बजट को सराहा, लेकिन अधूरी रहीं उम्मीदें
स्टूडेंट्स ने कॉलेजों में फीस की एकरुपता लाने की बात कही
Meerut । शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार ने बजट में बेहतर दावे किए हैं। स्टूडेंट्स ने कई योजनाओं की सराहना की, पर वहीं सरकारी बजट से शिक्षा में कहीं न कहीं स्टूडेंट्स की कुछ उम्मीदें अधूरी रह गई है, वर्जन इस बजट एक करोड़ को कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षण , विदेशी शिक्षा के लिए सरकार द्वारा ट्रेनिंग देने में सहायता देना, स्किल इंडिया प्रोग्राम, ग्रामीण शिक्षा में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना, नेशनल फाउंडेशन बनाए जाने का फैसला बेहतर है। एक ही कमी है कि प्राइवेट कॉलेजों में मनमानी फीस होती है उसपर सरकार को एकरुपता लाने के लिए कुछ न कुछ करना चाहिए था। रविंद्र कुमार, स्टूडेंट लीडरआजाद हिंदुस्तान का सबसे कंफ्यूज बजट पेश किया गया है, इस बजट में ना ही तो किसानों के लिए कुछ है, न ही शिक्षा चिकित्सा के लिए कुछ है, इस बजट में युवाओं को मायूस किया है। शिक्षा को लेकर कुछ बेहतर नहीं किया गया है, योजनाएं पुरानी ही है जिनको अपडेट किया गया है, प्राइवेट कॉलेजों व स्कूलों पर लगाम लगाने के लिए कोई नियम तक नहीं बनाया है।
सम्राट मलिक, स्टूडेंट लीडरउच्च शिक्षा पर सरकार ने नए सिरे से फोकस किया है बजट के माध्यम में सरकारी कॉलेजों के आधारभूत संसाधनों पर विशेष ध्यान दिया जाए तो हमारी मेधा हमारे ही यहां देश की विभिन्न योजनाओं में अपना मूल्यवान योगदान देगी, बजट आशा के अनुरुप है, किंतु शिक्षा प्रथम सरोकार बने ऐसी उम्मीद करते हैं।
डॉ। संध्या रानी, प्रिंसिपल, शहीद मंगल पांडे महिला कॉलेज मध्यम वर्ग की कमर तोड़ने वाले बजट को वित्त मंत्री ने पेश किया है। खासतौर से नौकरी पेशा कर्मचारियों के लिए कमरतोड़ बजट है। आयकर में कोई छूट न देना व आयकर स्लैब में कोई परिवर्तन न करके पेट्रोल डीजल के दामों में वृद्धि जले पर नमक छिड़कने वाला है। घर खरीद पर घोषित छूट भी प्रतिबंध के साथ है। जिसका लाभ लगभग न के बराबर है। कर्मचारियों के लिए कोई राहत नहीं है। अभिषेक , नौकरीपेशा