-कैंट स्टेशन पर यात्रियों के लिए नहीं है मेडिकल की कोई सुविधा

-सफर में आने वाले पैसेंजर्स को नहीं मिलती जरुरी दवाएं

अगर आप ट्रेन में सफर कर रहे हैं तो अपने साथ कुछ जरुरी दवाएं भी लेकर चलें, क्योंकि अगर बीच रास्ते में आपके सिर में दर्द या वोमेटिंग जैसी समस्या आती है तो मुश्किल हो जाएगी। क्योंकि बनारस के कैंट रेलवे स्टेशन पर फ‌र्स्ट एड की भी सुविधा नहीं है। यात्री को जरूरत पर दवा लेने स्टेशन के बाहर जाना पड़ता है। जबकि रेलवे अस्पताल में इलाज के लिए लंबी औपचारिकता के बाद ट्रीटमेंट मिलता है।

कागजों पर मेडिकल फैसिलिटीज

देश के बड़े और बिजी रेलवे स्टेशन में बनारस का कैंट स्टेशन शुमार है। यहां से रोजाना 100 से अधिक ट्रेनें गुजरती हैं। तकरीबन डेढ़ लाख यात्रियों की आवाजाही है। रोजाना तमाम यात्री किसी न किसी शारीरिक दिक्कत से जूझते हैं पर स्टेशन पर सामान्य दवा ढूंढ़े नहीं मिलती। ऐसी ही हालत मंडुआडीह स्टेशन की भी है। कहने को इसे व‌र्ल्ड क्लास स्टेशन जैसा बना दिया गया है, लेकिन यहां भी चिकित्सा व्यवस्था राम भरोसे है।

फाइलों में दबा मेडिकल स्टोर

पिछले साल भारतीय रेलवे बोर्ड की ओर से सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर मेडिकल शॉप खोलने की योजना बनाई गई थी। एक साल बीत जाने के बाद भी अभी तक स्टेशन परिसर में न तो दवा की कोई दुकान खुली है और न ही कहीं डॉक्टर व उसके स्टॉफ के बैठने का इंतजाम किया गया। यही नहीं यहां गंभीर मरीजों के लिए स्टेशन पर ह्वील चेयर है लेकिन शायद ही कभी इसका मरीजों के लिए इस्तेमाल होता हो। स्ट्रेचर कभी-कभार काम आ जाता है। कर्मचारियों का तर्क है कि रेल अफसर इस संबंध में कभी कुछ कहते ही नहीं।

कागजी कोरम बड़ा सिरदर्द

अगर ट्रेन में कोई यात्री बीमार पड़ जाये तो इलाज बिना मेमो के शुरू नहीं होता। मेमो प्रक्रिया पूरा करने में करीब आधा घंटे से ज्यादा का समय लग जाता है। तब तक बीमार यात्री तड़पता रहता है। रेलवे कर्मचारियों का कहना है कि फोन से सूचना देने पर यहां कोई स्वास्थ्य कर्मी नहीं आता। इसलिए मेमो की मांग की जाती है। जहां कागजी प्रक्रिया पूरी करने में समय जाया होता है। इसके बाद उसे रेलवे अस्पताल ले जाकर इलाज कराया जाता है।

ट्रेंस में भी नहीं व्यवस्था

नियमत: ट्रेंस के गार्ड और पैंट्री कार मैनेजर के पास प्राथमिक उपचार के लिए फ‌र्स्ट एड बॉक्स होना चाहिए। लेकिन अभी तक किसी भी ट्रेन में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं देखी जा रही है। जबकि इसके लिए रेलवे की ओर से घोषणाएं खूब की जाती है।

डिस्पेंसरी का हाल भी बेकार

वैसे तो रेलवे की ओर से कैंट स्टेशन परिसर में रिजर्वेशन हॉल के पास प्राथमिक उपचार के लिए एक डिस्पेंसरी बनाई गई है, जहां एक डॉक्टर और दो फार्मासिस्ट हैं। लेकिन ये भी दोपहर में बंद रहता है। साथ ही डिस्पेंसरी इतना कोने में है कि इसे खोजने भर में यात्री की जान चली जाए। यहां पहुंचने के लिए न कोई डिस्प्ले बोर्ड लगा है और न ही कोई साइनर। कैंट स्टेशन पर स्वास्थ्य संबंधी सहायता के लिए कोई हेल्पलाइन नंबर भी नहीं है।

एक नजर

03

से 04 बीमार केस आते है डेली स्टेशन पर

100

से अधिक ट्रेंस की आवाजाही होती है डेली यहां

1.5

लाख से ज्यादा यात्रियों का फ्लो है यहां डेली

बीमार यात्रियों के लिए स्टेशन परिसर में डिस्पेंसरी बनाई गई है। हेल्प लाइन नंबर के माध्यम से यात्री मरीजों की मदद की जाती है। स्टेशन पर केमिस्ट शॉप के लिए प्रॉसेस चल रहा है, जल्द ही टेंडर के माध्यम से केमिस्ट शॉप खोली जाएगी।

आनंद मोहन, स्टेशन निदेशक-कैंट

Posted By: Inextlive