देश का करेंट अकांउट डेफिसिट मार्च क्वार्टर में तेजी से घटकर जीडीपी का 0.2 फीसदी हो गया है.


गोल्ड इंपोर्ट में लगी बंदिशों से कम हुआ कैडबिशेषज्ञों का कहना है कि गोल्ड इंपोर्ट के लिए बनाए गए कड़े नियमों से कैड को कम करने में मदद मिली है. गोल्ड इंपोर्ट इस बार महज 5.3 अरब डॉलर रहा. इसके साथ ही इंट्रेस्ट पेमेंट, डेविडेंड और प्रॉफिट देश में भेजने में बढ़ोत्तरी हुई है. इससे आरबीआई के लिए आने वाले दिनों में डॉलर की डिमांड को पूरा करने के लिए फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व बढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है. पिछले साल इस समय 3.6 था कैडमार्च 2013 में कैड जीडीपी का (18.1 बिलियन डॉलर) का 3.6 फीसदी था. जबकि इस साल यह जीडीपी (1.2 बिलियन डॉलर) का 0.2 फीसदी रह गया. इस बार एक्सपोर्ट के मुकाबले इंपोर्ट में काफी कमी देखने को मिली जिसका असर कैड पर पड़ा.बैलेंस ऑफ पेमेंट भी सुधरा
बैलेंस ऑफ पेमेंट के साथ ही विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ा है. 2013-14 में यह 7.1 अरब डॉलर बढ़ा जबकि 2012-13 मे यह सिर्फ 2.7 अरब डॉलर बढ़ा था.व्यापार में घाटे की कमी


रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक बयान में कहा कि कैड में कमी मुख्य रूप से ट्रेड में घाटे की कमी से आई. 2013-14 की चौथी तिमाही में एक्सपोर्ट 1.3 फीसदी घटकर 83.7 अरब डॉलर रहा जबकि इंपोर्ट में 12.3 फीसद की गिरावट आई और यह 114.3 अरब डॉलर रह गया.

Posted By: Shweta Mishra