- मालन्यूट्रिशन के शिकार पेशेंट्स के साथ ही फैमिली मेंबर्स को भी दिया जा रहा अनाज

- राजधानी में 54000 घरों में मरीज ढूंढने गई थी टीम

- 54 मरीजों में हुई टीबी की पुष्टि

- 2025 तक टीबी को खत्म करने की योजना

रांची। टीबी का नाम सुनने के बाद ही लोगों के होश उड़ जाते हैं। किसी को टीबी होने का पता चलता है तो वह इसे छिपाने की हरसंभव कोशिश करता है, ताकि दूसरों को इस बात की जानकारी न हो जाए। इस चक्कर में वह जाने-अनजाने कई लोगों को बैक्टीरिया बांट देते हैं। जब इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, तो टीबी का बैक्टीरिया मरीज पर हावी हो जाता है। यही वजह है कि लाख कोशिशों के बावजूद टीबी के मरीजों का मिलना जारी है। इसका खुलासा तब हुआ जब डोर टू डोर सर्च अभियान चला। लोगों के घरों तक पहुंची टीम को 54 नए टीबी के मरीज मिले। तत्काल उनका इलाज शुरू कर दिया गया। वहीं उन्हें न्यूट्रीशन देने का काम भी कर दिया गया।

मरीज के साथ परिजनों को भी राशन

मालन्यूट्रीशन (कुपोषण) के शिकार मरीजों के लिए कुछ एरिया में स्पेशल ड्राइव चलाया जा रहा है। जहां मरीजों को रिकवर होने के लिए अच्छा डाइट तो दिया जा रहा है। वहीं उनके परिजनों को भी राशन उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि वे लोग भी कहीं बीमारी की चपेट में न आ जाए।

डोर टू डोर कैंपेन

2,97,942 लोगों तक पहुंची टीम

56,039 घरों को किया गया कवर

545 मरीजों को सस्पेक्टेड माना गया

54 एक्टिव केस मिले राजधानी में

हाईलाइट्स

-इलाज के दौरान न्यूट्रीशन के लिए 5640 टीबी पेशेंट को मिले 1.5 करोड़

-ट्राइबल एरिया में 4002 पेशेंट्स को वन टाइम पेमेंट 30,01,500 रुपए

-प्राइवेट डॉक्टर को 2802 पेशेंट की सूचना देने पर 9,37,000 रुपए

-मरीजों को दवा खिलाने के लिए 2802 ट्रीटमेंट सपोर्टर को मिला 28,02,000 रुपए

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2018 में मिले पेशेंट

प्राइवेट हॉस्पिटल में आए पेशेंट : 2796

गवर्नमेंट हॉस्पिटल में आए पेशेंट : 2943

ट्रीटमेंट सक्सेस रेट : 86 परसेंट

मरीजों की मौत : 67

2019 में मिले पेशेंट

प्राइवेट हॉस्पिटल : 3045

गवर्नमेंट हॉस्पिटल : 3073

ट्रीटमेंट सक्सेस रेट : 90 परसेंट

टीबी से हुई मौत : 68

हमलोग टीबी को खत्म करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। इस बीमारी को जड़ से खत्म करना है, ताकि लोग दोबारा इसकी चपेट में न आएं। डोर टू डोर एक्टिव केस फाइंडिंग के लिए अभियान चलाया गया। इसमें हमने बड़ी आबादी को कवर किया। 54 नए केस मिले और उनका इलाज शुरू कर दिया गया। जल्द ही हमलोग टीबी पर कंट्रोल कर लेंगे। इसमें लोगों का सपोर्ट भी जरूरी है। जहां तक मौत के आंकड़े है तो उसमें कई ऐसे मरीज भी थे जिनकी मौत एक्सीडेंट व अन्य कारणों से हो गई।

डॉ भवेशानंद पोद्दार, डीटीओ, रांची

Posted By: Inextlive