आप बम धमाका करने वालों को कैसे पकड़ते हैं? इतिहास बताता है कि इसमें कुछ घंटों से लेकर कई साल तक का समय लग सकता है. इसके लिए जरूरी है अच्छी किस्मत अच्छा समय और पुलिस का अच्छा काम.

पिछले हफ़्ते बॉस्टन मैराथन के दौरान हुए दो धमाकों के संदिग्धों की खोजबीन का नाटकीय रूप से अंत हुआ. इन धमाकों के तीन दिन बाद ही पुलिस ने इसके संदिग्ध ज़ोख़र और तमरलान सारनाएफ़ भाइयों की पहचान कर ली.

शुक्रवार को बॉस्टन और उसके आसपास के इलाक़े पूरी तरह से बंद रहे क्योंकि हथियारबंद पुलिस अधिकारी वहां की सड़कों पर तलाशी अभियान चला रहे थे. उसी रात एक संदिग्ध की मौत हो गई और दूसरा पकड़ा गया.

इस काम में सैकड़ों घंटों के वीडियो फ़ुटेज, पीड़ितों की में से एक के बयान और प्रांतीय, स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर क़ानून को लागू करनवाने वाली एजंसियों ने सहयोग किया.

लेकिन जब बात हाई प्रोफ़ाइल बम धमाकों की आती है तो इसके दोषियों तक पहुंचने का कोई निश्चित फ़ार्मूला नहीं है. कुछ मामलों में संदिग्ध तत्काल पकड़ लिए जाते हैं, तो कुछ मामलों में सालों लग सकते हैं.

'अंडरस्टैंडिंग टेरर नेटवर्क' के लेखक मार्क सेजमैन कहते हैं, ''इनमें से बहुत से मामले संयोगवश सुलझ जाते हैं.'' आइए जानते हैं कि बम धमाकों के कुछ कुख्यात संदिग्धों को कैसे पकड़ कर उन्हें न्याय के कठघरे में लाया गया.
मोहम्मद सलामेह, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर हमला, 1993

कैसे पकड़े गए: ख़ुफ़िया काम और किस्मत से मिली सफलता.
इस मामले में पहली गिरफ्तारी: घटना के आठ दिन बाद.

इस्लामिक चरमपंथियों ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 1993 में एक ट्रक पर लदे विस्फोटकों के ज़रिए हमला किया. इसमें छह लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग घायल हुए.

धमाकों के बाद जांच-पड़ताल में जांचकर्ताओं को गाड़ी की पहचान संख्या के साथ-साथ उसके एक्सल का एक टुकड़ा मिला. यह टुकड़ा 1990 में बनी फ़ोर्ड इकॉनोलाइन वैन का था, यह वैन किराए पर गाड़ियां उपलब्ध कराने वाली एक कंपनी की थी. इसके आधार पर जांचकर्ता सालामेह तक पहुंचे.

सेजमैन कहते हैं कि यह पुलिस के अच्छे काम और अपराधियों की ख़राब रणनीति का मिश्रण था. सालामेह ने वैन के चोरी की सूचना दी थी, वह चोरी की रोकथान करने वाले प्रतिनिधि से मिलने के लिए कंपनी जाने पर सहमत हुआ था. वह प्रतिनिधि जांच एजेंसी एफ़बीआई का एजेंट था. सालामेह की गिरफ़्तारी के बाद अधिकारियों को इस गिरोह के अन्य सदस्यों तक पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं हुई.

पैरिक मैकफोहिआन और डेनिस किन्सेला,1993 में वारिंगटन में हुए बम धमाके

कैसे पकड़े गए: एक पुरानी कार का पीछा करते हुए.

घटना के दो घंटे बाद ही इन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया. इंग्लैंड के वारिंगटन में 26 फ़रवरी की मध्य रात्रि से कुछ देर पहले आयरिश रिपब्लिकन आर्मी के मैकफोहिआन और डेनिस किन्सेला ने अपने एक साथी की मदद से एक इमारत में धमाका कर दिया.

वारिंगटन गार्डियन के मुताबिक़ धमाके की वजह से आग का एक बड़ा गोला बना. धमाके के बाद इसके साजिशकर्ता वहां से चोरी की एक कार से फ़रार हो गए.

