- स्मार्टफोन एप के जरिये बुकी-पंटर कर रहे थे करोड़ों का वारा-न्यारा

- एसटीएफ ने कानपुर व वाराणसी में छापेमारी कर आईपीएल बेटिंग एक्सचेंज गैंग का किया राजफाश, आठ अरेस्ट

- लंदन की एप से तय होते थे रेट, हवाला के जरिए होता था लेनदेन

- 08 बुकी और पंटर को किया गया अरेस्ट

- 30 लाख रुपए मौके से बरामद

- 36 मोबाइल फोन भी बरामद

- 05 लैपटॉप का किया जा रहा था यूज

- 02 बेटिंग एक्सचेंज बॉक्स मिले

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LUCKNOW: ऑरेंज नाम की एंड्रायड एप, आईपीएल मैचों में खेल रही टीमों व खिलाडि़यों के मिनट-मिनट पर बदलते रेट, उस पर बेटिंग कन्वर्सेशन बॉक्स के जरिए लगता सट्टा, करोड़ों के लेनदेन के लिये हवाला का सहारा..सट्टेबाजी का ऐसा फुलप्रूफ और स्मार्ट तरीका कि सुरक्षा एजेंसियां भी सटोरियों तक पहुंचने में चकरा जाएं. पर, यूपी एसटीएफ की टीमों ने इस स्मार्ट तरीके को भी आखिर भेद ही डाला. वाराणसी और कानपुर में बुधवार को की गई छापेमारी में टीमों ने ऑनलाइन एप के जरिए करोड़ों का वारा-न्यारा कर रहे आठ बुकी व पंटरों को दबोच लिया. टीमों ने मौके से 30 लाख रुपये से ज्यादा की नकदी, 275 दिरहम, दो बेटिंग कन्वर्सेशन एक्सचेंज बॉक्स, 36 मोबाइल फोन, पांच लैपटॉप व अन्य सामान बरामद किया है.

कानपुर व वाराणसी में एक्टिव था गैंग

एसएसपी एसटीएफ अभिषेक सिंह ने बताया कि आईपीएल मैचों में ऑनलाइन सट्टेबाजी के इंटेलिजेंस इनपुट पर टीमों को एक्टिव किया गया था. पड़ताल में पता चला कि कानपुर और वाराणसी में आईपीएल मैचों में बेटिंग करने वाला ऑर्गेनाइज्ड गैंग एक्टिव है. इस गैंग का सरगना कानपुर निवासी जितेंद्र उर्फ जीतू है. यह भी जानकारी मिली कि गैंग के लोग कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज, फतेहपुर, आगरा आदि शहरों में जगह बदल-बदल कर बेटिंग का काम कर रहे हैं. इस इनपुट पर डिप्टी एसपी प्रमेश शुक्ला के नेतृत्व में टीमों ने कानपुर के नौबस्ता इलाके में स्थित एक मकान में छापेमारी कर वहां मौजूद फतेहपुर निवासी आशीष शिवहरे, कानपुर के किदवईनगर निवासी सुमित मिश्र, मोहित शिवहरे, जितेंद्र कुमार शिवहरे और हिमांशु शिवहरे को अरेस्ट कर लिया. टीम ने मौके से 2.78 लाख रुपये नकद, दो बेटिंग कनवर्सेशन बॉक्स, पांच लैपटॉप, तीन टीवी, 30 मोबाइल फोन, बेटिंग के हिसाब के चार रजिस्टर, एक फॉच्र्यूनर व एक मर्सिडीज बेंज कार बरामद की.

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वाराणसी में थी फ्रेंचाइजी

कानपुर के साथ ही एसटीएफ की दूसरी टीम ने इंस्पेक्टर विपिन राय की टीम ने लंका के मुस्लिम बस्ती इलाके में स्थित मकान में छापेमारी कर वहां मौजूद सुंदरपुर निवासी अशोक सिंह उर्फ चाचा, महेशपुर निवासी सुनील पाल और साकेतनगर मुस्लिम बस्ती निवासी विक्की खान को अरेस्ट कर लिया. टीम ने मौके से 27.75 लाख रुपये नकद, छह मोबाइल फोन और बेटिंग के हिसाब की डायरी बरामद की. पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि वे जितेंद्र उर्फ जीतू के लिये काम करते हैं और उसी के लिये वाराणसी और आसपास के जिलों के लोगों से सट्टा लगवाते थे. हर मैच के बाद इकट्ठा हुई रकम को वे अपना कमीशन काटकर हवाला के जरिए कानपुर भेज देते थे.

