HAZIPUR/PATNA: भगवान बुद्ध के संदेश आज ज्यादा प्रासंगिक हैं। उनके बताए मार्ग पर चलकर विश्व में शांति कायम होगी। ये बातें वैशाली के रेलिक स्तूप परिसर में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक चैं¨टग सेरेमनी के समापन सत्र के अवसर पर थाइलैंड, लाओस, म्यामार, वियतनाम, कम्बोडिया, श्रीलंका, शिक्कम, यूएसए से आए बौद्ध भिक्षुओं को सम्बोधित करते हुए थाई वट मंदिर के पुजारी डॉ। पीसी चंदाश्री ने कही।

वैशाली से था गहरा लगाव

उन्होंने कहा कि वैशाली से भगवान बुद्ध का बहुत ही गहरा लगाव था। उन्होंने कई वर्षावास यहां किया। उन्होंने वैशाली में इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए आयोजकों को धन्यवाद दिया। आयोजन समिति की वांगमो डिक्सी ने कार्यक्रम की सफलता के लिए लोगों को धन्यवाद देते हुए कहा कि वैशाली आकर एक विशेष शांति महसूस होती है। अगले वर्ष पुन: यहां मिलने के संकल्प के साथ कार्यक्रम समापन की घोषणा की गई। कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना बहुमूल्य समय देने के लिए डॉ रामनरेश राय को विशेष धन्यवाद दिया एवं स्थानीय प्रशासन द्वारा सहयोग के लिए यहां के सभी पदाधिकारियों का आभार प्रगट किया। वैशाली की चर्चा करते हुए डॉ। आर एन राय ने कहा कि यही वह जगह है जहां पहली बार भगबान बुद्ध ने संघ में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति प्रदान की थी। इतना ही नहीं बौद्ध धर्म की द्वितीय धर्म संगिति भी इसी वैशाली के वालुकराम में सम्पन्न हुई थी। भगवान बुद्ध के वैशाली से लगाव की चर्चा करते हुए कहा कि यहीं पर अपने परिनिर्वाण की घोषणा भी की थी एवं अपना अंतिम वर्षावास भी यहीं किया था। जाते-जाते अपना भिक्षापात्र भी वैशाली के बज्जि संघ के लोगों को दिया था।

Posted By: Inextlive