इतने घट गए कस्टमर

-2015 में करीब 26 हजार उपभोक्ता थे रजिस्टर्ड

-2018 में 12 हजार रहे गए उपभोक्ता

-74 छोटे एक्सचेंज पहले मेन एक्सेंज से थे संबद्ध

-65 एक्सचेंज अभी चल रहे हैं

-2006 में सीडीआर व्यवस्था की गई थी लागू

-1 करोड़ का बिल न जमा होने से हुआ नुकसान

- स्कीमों और सर्विस के अभाव में लगातार घट रहे हैं कस्टमर

-कस्टमर जोड़ने के लिए जिम्मेदारों ने नहीं की कोई पहल, सिर्फ सरकारी विभागों में चल रहा बीएसएनएल

बरेली : भारतीय संचार निगम लिमिटेड यानि बीएसएनएल की टैगलाइन कनेक्टिंग इंडिया होने के बाद भी वह अपने कंज्यूमर्स से धीरे-धीरे डिस्कनेक्ट हो रहा है। अगर पिछले पांच सालों की बात करें तो आधे से ज्यादा कंज्यूमर्स ने सर्विस और स्कीमों के अभाव में बीएसएनएल से नाता तोड़ दिया। लेकिन जिम्मेदारों ने कोई सुध नहीं ली। अभी की बात करें तो सरकारी विभागों को छोड़कर शायद ही कोई बीएसएनएल का कंज्यूमर मिले। वहीं प्राइवेट कंपनियों के लुभावने और सस्ते ऑफर भी बीएसएनएल के कंज्यूमर घटने की एक बड़ी वजह रही है।

योजनाओं का प्रचार नहीं

बीएसएनएल ने कंज्यूमर्स को जोड़ने के लिए अक्टूबर 2016 में नेक्स्ट जनरेशन और स्मार्ट फोन योजना बनाई थी, लेकिन प्रचार न होने से कंज्यूमर्स को पता ही नहीं चला कि योजना कब आई और कब चली गई। इसी तरह से कई अन्य योजनाएं भी आई, लेकिन प्रचार के अभाव में कागजों में ही दम तोड़ गई।

सीडीआर ने दूर कर दिए कंज्यूमर्स

पहले कागजी तौर पर ही बिलिंग प्रक्रिया होती थी। सरकार की ओर से वर्ष 2006 में कस्टमर केयर एंड कन्वर्जेंट बिलिंग सिस्टम यानि सीडीआर सिस्टम लागू किया गया। जिसको समझने में कर्मचारियों को लंबा समय लगा। इसके बाद जब कंज्यूमर्स को ऑनलाइन बिल भेजे गए तो चौंक गए। क्योंकि वह बिल सामान्य से बहुत ज्यादा था। इसके बाद कंज्यूमर्स ने बिल का भुगतान नहीं किया। विभाग ने बड़ी संख्या में कंज्यूमर्स के कनेक्शन काट दिए। वहीं बिलों का भुगतान न होने से करीब एक करोड़ का नुकसान हुआ।

20 सालों से नहीं हुआ मेंटीनेंस

कंज्यूमर्स का बीएसएनएल से जुड़ाव समाप्त होने की मेन वजह यह थी कि उत्कृष्ट सर्विस देने के लिए डिस्ट्रिक्ट में जो अंडरग्राउंड केबिल डाली गई थी। उसमें खराबी आने के बाद प्रबंधन ने दुरुस्त कराने की जहमत तक नहीं उठाई।

रिपोर्ट भेज झाड़ लिया पल्ला

शहर में सड़कों का जाल बिछाया गया तो अंधाधुंध खुदाई की गई। इस दौरान बीएसएनएल की अंडरग्राउंड केबिल ध्वस्त हो गई। उपभोक्ता जब लाइन खराब होने की सूचना देते तो उस पर मौका मुआयना कर रिपोर्ट बनाकर भेज दी जाती थी, लेकिन उसको ठीक कराने की जहमत विभाग नहीं उठाता था, जिससे परेशान होकर कंज्यूमर्स कनेक्शन कटवा लेते थे।

बंद हो गए एक्सचेंज

शहर के मुख्य एक्सचेंज से जिले के 74 छोटे एक्सचेंज संबद्ध थे, लेकिन जिस प्रकार इन छोटे एक्सचेंज के अधीन आने वालों उपभोक्ता खत्म होते गए एक्सचेंज भी बंद हो गए। मौजूदा स्थिति की बात करें तो अब सिर्फ 65 एक्सचेंज ही वर्तमान में क्रियाशील हैं।

वर्जन ::

हम बीएसएनएल से लोगों का जुड़ाव बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं। कुछ टेक्निकल फॉल्ट और संसाधनों के अभाव के चलते खामियां आईं हैं, जिनको जल्द दूर कर नई शुरुआत जल्द की जाएगी। अभी भी ऐसे लोग हैं जिनका बीएसएनएल पर विश्वास कायम है।

चरन सिंह, जीएम, बीएसएनएल।

Posted By: Inextlive