Agra: बीड़ी जलइले..जिगर मा बड़ी आग है...ये गाना तो आपको याद ही होगा लेकिन शहर में जिस तरह से माचिस की डिबिया में कम तीली डाल कर पूरे दाम वसूले जा रहे हैं. इसके बाद तो लगता है कि गाना कुछ यूं होना चापहिए.. तीली जलइले जिगर से... इस गाने से हम आपका ध्यान ले जाना चाहते हैं हमारे जीवन की एक बहुत ही महत्वपूर्ण चीज माचिस की डिबिया और उसके अंदर रखी हुई मैच स्टिक्स की ओर. आपने ध्यान से देखा हो तो मैच बॉक्स के ऊपर साफ शब्दों में लिखा होता है 50 मैच स्टिक्स इन दिस बॉक्स. यदि नहीं देखा तो ध्यान जरूर देखिए. क्योंकि यहां भी आपके साथ धोखा हो रहा है.

बात छोटी है, लेकिन धोखा बड़ा है। माचिस में की जा रही यह घटतौली आपकी जेब को धीरे-धीरे जला रही है। मैच बॉक्स में कम स्टिक्स की बात की जानकारी के लिए आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने शहर की अलग-अलग जगहों से नई माचिस की डिबिया खरीदीं। आप भी जानिए माचिस की घटतौली का सच
केस 1
संजय प्लेस से माचिस खरीदी तो दुकानदार ने टॉरस कंपनी की माचिस दी। जिसका प्राइज था एक रुपया। माचिस पर लिखा हुआ था 50 मैच इन दिस बॉक्स, लेकिन सच कुछ और ही सामने आया उसमें 46 स्टिक्स ही निकलीं।
केस 2
कुछ आगे चल कर हरीपर्वत एरिया की शॉप से माचिस देने को कहा तो उसने एम कंपनी की नई माचिस दी। इस पर भी प्राइज 1 रुपया और मैच 50 लिखा हुआ था। चेक करने पर पता चला कि उसमें भी 46 स्टिक्स ही निकलीं।
केस 3
यूनिवर्सिटी एरिया से 27 डिलक्स कंपनी की माचिस खरीदी। जब इस माचिस के स्टिक्स चेक किए तो इसमें सिर्फ 39 स्टिक्स ही थीं।
केस -4
जीवनी मंडी एरिया से अग्नि कंपनी की माचिस ली। इसे चेक किया तो इसमें 40 मैच स्टिक्स ही निकलीं।
सवाल ये उठता है कि जब कंपनी कस्टमर से 50 स्टिक्स के लिए एक रुपये वसूल कर रही है तो पूरी 50 मैच स्टिक्स क्यों नहीं मिलती।
नहीं लगी होती सील
कई सालों पहले माचिस बॉक्स कागज के एक टुकड़े से सील किया हुआ होता था। इस कागज पर कंपनी का नाम और लोगो भी होता था। जो करीब आठ साल पहले गवर्नमेंट द्वारा हटा दी गई। ये सील सेल टैक्स डिपार्टमेंट की होती थी, लेकिन इस सील की कीमत माचिस से ज्यादा होती थी। इसलिए इसको माचिस से हटा दिया गया।
3 लाख रुपये की माचिस रोज
गवर्नमेंट के जनसंख्या रिकार्ड के हिसाब से शहर में लगभग पांच लाख परिवार हैं। यदि प्रत्येक फैमली में चार लोग भी माने जाएं तो डिस्ट्रिक्ट की आबादी करीब 43 लाख होने का अनुमान है। इनमें ऐसा कोई घर संभव तो नहीं लगता कि वह माचिस का यूज न करता हो। सिटी के फेमस माचिस के एक व्यापारी से बात हुई तो उन्होंने अनुमानित बताया कि डिस्ट्रिक्ट में तीन लाख रुपये की माचिस की खपत है। वहीं सिटी में इसकी खपत एक से सवा लाख रुपए के बीच की हो जाती है।

कैसे होता है खेल  
सोर्सेज की मानें तो माचिस की सेल सबसे ज्यादा वहां होती है जहां बीड़ी, सिगरेट की सेल होती है। जब व्यक्ति सिगरेट पीने के लिए शॉप पर जाता है तो शॉपकीपर इनके लिए नई माचिस नहीं खोलते बल्कि किसी बंद माचिस की बाक्स से स्टाइल से कुछ स्टिक्स निकल लेते हैं और एक छोटे डिब्बे में रख देते हैं। सिगरेट पीने वाले इन्हीं का प्रयोग करते हैं। इससे सिगरेट की सेल हो जाती है और शॉपकीपर को माचिस का खर्चा भी नहीं उठाना पड़ता। वह जानता है कि माचिस खरीदने वाला कस्टमर उसकी स्टिक्स तो चेक करेगा नहीं। बात सीधी है आप को पता भी नहीं चलने दिया जाता है और आप की जेब पर डाका पड़ चुका होता है।


अगर पैकिंग में कम आ रही हैं तो ये गलत है, यदि माचिस के ऊपर लिखे नंबर ऑफ स्टिक्स माचिस से नहीं निकलते हैं ये भी गलत है। हालांकि मेरे पास कंप्लेन नहीं आई है, लेकिन फिर भी जांच की जाएगी।
मुकेश कुमार असिस्टेंट कंट्रोलर लीगल मेट्रोलॉजी

Posted By: Inextlive