प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्दी ही ब्रिटेन यात्रा के लिए रवाना होने वाले हैं। इसके साथ ही एक बार फिर 800 साल पुराने विश्व के सबसे बड़े हीरे कोहिनूर की भारत वापसी की चर्चा होने लगी है। इसके साथ ही और भी पांच ऐतिहासिक महत्वा की बेशकीमती चीजें हैं जो ब्रिटेन के कब्जे में हैं और भारत पीएम मोदी से उनकी वापसी के प्रयासों की भी उम्मीद कर रहा है।

कोहिनूर हीरा
105 कैरेट का कोहिनूर हीरा तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत के दौरान क्वीन एलिजाबेथ को भेंट किया गया था। यह हीरा क्वीन के ताज में लगा है और इसकी प्रतिकृति लंदन टॉवर में रखी गई है। आंध्र प्रदेश की एक खान से निकला कोहिनूर पूरे 720 कैरेट का हुआ करता था। अलाउद्दीन खिलजी के जनरल मालिक काफ़ूर ने इसे जीता था और ये वर्षों तक खिलजी वंश के खजाने में रहा। मुगल शासक बाबर के पास पहुंचने के बाद इसने मुगलों के साथ कई सौ वर्ष बिताए। शाहजहां के मयूर सिंहासन पर अपनी चमक फैलाने के बाद कोहिनूर हीरा महाराज रंजीत सिंह के पास पहुंचा। आख़िरकार एक तोहफ़े के तौर पर कोहिनूर ब्रिटेन की महारानी को सौंपा गया और तब से ये महारानी के ताज में जड़ा हुए हैं। पहले भी समय समय पर काहिनूर की वापसी की मांग उठती रही है।

टीपू की तलवार और अंगूठी
यूं तो लंदन के ब्रिटिश म्यूज़ियम में मैसूर के राजा टीपू सुल्तान की तमाम चीज़ें मौजूद हैं। पर इनमें सबसे महत्वपूर्ण स्थान है शानदार कारीगरी से बनी उनकी एक भारी भरकम तलवार का। इसका भी पहले कई बार जिक्र हो चुका है। जल्दी भारत टीपू सुल्तान जयंती मनायी जाने वाली है और ऐसे में यदि टीपू सुल्तान की तलवार वापस आने की खबर मिल जाती है तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। वैसे टीपू की एक बेशकीमती अंगूठी भी है जिसे श्रीरंगपटनम में हुई जंग में टीपू सुल्तान की मौत के बाद ब्रितानी फौजें इंग्लैंड ले गई थीं, इसकी भी वापसी की उम्मीद भारतवासी कर रहे हैं। 

सुल्तानगंज बुद्ध
करीब 500 किलोग्राम वज़न वाली सुल्तानगंज बुद्ध की विशालकाय मूर्ति ब्रिटेन के बर्मिंघम शहर के म्यूज़ियम की शोभा बढ़ रही है। क़रीब 1500 वर्ष पुरानी ये मूर्ति पीतल की है और वर्ष 1861 में बिहार के भागलपुर ज़िले के सुल्तानगंज इलाके में रेल की पटरियां को बिछवाते समय एक अंग्रेज़ अफ़सर को मिली। गुप्त काल में बनी इस मूर्ति को देखने के लिए बौद्ध धर्म के तमाम लोग दुनिया भर से बरमिंघम की यात्रा करते हैं।

अमरावती संगमरमर की नक्काशियां
इतिहासकारों की मानें तो क़रीब 2000 वर्ष पहले इन नक्काशीदार कलाकृतियों से दक्षिण-पूर्वी भारत के एक प्रसिद्ध स्तूप का मुहाना सजा रहता था। जब वर्ष 1845 में एक ब्रितानी अधिकारी सर वॉल्टर इलियट की निगरानी में अमरावती स्थित इस स्तूप की खुदाई का काम शुरू हुआ तो 1880 के दशक में करीब 120 ऐसी नक्काशीदार कलाकृतियों को ब्रिटिश म्यूज़ियम पंहुचा दिया गया था।

सरस्वती प्रतिमा
माना जाता है कि ब्रिटिश म्यूनजियम में मौजूद हिन्दू और जैन धर्म में ज्ञान, संगीत और विद्या का प्रतीक माने जाने वाली देवी सरस्वती की यह प्रतिमा मध्य भारत के मशहूर भोजशाला मंदिरों से लाई गयी है। इतिहासकारों के अनुसार वर्ष 1886 में इस प्रतिमा को ब्रिटिश म्यूज़ियम ने अपने संरक्षण में ले लिया था।

शिवाजी की तलवार
इसी तरह मराठा राजा शिवाजी की मशहूर तलवार जगदम्बा ब्रिटेन के राजकुमार एडवर्ड सप्तम को भारत यात्रा के दौरान तोहफ़े में दी गई थी। अब ये तलवार महारानी एलिज़ाबेथ के बकिंघम पैलेस में है। कहा जाता है कि शिवाजी के पास तीन तलवारें थीं, जिनमें जगदम्बा के अलावा तूलजा और भवानी शामिल भी थीं। बताया जाता है कि भवानी अभी भी सतारा के पूर्व महाराज के पास है, जबकि तूलजा तलवार को लेकर अब तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है कि वो कहां है और उसे वास्तव में शिवाजी खुद इस्तेमाल करते थे या उनके वंशज।

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Posted By: Molly Seth