ऋण संकट के दलदल में फंसे ग्रीस की‍ स्थिति अब एक-एक पल और भी ज्‍यादा खराब होती जा रही है। स्थिति के साथ ही साथ ग्रीस सरकार व यूरोपीय संघ के बीच समझौते की समय सीमा भी करीब आने को है। बड़ी बात तो ये भी है कि कुछ इस तरह से बिगड़ती अर्थव्‍यवस्‍था के मद्देनजर बीते कुछ सालों में यूनानियों के बीच में देश को छोड़ने का भी चलन बढ़ निकला है।

जानकारी है कुछ ऐसी
गौर करें तो साल भीतर करीब 90 हजार लोगों ने सुखद और बेहतर भविष्य की आस को लेकर देश छोड़ कहीं और बसने का फैसला ले लिया है। बता दें कि यह संख्या देश की आबादी का कुल एक फीसदी हिस्सा है। इसी के साथ संबंधित देशों ने ग्रीस के यूरो क्षेत्र में बने रहने के लिए फिलहाल एक विस्तृत सुधार योजना को बनाने की उम्मीद जताई है।
फ्रांस और इटली ने बढ़ाए मदद के हाथ
इसको लेकर 8 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अध्यक्ष ने कहा कि IMF की ओर से ग्रीस को कोई विशेष उपचार नहीं दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में ग्रीस को ऋण स्थिरता प्राप्त करने के लिए ऋण पुनर्गठन करना ही चाहिए। वहीं दूसरी ओर, ग्रीस को दिवालिया होने से बचाने के लिए फ्रांस और इटली ने मदद के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया है। इन दोनों ही देशों की ओर से उसके सुधार प्रस्तावों की भरसक सराहना की गई है।
होगी विस्तार के साथ चर्चा
बताया जा रहा है कि शनिवार को इस तरह के सुधार प्रस्ताव पर ब्रसेल्स में यूरो जोन के सदस्य देशों के वित्त मंत्री विस्तार से चर्चा करेंगे। वहीं उससे पहले यूरोपीय संघ, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष व यूरोपियन सेंट्रल बैंक के प्रमुख भी इससे जुड़े अन्य नए सुझावों का अध्ययन गहराई के साथ करेंगे। वैसे देखा जाए तो आखिरी फैसला यूरोपीय संघ के सम्मेलन में रविवार को किया जाएगा।
आया नया प्रस्ताव
गुरुवार को ग्रीस के प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास ने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए नया प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव में उन्होंने कर और पेंशन संबंधी सुधार का खाका प्रस्तुत करते हुए बेलआउट फंड से तीन साल के लिए नया कर्ज मांगा है। वहीं फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने इस प्रस्ताव को विश्वसनीय और गंभीर बताया है। इतालवी प्रधानमंत्री मातेओ रेंजी ने भी समझौता होने की उम्मीद पर संभावना व्यक्त की है।

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Posted By: Ruchi D Sharma