- हाईकोर्ट के संज्ञान लेने बाद नर्म पड़े जूनियर डॉक्टर्स, स्ट्राइक वापस

- मैराथन मीटिंग के बाद जूनियर डॉक्टरों ने तोड़ी स्ट्राइक

- सरकार ने जूनियर डॉक्टरों की मांगों को माना, तब टूटी स्ट्राइक

PATNA : पीएमसीएच में आखिरकार छह दिनों की स्ट्राइक के बाद शुक्रवार शाम स्ट्राइक तोड़ने की औपचारिक घोषणा कर दी गई। इसके साथ ही पेशेंट की परेशानी भी खत्म हो गई। पीएमसीएच में सभी जूनियर डॉक्टरों ने शुक्रवार रात दस बजे से ड्यूटी ज्वाइन कर ली।

कैंपस के लेक्चर हॉल में दिनभर चली मैराथन बैठक के बाद यह हल निकला। जूनियर डॉक्टर जिन मांगों को सामने रखकर स्ट्राइक पर बैठे थे, सभी मागों पर स्वीकार कर लिया गया है। सुरक्षा का मुद्दा को प्राथमिकता के तौर पर लिया गया है।

बढ़ जाएगी सुरक्षा

पीएमसीएच कैंपस में वर्तमान समय में 7भ् सिक्यूरिटी गार्ड हैं। कुछ ही दिनों में इसे बढ़ाकर यह क्भ्0 कर दिया जाएगा। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने घोषणा पहले ही कर दी है कि जल्द 7भ् की संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए जाएंगे। इससे पहले बिहार पुलिस के जवानों को स्ट्राइक के दौरान तैनात कर तनाव कम करने का भी प्रयास किया गया।

मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट होगा लागू

स्ट्राइक का प्रमुख कारण डॉक्टरों की सुरक्षा ही था। इस मसले पर सरकार की ओर से यह तय किया गया है कि इस एक्ट को लागू करने के लिए सरकार की ओर से कोई कोताही नहीं की जाएगी। इसके लिए आवश्यक निर्देश भी जारी किए जाएंगे। मीटिंग के दौरान जूनियर डॉक्टरों ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया कि पेशेंट के साथ बड़ी संख्या में उसके परिजन आ जाते हैं। यह न सिर्फ उनके इलाज में बाधक है, बल्कि इससे असुविधा का माहौल भी बनता है।

प्रधान सचिव की भूमिका अहम

बीते छह दिनों से चल रही स्ट्राइक पर न केवल मेडिकल कम्युनिटी ने पैनी नजर रखी, बल्कि स्वास्थ विभाग के प्रधान सचिव ने भी एक सार्थक पहल की। उनकी ओर से बातचीत का सिलसिला लगातार बनाए रखा गया। उन्होंने स्ट्राइक तोड़ने की अपील के साथ-साथ उनकी मांगों को सरकार की ओर से स्वीकृति देने में बड़ी भूमिका निभायी।

हाईकोर्ट का संज्ञान तो मिली राहत

दिनभर डायरेक्टर-इन-चीफ आजाद हिंद, प्रिंसिपल डॉ एसएन सिन्हा और जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधियों ने बातचीत गंभीरता से की और सभी मांगों को एक-एक करके रखा, उसका सबसे बड़ा कारण इससे एक दिन पहले हाई कोर्ट द्वारा मामले का संज्ञान लिया जाना ही कहा जाएगा।

सात की मौत के बाद

भले ही स्ट्राइक टूट गई लेकिन इस दौरान सात पेशेंट की मौत से मामला गमगीन जरूर हुआ। सुपरीटेंडेंट डॉ लखींद्र प्रसाद ने बताया कि सभी सातों पेशेंट गंभीर हादसे के थे, जिनमें कुछ को हेड इंज्यूरी भी थी। उन्हें ऑपरेट किया जा रहा था। लेकिन उन्हें नहीं बचाया जा सका।

इमरजेंसी के चीफ सीएमओ डॉ अभिजीत सिंह ने बताया कि शुक्रवार से ही रजिस्ट्रेशन की स्थिति में बहुत सुधार हुआ। यहां ओपीडी में क्भ्क्7 और इमरजेंसी में ख्ख्ब् न्यू रजिस्ट्रेशन कराया गया। शुक्रवार को इमरजेंसी में कुल क्क्ब् डॉक्टर्स ड्यूटी पर थे।

आखिर दवा की कमी क्यों

लेक्चर थिएटर में चल रही बैठक के दौरान यह बात जूनियर डॉक्टरों ने उठाया कि दवा नहीं रहने और अन्य सुविधाएं नहीं होने के कारण प्राय: पेशेंट के रिलेटिव उग्र हो जाते हैं और डॉक्टरों से झड़प हो जाती है। इस बात पर डायरेक्ट-इन-चीफ ने कहा कि दवाओं की कमी नहीं होने दी जाएगी।

Posted By: Inextlive