दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक सीएजी के पास निजी टेलीफ़ोन कंपनियों के वित्तिय रिकॉर्ड की जांच-पड़ताल करने का अधिकार है.


इस फ़ैसले को दिल्ली में बिजली कंपनियों के खातों की ऑडिट पर भी असर पड़ेगा, जिसका आदेश दिल्ली में नई बनी आम आदमी पार्टी(आप) की सरकार ने दिया है.टू-जी स्पेक्ट्र घोटाले में आरोपों का सामना कर रही टेलीकॉम कंपनियों ने कैग के निजी कंपनियों के खातों की जांच करने के अधिकार को चुनौती दी थी. दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को उनकी दलील को ख़ारिज कर दिया.वित्तिय घाटाकैग ने 2010 में इन कंपनियों के राजस्व रिकार्ड का ब्योरा मांगा था. निजी कंपनियों ने वित्तिय घाटे की बात कही थी. इस वजह से सरकार को भी राजस्व का भारी नृक़सान हुआ था. कैग का कहना है कि ये कंपनियाँ उसी समय से सरकार के साथ राजस्व हिस्सेदारी के समझौते में हैं, इसलिए इन कंपनियों का ऑडिट होना चाहिए.


दिल्ली हाई कोर्ट ने जब ऑडिट रोकने से इनकार कर दिया तो, इन कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी, जिसने मामले को फिर हाई कोर्ट को भेज दिया.दिल्ली हाई कोर्ट के इस फ़ैसले का असर दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियों की ऑडिट पर भी पड़ सकता है.यह मामला सुनवाई के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में 22 जनवरी को सुनवाई के लिए आएगा.

दिल्ली में बिजली वितरण का काम कर रही तीन निजी कंपनियों का तर्क है कि कैग निजी कंपनियों के खातों की ऑडिट नहीं कर सकता है.एक हफ्ते पहले दिल्ली में सरकार बनाने वाले आप के नेता अरविंद केजरीवाल ने मतदाताओं से बिजली के दर घटाने का वादा किया है. चुनाव प्रचार में अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने सरकार पर बिजली वितरण कंपनियों से साठगांठ का आरोप लगाया था.

Posted By: Subhesh Sharma