पुलिस अधिकारियों ने उनका पीछा किया. इस दौरान गोलीबारी भी हुई. धमाकों के बाद दो घंटे से भी कम समय में पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया. लेकिन इस दौरान एक व्यक्ति फरार होने में सफल रहा.
टेड कज़िंस्की, 1978-96
कैसे पकड़े गए: अपने घोषणापत्र की वजह से.
इस घटना के 18 साल बाद पहली गिरफ़्तारी हुई

हार्वर्ड के स्नातक थियोडोर कज़िंस्की ने 1978 से 17 साल तक पूरे अमरीका में लोगों को बम से भरे 16 पैकेट भेजे. इससे तीन लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए. विश्वविद्यालयों और हवाईअड्डों को बम भेजने के पैटर्न की वजह से उनका नाम ही उनाबांबर पड़ गया.

जांच एजंसी एफ़बीआई ने कुछ लोगों को पकड़ा. लेकिन वो मामले का पर्दाफ़ाश नहीं कर पाई. साल 1995 में बम भेजने वाले व्यक्ति ने कुछ राष्ट्रीय अख़बारों को संपर्क कर अपने 35 हज़ार शब्द के घोषणा पत्र के लिए एक प्रकाशक की तलाश की. एफ़बीआई के सहयोग से इसका एक अंश वॉशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित हुआ.

समाजिक कार्यकर्ता डेविड कज़िंस्की ने एफ़बीआई से कहा कि उनका मानना है कि इसका लेखक उनके भाई हैं. इसके लिए उन्होंने घोषणा पत्र और अपने भाई के शुरुआती लेखों में समानता का उदाहरण दिया. कज़िंस्की को 1996 में उनके मोंटाना केबिन से गिरफ़्तार कर लिया गया.

एरिक रुडोल्फ़, अटलांटा ओलंपिक, 1996

एक बहादुर प्रत्यक्षदर्शी और भूख की वजह से पकड़े गए.

घटना के सात साल बाद इस मामले में पहली गिरफ़्तारी हुई.

रुडोल्फ़ को 1996 के अटलांट ओलंपिक के पवेलियन में बम धमाके के लिए अधिक जाना जाता है. लेकिन उन्होंने इन अपराधों के लिए कभी मुक़दमे का सामना नहीं किया.

उन्हें 1997-98 में अटलांटा और बर्मिंघम में गर्भपात क्लिनिकों और अटलांटा में समलैंगिक पुरुषों के एक बार पर हुए बम धमाकों के लिए सज़ा सुनाई गई, इस दौरान उन्होंने अटलांट ओलंपिक में हुए बम धमाकों में भी शामिल होना स्वीकार किया.

बर्मिंघम में 1998 में हुए धमाके के दौरान जर्मेन ह्यूज नाम के एक प्रत्यक्षदर्शी ने घटनास्थल से एक व्यक्ति को भागते हुए देखा.

‘लोन वुल्फ़ : एरिक रुडोल्फ़ एंड दि लिगेशी ऑफ़ अमरीकन टेरर’ के लेखक मैरियन वोलर्स कहते हैं ,‘‘हर कोई उसी की ओर भाग रहा था.’’

वह कहते हैं उन्हें पकड़ने के लिए ह्यूज ने अपने जान की बाजी लगा दी. ह्यूज पास के ही एक कॉलेज में पढ़ते थे. उन्होंने अपनी कार से रुडोल्फ़ का पीछा किया जो पैदल ही भाग रहे थे. अश्वेत ह्यूज ने पुलिस को सूचित करने के लिए आसपास के घरों के दरवाजे खटखटाएं लेकिन उन्हें वहां के निवासियों के विरोध का सामना करना पड़ा.

वोलर्स कहते हैं, ‘‘वे लोगों का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहे थे. लेकिन किसी ने भी उन पर विश्वास नहीं किया.’’ उन्होंने रुडोल्फ के विवरण और एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी के जरिए लाइसेंस नंबर प्लेट हासिल किया.

