बृजेश की एमएलसी बनने की थी तैयारी, जेल से चुनाव लड़ने पर सारथी होते राम बिहारी

VARANASI

बृजेश सिंह के एमएलसी बनने की नैया मझधार में फंस गयी है। यह कयास राम बिहारी चौबे की हत्या के बाद लगाए जा रहा हैं। कारण कि अगले कुछ महीने में विधान परिषद चुनाव होने वाले हैं। राम बिहारी का मर्डर इससे भी जोड़ कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि चर्चित बृजेश सिंह अपनी एमएलसी पत्‍‌नी अन्नपूर्णा सिंह के स्थान पर इलेक्शन में उतर सकते थे। जेल से उनके चुनाव लड़ने के दौरान राम बिहारी चौबे सारथी हो सकते थे। ऐसे में बृजेश की राजनीतिक जमीन तैयार होने के पहले ही उनके खेवनहार को रास्ते से हटा दिया गया। अगर बृजेश मैदान में उतरे तो राम बिहारी की कमी खलेगी।

चुलबुल से अन्नपूर्णा सिंह तक

राम बिहारी की पहचान भले ही एक आम आदमी के रूप में हो लेकिन वह बृजेश के सबसे विश्वासपात्र थे। इतना ही नहीं ख्0क्ख् में बसपा से विधानसभा चुनाव लड़ कर अपनी राजनीतिक जमीन भी तैयार कर ली थी। उनका राजनीतिज्ञों और ब्यूरोक्रेसी में भी गहरी पकड़ थी। यही वजह है कि बृजेश के मुकदमों से लेकर अन्य केस उनके ही जिम्मे था। एमएलसी चुनाव के मजे सारथी राम बिहारी के माध्यम से बृजेश के राजनीति में प्रवेश को आसान करता। वह चुनाव के जनप्रतिनिधि मतदाताओं को बृजेश के पक्ष में आसानी से कर लेते। जानकार तो बताते हैं कि बृजेश की एमएलसी पत्‍‌नी अन्नपूर्णा सिंह और उसके पहले बडे़ भाई चुलबुल के चुनाव के भी रामबिहारी चौबे सारथी रह चुके हैं।

स्टार्ट हो चुकी है सुगबुगाहट

एमएलसी अन्नपूर्णा सिंह का कार्यकाल जनवरी में समाप्त हो रहा है। प्रधान पद की चुनाव आचार संहिता क्फ् दिसंबर को समाप्त हो रही है। एमएलसी चुनाव की अधिसूचना के बाद मतदान के लिए फ्भ् दिन होना चाहिए। वह कार्यकाल तक पूरा नहीं हो रहा है। ऐसे में अप्रैल ख्0क्म् तक चुनाव हो सकते हैं। वाराणसी, भदोही और चंदौली में फैले विधान परिषद क्षेत्र में करीब पांच हजार जनप्रतिनिधि मतदाता हैं। इसमें प्रधान, बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य, पार्षद, टाउन एरिया व नगर पालिका के सभासद, विधायक और सांसद मतदाता होते हैं।

Posted By: Inextlive