PATNA : 13 साल की उम्र में शादी हो गई. 16 साल में दो बच्चे हो गए लेकिन वह हार नहीं मानी आज उसकी जिद है कि वह पढ़ लिखकर अपने बच्चों का बाल विवाह नहीं होने देगी. जो नरक उसने भोगा है वह अपनी बहन और बेटी के साथ दोहराने नहीं देगी. यह कहानी है एक निम्न वर्ग की राखी की. राखी की उम्र 17 साल है. शादी को 4 साल पूरे हो चुके हैं अब वह फिर से पढ़ना लिखना सीख रही है. सिलाई मशीन का काम सीखकर अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है. जब से उसने सुना है कि मुख्यमंत्री ने बाल विवाह के खिलाफ बिगुल बजा दिया है तब से वह बहुत खुश है. क्योंकि बाल विवाह का जो दंश उसने झेला है उसे सुनकर आपकी भी आंखें नम हो जाएंगी.

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6वीं की पढ़ाई छोड़ करा दी शादी

राखी आज भी जब उस दिन को याद करती है, उसके आंखों की कोर में आंसू छलक उठते हैं। वह 6वीं क्लास में पढ़ती थी। उसका सपना था कि वह पढ़-लिखकर एक अधिकारी बने। यही कारण था कि वह अपने क्लास में हमेशा सबसे आगे बैठती। पूछने पर एक जवाब देती, चाचा तुहुं देखवा एक दिन जब हम अफसर बन जाइव। एक दिन वह अपने घर के बाहर गुड्डे-गुडि़या की शादी का खेल खेल रही थी। अचानक उसकी मां ने आवाज लगाई बिटिया यहां आओ। वह खेलती-कूदती घर पहुंची तो देखा घर में दो अनजान लोग बैठे थे। पिता कुछ शादी की बातें कर रहे थे, तब तक राखी ने मां से कहा, मैं जाऊं वहां वरना गुड्डा गुडि़या की शादी हो जाएगी। मां का जवाब आया बिटिया 10 दिन बाद तुम्हारी शादी है। ये जो बैठे है बाबू इनके साथ। एक पल के लिए तो राखी को कुछ समझ नहीं आया और वह फिर हंसती-खेलती बाहर चली गई ।

16 साल में 2 बच्चों की मां बन गई

खेलने कूदने की उम्र में राखी की गोद में एक बेटा था। जब वह अपने सहेलियों को खेलते देखती तो उसके आंखों में आंसू आ जाते और जुबां पर एक दुआ भगवान बाल विवाह किसी का न हो। वह अपने शरीर और दिमाग को संभाल पाती कि वह फिर एक बेटी की मां बन गई। 16 साल की नन्हीं सी उम्र में उसके गोद में दो बच्चे थे। एक पल के लिए तो वह जीवन से हार चुकी थी लेकिन उसकी मुलाकाल शाहिना नाम की समाज सेविका से हुई।

अब बेटी बहन के लिए जिद

राखी की छोटी बहन 10 साल की है। अब उसे एक डर सताने लगा मेरे साथ जो हुआ है वह मेरी बहन के साथ भी होगा और मेरी बेटी के साथ। उसके इसी डर ने दिल में एक जिद को जन्म दिया। अब घर में किसी का बाल विवाह नहीं होगा, चाहे कुछ हो जाए। राखी ने सबसे पहले अपने पति को समझाया कि आगे बढ़ने के लिए उसे भी अपने पेरों पर खड़ा होना होगा। बड़ी जद्दोजहद के बाद उसके पति ने हामी भरी। अब वह केंद्र में सिलाई सीख रही है। उसने अपनी पुरानी किताबों को फिर से निकाल लिया है। शाहिना के केंद्र पर हर दिन पढ़ने जाती है। बहन को भी वहां पढ़ने के लिए भेज रही है। राखी कहती है बाल विवाह एक नरक की तरह है, जो जीते जी भुगतना होता है। किसी का बाल विवाह नहीं होना चाहिए।

Posted By: Inextlive