हावड़ा से खड़गपुर की ओर जाने वाली कुछ ट्रेनें रद कर दी गई हैं। रद की गईं ट्रेनों में कोरोमंडल एक्सप्रेस और फलकनुमा एक्सप्रेस का नाम भी शामिल है। वहीं पश्चिम बंगाल और नॉर्थ-ईस्ट के बीच चलने वाली ट्रेनों को पूरी तरह से ठप कर दिया गया है।


नई दिल्ली (पीटीआई/एएनआई)। पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के बीच चलने वाली ट्रेनों काे पूरी तरह से ठप कर दिया गया है। अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि ईस्टर्न रेलवे राज्य के उत्तरी क्षेत्र में अपनी सभी सेवाओं को कुछ समय के लिए बंद कर रहा है। ईस्टर्न रेलवे (ईआर) के प्रवक्ता निखिल चक्रवर्ती ने कहा कि मालदा से आगे कोई ट्रेन नहीं चल रही है। अधिकारियों ने कहा कि हावड़ा, सियालदह और कोलकाता स्टेशनों से चलकर उत्तर बंगाल की ओर जाने वाली सभी ट्रेनों को रद कर दिया गया है। उन्हें तब तक रद रखा जाएगा, जब तक यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित ना कर लिया जाए। हालांकि, उन्होंने कहा कि इन तीन स्टेशनों से अन्य जगह जाने वाली ट्रेनें हमेशा की तरह चल रही हैं। बता दें कि पश्चिम बंगाल की स्थिति को देखते हुए ईआर जोन की सभी ट्रेनें सोमवार को रद कर दी गई हैं।

हावड़ा-खड़गपुर रेलवे खंड में कई ट्रेनें रद
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को लेकर राज्य के विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर सार्वजनिक आंदोलन के मद्देनजर, सोमवार को दक्षिण पूर्व रेलवे के हावड़ा-खड़गपुर रेलवे खंड में कई ट्रेनों को रद कर दिया गया है। वहीं, हावड़ा से रद की गई ट्रेनों में हावड़ा से चेन्नई जाने वाली कोरोमंडल एक्सप्रेस और हावड़ा से सिकंदराबाद जाने वाली फलकनुमा एक्सप्रेस शामिल हैं। इसके अलावा जिन अन्य ट्रेनों को रद किया गया है, उनमें वास्कोडगामा से हावड़ा जाने वाली अमरावती एक्सप्रेस और गुवाहाटी से बंगलुरु तक जाने वाली बैंगलोर कैंटोनमेंट एक्सप्रेस भी शामिल हैं। बता दें कि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की सहमति के बाद CAB 12 नवंबर को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 बन गया।हैदराबाद रेल हादसा : कुरनूल हंड्री एक्सप्रेस से टकराई एमएमटीएस ट्रेन, 10 यात्री घायलगैर-मुस्लिम शरणार्थियों को दी जाएगी भारत की नागरिकता


अधिनियम के अनुसार, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग जो धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं, वह अब अवैध आप्रवासियों के रूप में नहीं माने जाएंगे, उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी। इसके अलावा, अधिनियम में कहा गया है कि गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को 11 साल की पूर्व आवश्यकता के बजाय पांच साल तक भारत में रहने के बाद भारतीय नागरिकता दी जाएगी। अधिनियम में ऐसे शरणार्थियों को प्रतिरक्षा देने का भी प्रस्ताव है, जो अवैध आप्रवासियों के रूप में मामलों का सामना कर रहे हैं। बता दें कि यह अधिनियम बनने के बाद से कई राज्यों में इस कानून को लेकर भारी हिंसा प्रदर्शन किया जा रहा है।

Posted By: Mukul Kumar