-नोटबंदी के दौरान पब्लिक को झेलनी पड़ी थी तमाम दिक्कतें अब हर ओर गूंज रहा कैशलेस-पास में कैश न होने पर लोग क्रेडिट व डेबिट कार्ड से पेमेंट कर अपने काम को बना रहे आसान-आठ नवंबर 2016 को आधी रात से चलन में बाहर हुए थे पांच सौ व हजार के नोट

VARANASI

नोटबंदी के दौरान कुछ महीने लोगों को हुई परेशानी अब उन्हें पता नहीं चल रही। एटीएम कैश से फुल है तो हर ओर अब कैशलेस की गूंज सुनाई पड़ने लगी है। देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की दिशा में पीएम मोदी के इस डिसीजन को पब्लिक सलाम कर रही है। अब कुछ भी खरीदना हो तो पास में कैश नहीं होने की दशा में टेंशन लेने की जरूरत नहीं पड़ रही, लोग क्रेडिट व डेबिट कार्ड से पेमेंट कर अपना काम आसान कर पा रहे हैं। आइए, जानते हैं साल भर में कितने बदले बैंक, कितने बदले हम और कितना मजबूत हुआ कारोबार।

 

 

जमा हुआ था पांच हजार करोड़

नोटबंदी के बाद बनारस के फ्9 बैंकों की साढ़े चार सौ ब्रांचेज ने आरबीआई में फ्0 दिसंबर तक पांच हजार करोड़ से ज्यादा की राशि जमा कराई थी। लोगों के पास कैश की किल्लत होने पर स्वाइप मशीनों का चलन शोरूम्स से लेकर शहर भर में लगने वाले एग्जिबिशन तक में तेजी से चला। पेट्रोल पंप से लेकर गैस डिलेवरी तक कैशलेस की राह पर दौड़े। अब हाल यह है कि तमाम प्रतिष्ठान, होटल, मॉल्स, स्कूल्स आदि में दिनों दिन कैशलेस की गाड़ी बढ़ती ही जा रही है। एटीएम की संख्या भी पहले से अब और बढ़ी है।

 

 

अब कैश की किल्लत नहीं

नोटबंदी के दौरान लगभग तीन माह तक बनारसी साड़ी कारोबार पूरी तरह से प्रभावित रहा। एक हजार करोड़ सालाना का टर्न ओवर करने वाले साड़ी कारोबार को सौ करोड़ का झटका लगा था। वस्त्र उद्योग से जुड़े जानकार बताते हैं कि तीन माह तक कैश की किल्लत बरकरार रही, मगर अब ऐसी सिचुएशन नहीं है।

 

 

किराना बाजार अब हुआ गुलजार

पूर्वाचल भर को जोड़ने वाली विशेश्वरगंज की मंडी भी नोटबंदी के दौरान सन्नाटे में चली गई थी। डेली यहां पचास लाख का माल बिकता था लेकिन इस दौरान मंडी लगभग ढाई से तीन माह तक बेजार रही। लेकिन जैसे-जैसे कैश की उपलब्धता होती गई मंडी में रौनक बढ़ती गई। बड़े रकम को लेकर अब कोई टेंशन नहीं है। लगभग 70 परसेंट कारोबारी डिजिटल पेमेंट का सहारा ले रहे हैं।

 

 

थम गए थे गाडि़यों के चक्के

ट्रांसपोर्ट बिजनेस पर भी नोटबंदी का असर था, टोल टैक्स में छूट थी मगर, ड्राइवर-हेल्पर को जरूरी सामानों के लिए नए नोट नहीं होने के कारण परेशानियां झेलनी पड़ी थी। कारण, तीन से चार सौ ट्रक सहित अन्य गाडि़यों के चक्केकई माह तक थमे थे। पचास करोड़ से अधिक का नुकसान झेलना पड़ा था।

 

 

नो कैश, नो प्रॉब्लम

नोटबंदी से पहले हर कोई साथ में कैश लेकर चलता था। हर छोटी-बड़ी खरीदारी के लिए कैश ही निकालना पड़ता था, मगर अब ऐसे हालात नहीं हैं। नो कैश, नो प्रॉब्लम की तर्ज पर लोग आगे बढ़ रहे हैं। होटल्स, रेस्टोरेंट, शोरूम्स, पेट्रोल पंप, मेडिकल स्टोर, स्कूल-कॉलेजेज में अब कैश जमा करने को लेकर टेंशन नहीं रह गई है। सिर्फ पास में क्रेडिट या डेबिट कार्ड हो तो लोग पेमेंट आसानी से कर पा रहे हैं। डिजिटल ट्रांजेक्शन से पादर्शिता आई है। इसका सीधा असर रेवन्यू पर पड़ा है। यही कारण है कि बैंकों में अब उतनी भीड़ नहीं देखने को मिलती।

 

 

 

उद्योग व व्यापार जगत पर नोटबंदी का सकारात्मक असर यह पड़ा है कि अब कारोबारी अपने पूरे लेनदेन को पारदर्शी बना रहे हैं। इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा है।

जय प्रद्धवानी, चार्टर्ड एकाउंटेंट

 

 

बनारसी साड़ी कारोबार पूरी तरह से प्रभावित था, लगभग सौ करोड़ के टर्न ओवर पर ब्रेक लग गया था। नोटबंदी का दौर सुनामी से कम नहीं था।

राजन बहल, महामंत्री

बनारसी साड़ी वस्त्र एसोसिएशन

 

 

 

कैशलेस को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। बहुत से शोरूम्स में अभी भी स्वाइप मशीनों का अकाल है। खास कर मॉल में स्वाइप मशीन की किल्लत है।

जया राठी, भेलूपुर

 

 

नोटबंदी के बाद एटीएम में कैश की किल्लत है। अधिकतर दो हजार के नोट ही एटीएम से निकल रहे हैं। छोटे नोट भी होने चाहिए।

तपस्या सिंह, स्टूडेंट

 

 

कैशलेस की दिशा में अभी और बढ़ोतरी की जानी चाहिए। कुछ शोरूम्स में स्वाइप मशीन तो है लेकिन पेमेंट लेने में असमर्थ है।

विशाल दुबे, मलदहिया

Posted By: Inextlive