इमारत बन गई, डॉक्टर नदारद
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कुल सरकारी हॉस्पिटल्स 20 कुल सीएचसी 60 कुल पीएचसी 15-20 हजार पेशेंट्स औसतन हर रोज आते हैं विभिन्न सरकारी हॉस्पिटल्स में -सरकारी सेवाओं में नौकरी ज्वाइन करने को तैयार नहीं हैं डॉक्टर्स -बिना इलाज भटक रही है पब्लिक, नहीं हो रही सुनवाई prayagraj@inext.co.in PRAYAGRAJ: सरकार करोड़ों रुपए खर्च करके हॉस्पिटल बना रही है लेकिन यहां डॉक्टर नदारद हैं। एमबीबीएस-एमडी की डिग्री लेने के बाद डॉक्टर्स सरकारी सेवाओं में नहीं आना चाहते। जबकि सरकार अधिक सैलरी का प्रलोभन भी दे रही है लेकिन इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा। नतीजा सामने है। रोजाना हजारों मरीज बिना डॉक्टर या तो घर लौट जाते हैं या फिर प्राइवेट हॉस्पिटल की शरण में चले जाते हैं। केस-1 दो लाख सैलरी, राजी नहीं डॉक्टर्ससरकार ने दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में हृदय रोग और स्त्री रोग के डॉक्टरों की तैनाती के लिए सरकार की ओर से प्रतिमाह दो लाख रुपए की सैलरी ऑफर की गई है। इनमें फूलपुर और कौडि़हार में दो गायनी डॉक्टर्स की जरूरत है। जबकि दो अन्य सीएचसी में कार्डियक डॉक्टर की तलाश है। लेकिन अभी तक विभाग को सफलता हाथ नहीं लगी है।
केस-2 बिना डॉक्टर कैसे चलेगा ट्रामाकुंभ से पहले बेली हॉस्पिटल में मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए ट्रामा सेंटर बनाया गया है। करोड़ों के लागत की इस बिल्डिंग में कुल एक दर्जन डॉक्टर्स की जरूरत है। लेकिन अभी तक यह रिक्वॉयरमेंट पूरी नहीं हो पाई है। माना जा रहा है कि इस कमी के चलते ट्रामा सेंटर कुंभ में अपनी सेवाएं नहीं दे पाएगा।
केस-3 मजबूरी में तेलियरगंज जाते हैं मरीज इसी तरह बेली हॉस्पिटल की चेस्ट विंग में एक भी फिजीशियन मौजूद नहीं है। डॉ। सीपी वर्मा के जिला क्षय रोग अधिकारी बनने के बाद टीबी के मरीजों को इलाज के लिए मजबूरन तेलियरगंज टीबी हॉस्पिटल जाना पड़ता है। वहीं, रेडियोलॉजी विंग में महज एक रेडियोलॉजिस्ट होने की वजह से मरीज काफी परेशान हो रहे हैं। एक अन्य डॉक्टर की तैनाती नहीं होने से रोजाना दो दर्जन मरीजों वापस लौटना पड़ता है। केस-4 कोर्स शुरू कराना हुआ मुश्किल हॉस्पिटल्स में बेहतर डॉक्टर्स की तैनाती के लिए स्वास्थ्य विभाग डीएनबी कोर्स चालू करना चाहता है। इस कोर्स के लिए विभाग को तीन फैकल्टी मेंबर्स की जरूरत है। अफसोस की अभी तक किसी ने ज्वॉइन नहीं किया। ऐसे में नए स्टूडेंट्स को पढ़ाई में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार प्रत्येक फैकल्टी को 90 हजार परमंथ सैलरी देने को तैयार है।सरकार ने अब बीडिंग के आधार पर नियुक्ति शुरू कर दी है। जो डॉक्टर जितनी दूर जाएगा उसे उतना भुगतान किया जाएगा। यही कारण है कि कुछ जगहों पर बेहतर सैलरी दी जा रही है। ऐसे में डॉक्टर्स को ज्वॉइन कराने की पूरी कोशिश की जा रही है।
-वीके सिंह, डीपीएम, एनएचएम