Allahabad : जानते थे कि सिर्फ छह दिनों के लिए यहां आए हैं. फिर भी ढेर सारे फ्रेंड बन गए. उनके साथ वक्त कैसे बीत गया पता ही नहीं चला. एहसास भी तब हुआ जब बिछडऩे की बेला आई. एक-दूसरे को कॉन्टेक्ट नंबर शेयर किया. सोशल मिडिया पर फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट की और वादा किया कि जब भी ऐसा कोई मौका मिलेगा मिलते रहेंगे...


भविष्य में काम आएगी यहां मिली सीखसाथ तो सिर्फ एक सप्ताह का था। लेकिन, साथ बिताए हर एक पल किसी बेहतरीन लम्हे से कम नहीं लगे। किसी ने साइंस की बातें सीखीं तो कोई नए इन्वेंशन के बारे में जानने को बेताब रहा। कोई ऐसा था जिसे नोबल लॉरिएट्स से साथ बिताए पर हमेशा याद रहेंगे तो किसी ने ढेरों नए दोस्त बना डाले। यही रीजन था कि इतनी यादों के साथ जब आईआईआईटी का साइंस कान्क्लेव सैटरडे को खत्म हुआ तो सभी ने नम आंखों से विदा ली। जाते-जाते भी साइंटिस्ट्स ने साइंस से जुड़ी कई बातें बताईं। जब भी मौका मिलेगा मिलेंगे
आठ दिसंबर से शुरू हुए साइंस कान्क्लेव में स्टेट ही नहीं बल्कि देश-विदेश से आए हजारों स्टूडेंट्स ने पार्टिसिपेट किया था। इनमें एशियान, सार्क, अफ्रीका समेत सिंगापुर, वियतनाम, म्यांमार, मारीशस, केन्या, साउथ अफ्रीका, ट्यूनेशिया, घाना, अंगोला, बुरुंडी, पाकिस्तान, मलेशिया, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, ताइवान, श्रीलंका, रूस, ओमान कंट्रीज के भी स्टूडेंट शामिल थे। सभी को कान्क्लेव में आए आठ नोबल लॉरिएट्स सहित तीन दर्जन से अधिक फॉरेन साइंटिस्ट्स के साथ इंटरैक्ट करने का मौका मिला। छात्रों ने कहा यहां बिताए पल हमेशा याद आएंगे। यहां पर केवल और केवल साइंस की बातें हुईं और ऐसे बहुत से सवालों के जवाब मिले जिनके बारे में किताबों में भी जिक्र नहीं था। उन्होंने नेक्स्ट इयर होने वाले सातवें साइंस कान्क्लेव में भी आने की इच्छा भी जताईदोस्ती की है तो निभाएंगे भीसाइंस कान्क्लेव के दौरान ऐसे बहुत से पार्टिसिपेंट्स थे जिनके बीच फ्रेंडशिप भी हुई। ये अलग-अलग शहरों के नहीं, डिफरेंट कंट्रीज के भी थे। उन्होंने बताया कि अब दोस्ती की है तो निभाएंगे भी। ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में सोशल मीडिया  के रहते एक-दूसरे के टच में रहना मुश्किल भी नहीं है। स्टूडेंट्स ने कहा कि सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स पर एक-दूसरे बातें होती रहेंगी। इतना ही नहीं स्टूडेंट्स ने एक-दूसरे को अपने देश में आने का इनविटेशन भी दे डाला। वर्ष 2126 में धरती से टकरा सकता है धूमकेतु


