- सोवा रिग्पा चिकित्सा पद्धति पर तीसरे परिसंवाद में बतौर मुख्य अतिथि बोले केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू

VARANASI

खर्चीली चिकित्सा की जगह यदि परंपरागत चिकित्सा पद्धति की ओर ध्यान दें तो हम बेहतर तरीके से मानवता की सेवा कर सकते हैं। यह विचार बुधवार को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने सारनाथ स्थित केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान में व्यक्त किया। वह तृतीय अंतरराष्ट्रीय सोवा रिग्पा परिसंवाद में बतौर चीफ गेस्ट बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सोवा रिग्पा शताब्दियों से भारत के हिमालयी क्षेत्रों तथा तिब्बत में प्रचलित एक ऐसी ही चिकित्सा पद्धति है जिसका विकास बौद्ध धर्म के साथ-साथ हुआ है। जिसके कारण इस पद्धति को आध्यात्मिक परंपरा का स्वालंबन भी प्राप्त है।

जीवित हैं तो स्वस्थ रहें

उन्होंने कहा कि हम जब तक जीवित हैं तब तक शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रहें। यहीं इस चिकित्सा पद्धति का मूल मंत्र है। विभिन्न देशों से 201 प्रतिनिधियों का इस सम्मेलन में उपस्थित होना इस बात को दर्शाता है कि तिब्बती चिकित्सा पद्धति ने सम्पूर्ण विश्व में अपनी जड़ जमा ली है। भारत सरकार ने भी इस पद्धति को आधिकारिक मान्यता प्रदान कर दी है। विशिष्ट अतिथि केंद्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष प्रो। वनिथा मुरली कुमार ने कहा कि पूरे विश्व में तिब्बती चिकित्सा पद्धति प्रसारित हो रही है। इस स्थिति में हमें इस परंपरा का शुद्धता और विशेषता बनाये रखने के लिए विशेष प्रयास करना होगा। हमें अपने परंपरागत सिद्धांतों को सिद्ध करने के लिए समर्पित होकर गहन शोध करना होगा।

आधुनिक और परंपरा का संधिकाल है

वीसी प्रो नवांग समतेन ने कहा कि इस समय हम आधुनिक और परंपरा के संधिकाल से गुजर रहे हैं। हमें आधुनिक विज्ञान का उपयोग परंपरागत तिब्बती चिकित्सा पद्धति के विकास में प्रयोग करना होगा। साथ ही इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति के प्रभाव में आकर दोनों चिकित्सा पद्धति का मिश्रण न होने पाए। इनके अलावा कार्यक्रम के सह संयोजक चांगपोरी मेडिकल कॉलेज दार्जिलिंग के निदेशक डॉ टी आर थ्रोगावा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

Posted By: Inextlive