लाल बहादुर शास्त्री' पुस्तक का विमोचन करते हुए उन्होंने कहा कि आचरण और संस्कार के बल पर ही भारत 'विश्वगुरु' बन सकता है। इस दिशा में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का आचरण और संस्कार को 'धारण' करना चाहिए।

अनछुए पहलू आए सामने

संपादिका डॉ। नीरजा माधव ने पुस्तक में निहित तथ्यों के बारे में बताया। इसमें शास्त्रीजी के अनछुए पहलुओं का जिक्र तो है ही शास्त्रीजी के बारे में अन्य मनीषियों के विचार भी संकलित हैं। अध्यक्षता करते हुए शास्त्रीजी के पुत्र सुनील शास्त्री ने संस्मरण सुनाएं। बताया जब पाकिस्तान से युद्ध हुआ था तब वे अपने पिता शास्त्रीजी के साथ घायल जवानों से मिलने पहुंचे थे। मेजर भूपेंद्र सिंह का बदन छलनी हो गया था। शास्त्रीजी ने सिर पर हाथ फेरा तो मेजर की आंखों से आंसू निकल पड़े। यह देख शास्त्रीजी ने कहा कि भारतीय सैनिक की आंखों में आंसू नहीं आने चाहिए। यह सुनकर मेजर ने कहा था कि आंसू मौत के भय से नहीं बल्कि मैं कितना दुर्भाग्यशाली हूं कि मेरे प्रधानमंत्री मेरे सामने खड़े हैं और मैं उन्हें सैल्यूट नहीं कर पा रहा हूं। यह सुनकर शास्त्रीजी भी फूट-फूटकर रो पड़े थे। जन जागरण समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रम में भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष लक्ष्मण आचार्य, सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त, प्रो। श्रद्धानंद, प्रो। टीएम महापात्रा, कश्मीरी लाल, प्रो। केके मिश्रा, प्रो। पीएन सिंह, संजय प्रधान, डॉ। हेमंत गुप्ता, मनोज कुमार शाह, आदित्य कुमार गुप्ता, रोहित पाठक, नागेंद्र द्विवेदी सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित थे। सुबह महमूरगंज स्थित प्रांत कार्यालय के सामने लगने वाली केशव शाखा में शामिल हुए। मोहन भागवत ने संघ के क्षेत्र प्रचारक शिव नारायण, प्रांत प्रचारक अभय जी, जिला प्रचारक कृष्ण चंद्र आदि पदाधिकारियों संग गोपनीय बैठक की।

Posted By: Inextlive