-बैन होने के बावजूद पहडि़या फल मंडी में खुलेआम बिक रहा है कार्बाइड

-आम पकाने को हो रहा धड़ल्ले से इस्तेमाल, हेल्थ के लिए खतरनाक हैं ऐसे आम

-आई नेक्स्ट के स्टिंग ऑपरेशन में हुआ खुलासा

VARANASI : पीले और रसीले आम को देखकर आप मुंह में पानी आना रोक नहीं पाते होंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि इन रसीले आम के साथ आप जहर भी अपने पेट में पहुंचा रहे हैं। वह भी ऐसा जहर को आपको कैंसर जैसी गंभीर बीमारी दे सकता है। आप के आंखों की रोशनी छीन सकता है। हमारी बातों पर यकीन नहीं हो रहा तो पढि़ए यह खबर खुद ब खुद सब जान जाएंगे।

धंधेबाजों ने 'राजा' को बना दिया जहरीला

फलों को पकाने के सबसे आम तरीका है कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग। इससे पके फल, खासतौर से आम इन दिनों सिटी के कोने-कोने में बिक रहा है। इनको लोग बड़े चाव से खा भी रहे हैं। इन फलों को खाने से गंभीर बीमारी हो सकती है। इसी वजह से कार्बाइड की सेलिंग पर बैन है। लेकिन इस बैन का कोई असर सिटी में नहीं है। यहां कार्बाइड खुलेआम बिक रहा है। इसकी बिक्री का सबसे बड़ा सेंटर है लाल बहादुर शास्त्री फल मंडी पहडि़या है। मंडी में कार्बाइड की बिक्री की इन्फार्मेशन पर जब आई नेक्स्ट ने इसकी पड़ताल की तो बात 16 आने सच निकली। स्टिंग में ऑपरेशन में क्या हुआ, आप भी जानिये से सिलसिलेवार कहानी

सीन-1

आई नेक्स्ट को जानकारी मिली की बैन के बावजूद कार्बाइड की बिक्री फल मंडी में रही ही। इसी सूचना पर आई नेस्ट टीम पहडि़या फल मंडी पहुंची। गेट पर मौजूद एक जनरल स्टोर्स पर कोल्ड ड्रिंक पिया। बातों-बातों में ओनर को बताया कि हमने ढेर सारा आम खरीदा है। इसे पकाने के लिए कार्बाइड चाहिए। यह पूछने पर कि कार्बाइड कहां मिलता है? उसने मंडी के अंदर गेट के नजदीक एक शॉप की तरफ इशारा कर दिया। साथ ही कुछ दूर पर मौजूद कुछ और दुकानों का पता बताया। आई नेक्स्ट टीम रिएलिटी चेक करने के लिए गेट से अंदर शॉप की ओर बढ़ी।

सीन-2

यहां यहां फलों के कारोबार से जुड़े तमाम सामान बिक रहे थे। शॉप पर काफी भीड़ थी। कोई पॉलिथिन खरीद रहा था तो कोई चेरी। इसी भीड़ में भी शामिल हुए। शॉपकीपर का ध्यान अपनी ओर खींचा और कहा कि हमें कार्बाइड चाहिए। उसकी ओर पचास रुपये का बढ़ा दिया। उसने इनकार कर दिया। बोला हमारा यहां कार्बाइड नहीं बिकता है। हम चौंके और दुकान से लौटकर फिर जनरल स्टोर्स पर पहुंचे। शॉपकीपर को पूरे घटना की जानकारी दी। वह मुस्कुराया और बोला, किसी अनजान को कार्बाइड नहीं देगा वो। उसे मेरा नाम बताइएगा दे देगा।

सीन-3

जनरल स्टोर्स के ओनर का नाम पता कर एक बार फिर हम मंडी के अंदर मौजूद शॉप पर पहुंचे। शॉपकीपर पहले की तरह बिजी था। इस बार हमने जनरल स्टोर्स के ओनर के नाम लेते हुए बताया कि उसने भेजा और आम को पकाने के लिए कार्बाइड चाहिए। शॉपकीपर थोड़ी देर तक कुछ सोचता रहा फिर कहा देते हैं। शायद वह हमारी असलियत परखना चाहता था। तभी एक फल व्यापारी आया उसने कार्बाइड मांगा तो शॉपकीपर ने एक ड्रम की ओर इशारा कर दिया।

सीन-4

फल के बिजनेसमेन को ड्रम की ओर जाते देख हम भी उस ओर बढ़ लिये। उसने ड्रम से ढेर सारा कार्बाइड निकाला और शॉपकीपर को रुपये देकर चला गया। अब रिपोर्टर ने ड्रम का ढक्कन खोला तो उसमें ढेर सारा कार्बाइड रखा हुआ था। उसकी तेज स्मैल की वजह से वहां रुकना मुश्किल हो रहा था। हमने भी कार्बाइड के टुकड़े निकाले और शॉपकीपर की ओर बढ़ गए। उसने कार्बाइड का वजन किया। फिर एक पॉलिथिन में भरकर हमें थमा दिया। बिना किसी परेशानी के हम कार्बाइड लेकर मंडी से बाहर आ गए।

डेली पहुंच रहे मार्केट में आम

-कार्बाइड का सबसे अधिक इस्तेमाल आम पकाने के लिए किया जाता है।

-इस वक्त आम का सीजन है। पहडि़या मंडी में डेली बड़ी संख्या में आम से लदी गाडि़यां पहुंच रही हैं।

