सालभर सरपट दौड़ी आरआरटीएस परियोजना ने अंत में पड़ी धीमी

साल फाइलों में दौड़ता रहा मेरठ मेट्रो प्रोजेक्ट

Meerut। बजट की बाट जोह रही रैपिड रेल परियोजना सालभर सरपट दौड़ी। हालांकि, साल के अंतिम महीनों में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने लाल झंडी दिखाई तो योजना ठिठक गई। वहीं दूसरी ओर मेरठ के विकास का बोझ लादे मेरठ मेट्रो परियोजना सालभर फाइलों ही दौड़ती रही। शहर की विकास के मद में खर्च होने वाला 14 करोड़ रुपए प्राधिकरण भविष्य की दोनों योजनाओं पर खर्च कर चुका है। दिल्ली-मेरठ रूट पर टोपोग्राफिकल सर्वे को पूर्ण कर लिया गया।

हरी झंडी का इंतजार

आरआरटीएस (रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) के दिल्ली-मेरठ कॉरीडोर का निर्माण एनसीआरटी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम) कर रहा है। वर्ष 2018 में एमडीए ने अपने हिस्से का 10 करोड़ रुपए भी एनसीआरटीसी को सौंप दिया। साहिबाबाद से दुहाई तक 4 स्टेशन्स और एलीवेटेड ट्रैक के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई। प्रोजेक्ट पर लोक निवेश बोर्ड की मंजूरी मिलने के साथ ही दिल्ली सरकार ने अड़ंगा लगा दिया। फिलहाल केंद्र सरकार, दिल्ली की केजरीवाल सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में है। प्रोजेक्ट मंजूरी के बाद केंद्र को 659 और प्रदेश सरकार को 250 करोड़ रुपए देने हैं। इस प्रोजेक्ट में दिल्ली से मेरठ तक 22 स्टेशन तय किए गए हैं। इसमें पांच स्टेशन अंडरग्राउंड है

40 किमी लंबी सड़क पर उलझन

रैपिड प्रोजेक्ट के लिए लोक निर्माण विभाग और एनएचएआई पहले ही अनुमति दे चुके हैं। साथ ही प्रोजेक्ट का काम शुरू होने से पहले दुहाई से मेरठ तक करीब 40 किलोमीटर लंबी सड़क की बाइडिंग भी की जा रही है। गत दिनों यह सड़क आरआरटीएस के चलते एनएचएआई ने पीडब्ल्यूडी को हैंडओवर कर दी थी, पीडब्ल्यूडी अब इस सड़क को 42 करोड़ रुपए खर्च करके दुरुस्त करा रहा है।

प्रोजेक्ट के मुख्य बिंदु

100 हेक्टेयर भूमि का गाजियाबाद में होगा अधिग्रहण

35 हेक्टेयर भूमि मेरठ में होगी अधिग्रहण

160 किलोमीटर होगी रैपिड की स्पीड

31632 करोड़ है प्रोजेक्ट का कुल बजट

90 किलोमीटर लंबा हहोगा प्रोजेक्ट

62 मिनट में मेरठ से दिल्ली की दूर होगी तय

80 प्रतिशत प्रोजेक्ट का हिस्सा होगा एलीवेटेड

20 प्रतिशत प्रोजेक्ट जमीन के नीचे होगा

6 कोच होंगे पहले फेज में

12 कुल कोच की होगी रैपिड

हम अपने स्तर से सभी कार्य कर रहे हैं। बस अब मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद कार्य युद्धस्तर पर होगा।

सुधीर कुमार शर्मा, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, एनसीआरटीसी

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हेडिंग- फाइलों में खूब दौड़ी मेट्रो

-शासन की चार सदस्यीय टीम ने मेरठ मेट्रो की लागत कम करने को कहा

-दो कॉरिडोर हैं प्रस्तावित, जिस पर 13 हजार 800 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान

मेरठ। योगी सरकार ने मेरठ वासियों को मेट्रो पर सफर कराने के लिए दो और लंबे कॉरिडोर की घोषणा तो कर दी थी, लेकिन उसे धरातल पर लाने के लिए अब बजट का टोटा देखते हुए सांस फूलने लगी है। दोनों कॉरिडोर पर 13 हजार 800 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान लगाया गया था, जिसे कम करने के लिए राइट्स को कहा गया है। ऐसे में यह भारी भरकम परियोजना अब सिमट जाएगी।

