-सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट की नजर में हैं स्कूल-कॉलेज

-शिक्षा के नाम पर दुकानदारी करने वालों पर होगी कार्रवाई

-एडमिशन फॉर्म के प्रकाशन का भी लिया जाएगा हिसाब-किताब

VARANASI

विद्या मंदिर को कमर्शियल प्लेस बनाने वाले स्कूल-कॉलेज पर सेल्स टैक्स की नजर टेढ़ी हो गई है। शिक्षा के नाम पर यूनीफार्म, बुक्स, स्टेशनरी सहित अन्य सामानों की दुकानदारी करने वालों पर सीधे कार्रवाई के मूड में है। डिपार्टमेंट शहर के उन स्कूल्स की लिस्ट बना रहा है जहां से चोरी-छिपे यूनीफार्म-बुक्स की बिक्री हो रही। यही नहीं, स्कूलों से एडमिशन फॉर्म के प्रकाशन का भी हिसाब-किताब लिया जाएगा। इस पर भी टैक्स वसूला जाएगा। फर्म का पंजीयन भी जांचा जाएगा। यदि फर्म फर्जी मिली या कोई खेल नजर आया तो टैक्स अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस कार्रवाई में स्कूल प्रबंधन को भी लपेटे में लिया जाएगा।

सब कमीशन का खेल

एक अप्रैल से स्कूलों में नया सेशन शुरू हो रहा है। बच्चों के लिए उनके पेरेंट्स को कॉपी-किताब से लेकर यूनिफार्म आदि सबका इंतजाम करना होगा। इस मौके का फायदा उठाकर मोटा मुनाफा कमाने के लिए स्कूल प्राइवेट प्रकाशकों की महंगी किताबें सेलेबस में लाते हैं। यही नहीं हर साल कोर्स में थोड़ा-बहुत बदलाव कर देते हैं ताकि सीनियर बच्चों की किताबें या नोटबुक जूनियर के काम न आ सके। विक्रेताओं से स्कूलों का प्रति बच्चे की स्टेशनरी पर कमीशन तय होता है। सब मिलकर पेरेंट्स की जेब पर डाका डाका डालते हैं। कम इनकम वाले पेरेंट्स का तो शिक्षा सत्र की शुरुआत वाले माह का बजट बिगड़ जाता है।

ऐसे लगाएंगे लगाम

-वाणिच्य कर विभाग स्कूल संचालकों से पता करेगा कि कोर्स में किस प्रकाशक को शामिल किया गया है?

-विक्रेता स्टेशनरी खरीदने वालों को रसीद देते हैं या नहीं इसका भी पता लगाया जाएगा।

-ये भी देखा जाएगा कि रसीद में सरकार के खाते में जाने वाला टैक्स शामिल होता है कि नहीं?

-जो भी फर्म है, वह टैक्स अधिनियम के तहत पंजीकृत है कि नहीं? इसकी भी जांच होगी

-कान्वेट स्कूल्स में स्टेशनरी पर पांच परसेंट टैक्स वसूलने की तैयारी है।

-सरकारी किताबों को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा।

-स्कूली बैग और बच्चों की ड्रेस पर भी चार फीसद टैक्स वसूलने की योजना है।

-न्यू सेशन को लेकर वाणिच्य कर मुख्यालय ने मंडल और जोनल स्तर पर डिप्टी कमिश्नर को अलर्ट किया है।

-विभाग की विशेष अनुसंधान शाखा (एसआईबी) स्कूलों की हर गतिविधि पर नजर रखेगी।

-उन स्कूलों पर सबसे ज्यादा फोकस रहेगा, जहां बच्चों की संख्या ज्यादा होगी।

न्यू सेशन से स्टेशनरी, ड्रेस व स्कूल बैग आदि पर टैक्स के लिए नजर रखी जाएगी। फर्म सहित स्कूलों से भी जवाब लिया जाएगा।

एक गोयल

एडिशनल कमिश्नर, ग्रेड वन

वाणिज्यकर विभाग

चरम पर पहुंच चुकी महंगाई में बच्चों को पढ़ा पाना आम आदमी के बस की बात नहीं रह गई है। जिन घरों में दो बच्चे पढ़ रहे हैं, उनका तो बजट ही गड़बड़ा गया है।

तनु शुक्ला, पेरेंट

सामनेघाट

सूबे की यह सरकार भी इंग्लिश मीडियम स्कूल्स पर चाप नहीं चढ़ा पा रही है। स्कूल्स में स्टेशनरी, यूनीफार्म के नाम पर पेरेंट्स को लूटा जा रहा है।

सुधीर सिंह, अध्यक्ष

अभिभावक जागृति मंच

Posted By: Inextlive