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कन्वर्सेशन बॉक्स से बुकी-पंटरों के मोबाइल कनेक्ट

आरोपियों ने बताया कि मुंबई में अमन नाम के बड़े बुकी के जरिये उन्होंने लैपटॉप पर ऑरेंज नाम का लाइव एप डाउनलोड कर रखा है. लंदन की कंपनी के इस एप पर बेट प्राइज दिखाई देता है. इस एॅप में जो बेटिंग रेट दिखता है, उसे बुकी कन्वर्सेशन बेटिंग बॉक्स में लगे माइक से अनाउंस करता है. इस बॉक्स से कई बुकीज व पंटरों के मोबाइल फोन ऑनलाइन कनेक्ट होते हैं, जो इस भाव को सुनकर अपनी बेट लगाते हैं. बॉक्स में लगे स्पीकर के जरिए मुख्य बुकी व अन्य बुकी की आवाज को सुनता है और कन्वर्सेशन ऑटोमैटिकली रिकॉर्ड होता है. बेट में लगी रकम को लेकर विवाद की स्थिति में कन्वर्सेशन बॉक्स की रिकॉर्डिग को सुनकर निपटारा किया जाता है.

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इस तरह लगते हैं भाव

एसएसपी सिंह ने बताया कि अगर कन्वर्सेशन बॉक्स में 42/44 भाव अनाउंस किया गया तो इसका मतलब है कि कि फेवरिट यानी जिताऊ टीम को 42 व उसकी अपोजिट टीम 44 का रेट दिया गया है. अगर किसी ने फेवरिट टीम पर एक लाख रुपया लगाया तो बेट जीतने पर उसे 42 हजार रुपये मिलेंगे और हारने पर उसे एक लाख रुपये अदा करने होंगे. वहीं, अगर अपोजिट टीम पर एक लाख रुपये की बेट लगाए जाने पर अगर कोई हारता है तो उसे 44 हजार रुपये देने पड़ेंगे और अगर वह जीतता है तो उसे एक लाख रुपये मिलेंगे. बताया कि छोटे बुकी द्वारा 42/44 के रेट पर लगाई गई बेट के पसैे से ही उसके ऊपर वाला बुकी अगर 43/45 के रेट से बेट लगाता है तो जीतने की दशा में उसे अपने नीचे वाले शख्स को 42 हजार रुपये देने पड़ेंगे और उसे 43 हजार रुपये हासिल होंगे. इस तरह अपने छोटे बुकी के पैसे से ही उसके ऊपर वाले बुकी द्वारा एक हजार रुपये का फायदा कटिंग कहलाता है.

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दुबई में हासिल की महारथ

एसएसपी अभिषेक सिंह ने बताया कि जांच में पता चला है कि गैंग का सरगना जितेंद्र उर्फ जीतू वर्ष 1997 से 2006 तक दुबई में रहकर ट्रेडिंग कंपनी चलाता था. वहीं पर उसने बेटिंग कारोबार में महारथ हासिल की. इस गोरखधंधे से हासिल रकम से उसने मुंबई्र, लखनऊ, फतेहपुर और कानपुर में महंगे मकान और फ्लैट खरीदे. इतना ही नहीं उसने फतेहपुर में आश्रम पेट्रोलियम के नाम से पेट्रोल पंप भी स्थापित किया. उन्होंने बताया कि जीतू की आमदनी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह मर्सिडीज, फॉच्र्यूनर व वर्ना जैसे महंगी गाडि़यों में घूमता है. महंगे होटलों में ठहरने व देश-विदेश घूमने का शौकीन जीतू फिलवक्त वाराणसी निवासी अजय सिंह व अपने साले आशीष शिवहरे के साथ पार्टनरशिप में यह धंधा संचालित कर रहा था. जीतू से दिल्ली, मुंबई, अजमेर, आगरा, रायपुर, लखनऊ, फतेहपुर, वाराणसी व कानपुर के बुकी जुड़े हुए थे.

Posted By: Kushal Mishra