-प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई सवालों के घेरे में

-बीते छह महीने में प्रदूषण फैलाते मिले सिर्फ 2317 वाहन

-राजधानी की हवा को जहरीला बना रहे वाहनों पर अब भी सख्त कार्रवाई का इंतजार

pankaj.awasthi@inext.co.in

LUCKNOW: राजधानी की सड़कों पर 21 लाख से ज्यादा वाहन फर्राटा भर रहे हैं। इनमें पुराने वाहनों की संख्या ठीकठाक है। लेकिन, लखनऊ ट्रैफिक पुलिस के वर्ष 2018 के आंकड़ों पर गौर करें तो तो पता चलता है इनमें से महज 2317 वाहन ही प्रदूषण फैलाने के दोषी हैं। यह हाल तब है जब सीएम से लेकर तमाम अधिकारी प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ सख्त नाराजगी जता चुके हैं। लेकिन, ऐसे वाहनों के खिलाफ राजधानी ट्रैफिक पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में है। हालांकि, इसके लिये ट्रैफिक पुलिस को ही दोष देना मुनासिब नहीं। दरअसल, संसाधनों के अभाव में ट्रैफिक पुलिस के भी हाथ बंधे हुए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि राजधानी की हवा को रोजाना जहरीला बनाने में जुटे वाहनों पर असल कार्रवाई कब होगी?

हेलमेट-सीट बेल्ट तक सिमटी कार्रवाई

1 जनवरी से लेकर 30 जून 2018 तक के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि लखनऊ ट्रैफिक पुलिस ने अपना सारा जोर बिना हेलमेट धारी बाइकसवारों व बिना सीटबेल्ट लगाए कार सवारों पर कार्रवाई करने में लगा दिया। आंकड़ों के मुताबिक, इस साल के शुरुआती छह महीनों में राजधानी में 8225 दोपहिया वाहनों का चालान किया गया, जिनके चालक बिना हेलमेट लगाए गाड़ी चला रहे थे। इनमें से 8205 वाहनों का चालान कर 3.08 लाख रुपये जुर्माना वसूला गया। जबकि, 20 गाडि़यां सीज कर दी गई। इसी तरह सीटबेल्ट न लगाने पर 7275 वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की गई। इनसे 5.62 लाख रुपये जुर्माना वसूला गया। जबकि, चार वाहनों को सीज किया गया। इसके साथ ही 2317 वाहनों को प्रदूषण फैलाने के आरोप में चालान किया गया और उनसे 1.10 लाख रुपये जुर्माना वसूला गया। जबकि, पांच वाहन सीज किये गए।

ऑपरेटर के अभाव में मशीनें ठप

प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ राजधानी में होने वाली सीमित कार्रवाई के लिये सिर्फ ट्रैफिक पुलिस को दोष देना ठीक नहीं है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक, कई साल पहले लखनऊ ट्रैफिक पुलिस को वाहनों का प्रदूषण जांचने के लिये चार मशीनें मुहैया कराई गई थीं। इनमें दो डीजल वाहनों का प्रदूषण और दो पेट्रोल वाहनों का प्रदूषण जांचने की थीं। इन कंप्यूटराइज्ड मशीनों को ऑपरेट करने के लिये चार ऑपरेटर्स को ट्रेनिंग दिलाई गई। कुछ दिन तक काम चला लेकिन, एक-एक कर सभी ऑपरेटर ट्रांसफर हो गए और नये ट्रैफिककर्मियों को ट्रेनिंग नहीं दिलाई गई। लिहाजा मशीनें ठप हो गई। मशीनों के अभाव में ट्रैफिककर्मी सिर्फ वाहनों के प्रदूषण सर्टिफिकेट देखकर ही कार्रवाई करते हैं। जिन वाहनों के प्रदूषण सर्टिफिकेट की मियाद खत्म हो गई, उनके खिलाफ चालान व जुर्माने की कार्रवाई की जाती है।

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यह होती है कार्रवाई

प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 190 (2) के तहत कार्रवाई की जाती है। इसके तहत 1000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है। वहीं, दोबारा पकड़े जाने पर जुर्माने की राशि बढ़कर दोगुनी यानि दो हजार रुपये हो जाती है।

Posted By: Inextlive