सैटरडे को फस्र्ट सेशन में प्रो। नर्लीकर ने कहा कि धरती पर डायनासोर प्रजाति का अंत धूमकेतु के टकराने की वजह से ही हुआ था। उन्होंने वर्ष 2126 में स्फुटिल नामक धूमकेतु के टकराने की संभावना व्यक्त की। उन्होंने 1994 में बृहस्पति गृह से सूमेकर लेवी नामक धूमकेतु के टक्कर की पिक्चर भी स्टूडेंट्स को दिखाई। बताया कि बृहस्पति की आकर्षण शक्ति पृथ्वी से अधिक है इसलिए वहां पर धूमकेतु के टकराने की घटनाएं अधिक होती हैं। पृथ्वी पर यह घटना लाखों सालों में कहीं एक बार होती है। उन्होंने 50 साल पहले सूर्य को पश्चिम से उगते हुए देखने की बात कहकर सभी को सरप्राइज भी कर दिया। हालांकि, उन्होंने बाद में बताया कि यह अल्ट्रा सोनिक स्पीड से होने वाली अदभुत घटना है और उन्होंने 50 साल पहले लंदन से शिकागो एक हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा करते हुए ऐसा देखा था। कैसे होता है कैंसर का इलाजनोबल साइंटिस्ट प्रो। आइवर ग्रीवर ने पीसीआईएस इलेक्टीकल सेल सर्विस इंपिटेड सेंसिंग सब्जेक्ट पर अपनी स्पीच दी। उन्होंने मनुष्य के शरीर में कोशिकाओं में विभाजन की प्रणाली को दिखाया और कहा कि यह जीवन के निर्माण खंड हैं और यह आपके शरीर में स्वतंत्र रूप से जीवित रहती हैं। उन्होंने कहा कि मानव शरीर में कोशिकाएं 50 बार विभाजित होकर बंद हो जाती हैं लेकिन चूहों के जीवन काल में ऐसा केवल बीस बार ही होता है। उन्होंने बताया कि डॉक्टर किस तरह से अपने अनुभव और परीक्षण के द्वारा कैंसर कोशिकाओं के छिटपुट विकास की पहचान करते हैं और इसी बेस पर कैंसर पेशेंट का ट्रीटमेंट किया जाता है। विश्वास योग्य नहीं है मौजूदा प्रणालियां

अपनी स्पीच में कम्प्यूटेशनल सिस्टम डिजाइन पर ट्यूरिंग अवार्ड विनर प्रो। जोसेफ सिफाकिस ने बताया किस प्रकार फ्यूचर में ये बेकार हो जाएंगे या चलन में रहेंगे। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय अपनाई जा रही प्रणालियां अविश्वसनीय हैं। न्यूज पेपर्स में छपी साइबर अटैक्स, बैंक ब्रीच और पॉवर शटडाउन जैसी खबरों के जरिए उन्होंने अपनी बात को प्रूव भी किया। उन्होंने कहा कि  आने वाले समय में डिजाइन पर वर्क किया जा रहा है, ताकि कम्प्यूटेशनल सिस्टम डिजाइन को विश्वास योग्य बनाया जा सके। अगली पीढ़ी की कम्प्यूटर प्रणालियों के बारे में भी उन्होंने व्याख्या की। बताया कि फ्यूचर में हवाई जहाज के पंखों में जबरदस्त परिवर्तन देखने को मिलेंगे और यह पूरी तरह से सेंसर का भंडार होंगे। सभी को मिली शाबाशीआईआईआईटी डायरेक्टर और साइंस कान्क्लेव ऑर्गनाइजिंग कमेटी के प्रेसीडेंट प्रो। एमडी तिवारी ने इवेंट के सफलातपूर्वक आयोजन के लिए स्टाफ, फैकल्टी और स्टूडेंट वालंटियर्स की तारीफ की। उन्होंने कहा कि कुल 23 कमेटियों का गठन किया गया था जिनमें सौ से अधिक स्टूडेंट्स ने दिन-रात काम किया। अंत में आईटी डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो। जीसी नंदी ने पोस्टर प्रजेंटेशन और मॉडल कॉम्पिटिशन के विनर्स के नाम एनाउंस किए। प्रो। अनुरिका वैश्य ने वोट ऑफ थैंक्स दिया।

Posted By: Inextlive