बाद में सूचना मिली कि रुडोल्फ भागकर उत्तरी कैरोलिना के जंगल में रह रहे हैं. उन्हें 2003 में जब गिरफ़्तार किया गया तो वे कचरे में कुछ खाद्य पदार्थ चुनकर खा रहे थे.
टिमोथी मैक वे, 1995 में ओक्लहोमा धमाका
पुलिस के अच्छे काम और गाड़ियों के ख़राब रिकार्ड की वजह से इन्हें गिरफ़्तार किया गया.
घटना के डेढ़ घंटे बाद ही इन्हें पकड़ लिया गया.

अमरीकी शहर ओक्लाहोम के एक पार्किंग गैरज में 1995 में 48 सौ पौंड फर्टिलाइजर और ईंधन तेल में धमाका हुआ. इस धमाके में 168 लोगों की मौत हो गई. इसके कुछ देर बाद ही चार्ली हैन्सन ने एक व्यक्ति को बिना लाइसेंस प्लेट की कार चलाते हुए पकड़ा.

हैंगर को घटनास्थल पर बुलाया गया था. लेकिन बाद में उन्हें रोककर रखने को कहा गया. उन्हें लगा कि यह एक सामान्य ट्रैफिक जांच हो सकती है.

कार के ड्राइवर टिमोथी मैक वे अपने साथ छुपाकर एक ग्लॉक हैंडगन ले जा रहे थे. उनकी गिरफ़्तारी के लिए यह काफ़ी था. वे टिमोथी मैक वे को स्थानीय जेल में पहुंचाकर, घटना में शामिल भूरे रंग के वाहन की तलाश में मदद करने के लिए सड़क पर आ गए.

उन्होंने दि शॉनी ओक्लाहोमा न्यूज़ स्टार को बताया, ‘‘हमें इस बात की थोड़ी सी जानकारी थी कि हमने बम धमाका करने वाले को जेल में रखा है.’’ ठीक इसी समय, जांचकर्ताओं ने किराए के उस ट्रक जिसमें विस्फोटक छिपाकर रखे गए थे. उससे लाइसेंस प्लेट को दोबारा बनाया. इसने उन्हें मैक वे तक पहुंचाया.

दो दिन बाद, हाइवे पेट्रोल ने हैंगर को बुलाया और उनसे मैक वे का लाइसेंस चलाने को कहा, उन्हें उम्मीद थी कि इससे उनके ठिकाने का पता लग जाएगा. ऐसा करने की जगह हैंगर ने उन्हें बताया कि मैक वे उनकी हिरासत में है. इसके बाद एफ़बीआई ने मैक वे को गिरफ़्तार कर लिया. उसकी दिन उनके सहयोग टेरी निकोलस ने खुद को पुलिस के हवाले कर दिया.
डेविड कोपलैंड, 1999 के लंदन धमाके
सीसीटीवी की वजह से पकड़े गए.
इस घटना के 13 दिन बाद ही पहली गिरफ़्तारी हुई.

अप्रैल 1999 के 13 दिनों में कोपलैंड ने लंदन के ब्रिक्सटन, ब्रिक लेन और सोहो में विस्फोटक लगाए. अंतिम धमाका समलैंगिक पुरुषों के एक पब में हुआ. इसमें तीन लोग मारे गए और 139 लोग घायल हुए.

जांचकर्ताओं ने अपना अभियान 17 अप्रैल से शुरू किया. सीसीटीवी के जरिए जांचकर्ता कोपलैंड की पहचान करने में सफल रहे. उन्होंने 29 अप्रैल को उनकी फुटेज आम लोगों के लिए जारी की.

इसके कुछ दिन बाद ही उनके एक सहकर्मी ने उनकी पहचान कर ली. लेकिन यह एडमिरल डंक क्लब में धमाका करने से उन्हें रोक नहीं पाया. इसमें एक गर्भवती महिला के साथ दो अन्य लोग मारे गए थे.

बम विस्फोट के कुछ देर बाद ही पुलिस ने उनके अपार्टमेंट का पता लगा लिया. अपने घर का दरवाजा खोलते ही कोपलैंड ने अपना गुनाह स्वीकार कर लिया.

 

 

 

 

Posted By: Garima Shukla