फाइलों में दौड़ रही

भारी भरकम लागत और संसाधनों की कमी के चलते मेरठ मेरठ परियोजना फिलहाल फाइलों में दौड़ रही है। डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट, फिर रिवाइज्ड डीपीआर। एमडीए ने अब तक करीब 4 करोड़ रुपए मेरठ मेट्रो योजना पर खर्च कर दिए हैं। वर्ष के आरंभ में सीएम योगी के निर्देश पर एक 4 सदस्यीय कमेटी ने प्रोजेक्ट की लागत पर सर्वे भी किया था। जिसमें प्रोजेक्ट की लागत से सरकार को पसीना आ गया। फिलहाल मेरठ मेट्रो पर सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है।

खत्म हो जाएगा कॉरिडोर-वन

मेरठ में मेट्रो के दो कॉरिडोर स्वीकृत हुए थे। प्रथम कॉरिडोर परतापुर से मोदीपुरम व दूसरा कॉरिडोर श्रद्धापुरी फेज-दो से जागृति विहार एक्सटेंशन। हाल ही में जब रैपिड रेल परियोजना के प्रभाव में आने के बाद यह तय हुआ कि कॉरिडोर-वन की मेट्रो उसी ट्रैक पर संचालित की जाए जिस पर रैपिड रेल चले क्योंकि रैपिड भी परतापुर से मोदीपुरम तक चलेगी। मेट्रो की वजह से रैपिड रेल के स्टेशन भी बढ़ाए जाने का प्रस्ताव शामिल हुआ। ऐसे में अब जब सरकार कास्ट कटिंग पर ध्यान दे रही है तो यह हो सकता है कि कॉरिडोर-वन की मेट्रो इससे हटा दी जाए क्योंकि इस मार्ग पर रैपिड रेल चलेगी ही। बस व अन्य आवागमन की सुविधा हमेशा उपलब्ध ही हैं।

चल सकती है लाइट मेट्रो

मेट्रोमैन ई। श्रीधरन ने काफी पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि मेरठ में लाइट मेट्रो चलेगी। इसमें दो या तीन डिब्बे ही होते हैं। अन्य मेट्रो की अपेक्षा इसके इंजन की क्षमता व आकार कम होता है। डीपीआर जब फाइनल हुई थी तब उसमें लाइट मेट्रो को स्पष्ट नहीं किया गया था। अब अगर संशोधित होने वाली डीपीआर में लाइट मेट्रो को शामिल किया गया तो उसके अनुसार ही लागत का आकलन किया जाएगा। मेट्रो के दो कॉरिडोर हैं इसकी कुल लंबाई 33 किमी होगी और इसमें 29 स्टेशन होंगे।

कॉरिडोर-1

रैपिड रेल के लिए मेरठ साउथ, शताब्दीनगर, मेरठ सेंट्रल, बेगमपुल, मेरठ नार्थ व मोदीपुरम स्टेशन प्रस्तावित थे बाद में जब इस पर मेट्रो का कॉरिडोर-वन मर्ज करके मेट्रो इसी ट्रैक पर चलाने की योजना बनी तो मेट्रो के लिए कुछ स्टेशन बढ़ाए गए जो परतापुर, रिठानी, ब्रह्मापुरी, भैंसाली, एमईएस कालोनी, डौरली हैं।

कॉरिडोर-2

श्रद्धापुरी फेज-2, कंकरखेड़ा, मेरठ कैंट, कैंट स्टेशन, रजबन बाजार, बेगमपुल, बच्चा पार्क, शाहपीर गेट, हापुड़ अड्डा चौराहा, गांधी आश्रम, मंगल पांडे नगर, तेजगढ़ी, मेडिकल कॉलेज, जागृति विहार एक्सटेशन व गोकलपुर प्रस्तावित स्टेशन है। द्वितीय कॉरिडोर में एक से दूसरे स्टेशन की दूरी 1.1 किमी होगी।

Posted By: Inextlive