- विवेवचना में लापरवाही पड़ती जा रही भारी

- चार्जशीट फाइल करने में विलंब पर होगी सजा

GORAKHPUR: शहर में होने वाले क्राइम की विवेचना में ढिलाई का फायदा जेल में बंद बदमाश उठा रहे हैं। चार्जशीट फाइल करने में होने वाली देरी से अभियुक्तों को जल्दी जमानत मिल जा रही है। गोरखपुर में 37 सौ से ज्यादा मुकदमों की विवेचना पेंडिंग पड़ी है। जिसकी शिकायत मिलने पर सीनियर पुलिस अफसरों ने मॉनीटरिंग बढ़ा दी है। एडीजी का कहना है कि किसी तरह की लापरवाही सामने आने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

जमानत हो गई, बेखबर पड़े रहे थानेदार

जिले में पिछले ढाई साल के भीतर पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की है। इस दौरान लूट, मर्डर, छिनैती, रंगदारी सहित कई मामलों में बदमाशों को अरेस्ट किया गया। इनमें करीब चार सौ बदमाशों की जमानत हो चुकी है। किस थाना क्षेत्र में किस बदमाश की जमानत हुई है। इस बात की सटीक जानकारी संबंधित एरिया के एसएचओ, एसओ को नहीं को पाती। जेल से छूटे बदमाश जब कोई नया क्राइम करते हैं तो लोगों की नजर उन पर पड़ती है। हाल के दिनों में एसएसपी तक कई ऐसे मामले पहुंचे जिनमें अभियुक्तों की जमानत होने पर थाना प्रभारी को जानकारी नहीं हो पाई। बाद में जब पता लगा तो आनन-फानन में गैंगेस्टर की कार्रवाई पूरी करके गिरफ्तारी की गई। कई ऐसे अभियुक्त जेल में हैं जिनकी चार्जशीट कोर्ट में नहीं पहुंच सकी है।

3700 से ज्यादा केस, चार्जशीट की दरकार

थानों पर मुकदमों की विवेचना की रफ्तार के लिए हर माह समीक्षा बैठक होती है। लेकिन इसका खास असर नजर नहीं आता है। कई नए दरोगा अपनी केस डायरी नहीं लिख पाते। इसके लिए वह लोग रिटायर हो चुके पुलिस कर्मचारियों की मदद लेते हैं। रिटायर दरोगा, दीवान और मुंशी की मदद से पर्चा काटा जा रहा है। जबकि जिनको अपनी विवेचना पूरी करने में कोई प्रॉब्लम नहीं होती है, वह लोग खुद पर्चा काटकर कंप्यूटर में डाटा फीड कराते हैं। हालत यह है कि छोटे मामलों की विवेचनाएं भी पेंडिंग पड़ी हुई हैं। इनमें चार्जशीट, फाइनल रिपोर्ट या अन्य कोई प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी।

यह होता है नुकसान

मुकदमों की विवेचना के निस्तारण का समय 90 दिन तय है।

जेल में बंद बदमाशों को आसानी से जमानत मिल जाती है।

चार्जशीट के अभाव में पीडि़त व्यक्ति को न्याय मिलने में देरी होती है।

पुलिस स्तर पर विवेचना लंबित होने से अभियुक्तों का प्रभाव दिखता है।

कई बार जानबूझकर अभियुक्तों को लाभ देने के लिए विवेचना प्रभावित की जाती है।

क्यों आती प्रॉब्लम, क्या होनी चाहिए तैयारी

थानों पर तैनात विवेचक अपने मुकदमों को लेकर गंभीरता नहीं दिखाते।

विवेचना की प्रक्रिया पूरी हुए बिना ट्रांसफर होने से मामला पेंडिंग पड़ जाता है।

दरोगाओं को विवेचना के अतिरिक्त कई प्रकार की ड्यूटी का प्रेशर पड़ता है।

वीआईपी ड्यूटी, कानून व्यवस्था के अतिरिक्त अन्य कामों से विवेचना पेंडिंग हो जाती है।

विवेचना को समय से निस्तारित करने के लिए हर थाना, चौकी पर पर्याप्त पुलिस बल हो।

काम में लापरवाही पाए जाने पर संबंधित लोगों के खिलाफ फौरी कार्रवाई में कोताही न की जाए।

वर्जन

मुकदमों की विवेचना में लापरवाही सामने आई है। कुछ विवेचकों ने समय से चार्जशीट फाइल नहीं की इसलिए जेल में बंद अािभयुक्तों से संबंधित मुकदमों की चार्जशीट समय से कोर्ट में भेजने का निर्देश दिया गया है। इसमें किसी तरह की लापरवाही पाए जाने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी।

- दावा शेरपा, एडीजी, गोरखपुर जोन

Posted By: Inextlive