-महाराष्ट्र, केरल आंध्रप्रदेश, गुजरात से लगभग डेली 50 से 60 ट्रक आ रहे हैं।

-इसके साथ ही पांच से दस ट्रक आम मंडी में पहुंच रहे हैं।

-बाहर से आने वाला आम कच्चा होता है।

-अढ़तिया अल्फांसो, गुलाबखास, बैगनफली, केसरआम, लंगड़ा, दशहरी, चौसा, तोतापरी आदि आम बेच रहे हैं।

-बनारस के साथ पूर्वाचल, बिहार, मध्य प्रदेश के फुटकर व्यापारी आम खरीदकर ले जाते हैं।

-मंडी में आए कच्चो आम को कार्बाइड से पकाकर मार्केट में बेंचते हैं।

ऐसे पकाते हैं आम

फल कारोबारी संजीव बताते हैं कि पका आम मंगाने पर इसके जल्दी खराब होने का डर रहता है। कच्चे आम को पकाने के लिए एक टोकरी में आम को डाला जाता है। कार्बाइड का थोड़ा टुकड़ा डाला दिया जाता है। फिर टोकरी को अच्छी तरह से पेपर या जूट की बोरी से ढक दिया जाता है। ऐसी कई टोकरी को एक कमरे में रखकर 36 से 40 घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है। इसके बाद पका आम मार्केट में आ जाता है।

फल व्यवसायी सुधीर सोनकर बतातें हैं कि 250 ग्राम कार्बाइड से 35 से 40 किलो आम पकाया जा सकता है। कुछ बड़े व्यापारी आम को बड़े से कमरे में रख देते हैं। कमरे में कार्बाइड की बड़ी मात्रा रख दी जाती है। कमरे को अच्छे से सील कर दिया जाता है। आम पकने के बाद उसे बाहर निकाल लिया जाता है। कार्बाइड से पकाने पर छिलका चटख पीला हो जाता है जिससे आम की सुंदरता भी बढ़ती है।

फल व्यवसायी पंकज पाल बताते हैं कि नेचुरल तरीके से आम पकने में सात से 15 दिन का वक्त लगता है। इतना वक्त फल को संभालकर रखना मुश्किल होता है। रुपये भी फंसे रहते हैं। आम को कार्बाइड से जल्दी के पकाकर बेच दिया जाता है।

खतरनाक है कार्बाइड

-कार्बाइड से पके आम को खाने से नर्वस सिस्टम खराब हो सकते हैं

-कैंसर जैसी बीमारी कार्बाइड से पके आम खाने से हो सकती है

-कार्बाइड से पके आम खाने से लकवा भी मार सकता है

-कार्बाइड के असर से डायरिया और दस्त आम बीमारी है

-कार्बाइड के असर से पेट दर्द भी होता है

-इसे हाथ से बार-बार छूने वाले को खुजली की शिकायत हो सकती है

-आंखों से टच होने पर रोशनी तक जा सकती है

-इसके निकलने वाली गैस से अधिक देर तक सम्पर्क में रहने वाले के फेफड़े को काफी नुकसान पहुंचता है

ऐसे करें पहचान और बचाव

-कार्बाइड से पके आम चित्तेदार होते हैं

-ऐसे आम के छिलके मामूली सिकुड़न लिये होते हैं

-कार्बाइड से पके आम में नेचुरल टेस्ट नहीं होता है

-आम को अच्छे से पानी में भीगोये बिना नहीं खाएं

-आधा से एक घंटा तक आम को पानी में डुबो कर रखें।

-मार्केट से कच्चा आम लाकर उसे पुराने न्यूज पेपर से ढक कर बंद कमरे में रख दें। लगभग एक सप्ताह या 10 दिन में आम नेचुरल तरीके से पक जाएगा।

-नेचुरल तरीके से पकाया गया आम नुकसान नहीं करता है।

यहां भी बिक रहा है कार्बाइड

-सिटी के लगभग सभी छोटी-बड़ी फल मंडियों में कार्बाइड मिलता है

-कार्बाइड सिटी के लगभग सभी मार्केट में मौजूद हैं। पहडि़या फल मंडी के आसपास की दुकान से बड़ी मात्रा में सेलिंग होती है।

-सुंदरपुर, मंडुवाडीह, लहरतारा में मौजूद शॉप से सेल होता है

-इंग्लिशियालाइन, कैंट की शॉप से भी कार्बाइड सेल होता है

-कचहरी, पाण्डेयपुर, अर्दली बाजार, पंचक्रोशी रोड में भी कार्बाइड रहा है

केला और पपीता भी हुआ जहरीला

VARANASI: कार्बाइड से आम तो पकाया ही जाता है केला और पपीता भी इससे पकाया जाने लगा है। सिटी के मार्केट में खुलेआम बेचा जा रहा है। आम की तरह ही केला और पपीता को भी पकाया जाता है। इन्हें एक टोकरी में डालकर पेपर या जूट के बोरे से अच्छी तरह से ढंक दिया जाता है। ख्भ् से फ्0 घंटे बाद केला और पपीता पक जाता है। नेचुरल तरीके से पकाने पर केला और पपीता को चार से पांच दिन का वक्त लगता है। कार्बाइड से पकाया गया केला और पपीता आम की तरह ही नुकसानदेय होता है।

हो सकती है सजा

कार्बाइड और कार्बाइड से पके फल को सेल करने पर गवर्मेट ने बैन लगा रखा है। फूड सेफ्टी एण्ड स्टैण्डर्ड एक्ट ख्00म् के तहत इस पर बैन लगाया गया है। इसे बेचने वाले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है। ऐसे करने वाले को जुर्माना के साथ छह महीने से दो साल तक की सजा हो सकती है।

Posted By: Inextlive