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-जीएसटी ने हस्तनिर्मित कालीन व अन्य फ्लोर कवरिंग के निर्यात पर डाला असर

-पूर्वाचल के दो हजार यूनिट में उत्पादन हुआ ठप, कालीन मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट

VARANASI

जीएसटी लागू होने से यदि किसी उद्योग पर ज्यादा असर पड़ा है तो वह है कालीन उद्योग। असर ऐसा कि अब तक लगभग एक हजार करोड़ के निर्यात के ऑर्डर कैंसिल हो चुके हैं। इससे इस उद्योग से जुड़े लाखों मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। कालीन निर्माता और निर्यातकों का मानना है कि हस्तनिर्मित कालीन व अन्य फ्लोर कवरिंग का निर्यात जीएसटी लागू होने के साथ ही बुरी तरह प्रभावित हुआ है। जीएसटी लागू होने से जॉब वर्क पर पांच परसेंट जीएसटी और कालीन बनाने से संबंधित कच्चे माल की खरीद-बिक्री पर क्ख् परसेंट टैक्स लगाया गया है, जिससे बनारस सहित भदोही, मीरजापुर, मऊ, आजमगढ़ व आस-पास के जिलों में लगभग दो हजार यूनिट में उत्पादन थम गया है। इसके चलते जहां ऑर्डर कैंसिल हुए हैं वहीं न्यू ऑर्डर भी नहीं मिल रहा है।

पूंजी खोने की सता रही चिंता

जीएसटी लागू होने के बाद कारोबार का ग्राफ इस कदर गिरा है कि पहले हुए करार के कारण खरीदारों से अधिक पैसे नहीं मिल रहे हैं। निर्यातकों ने बढ़ी हुई लागत पर ऑर्डर देने से इंकार कर दिया है। इससे कालीन उत्पादक क्षेत्र बनारस, भदोही, मीरजापुर, घोसिया, औराई, सोनभद्र, जौनपुर आदि स्थानों पर करीब पांच लाख कारीगरों और उनके परिवारों की आजीविका प्रभावित हुई है। जबकि निर्यातकों को पूंजी खोने की चिंता सताने लगी है।

निर्यात आधा होने का सता रहा डर

दरअसल, जीएसटी लागू होने के बाद उत्पादन का लागत बढ़ गया है। यही वजह है कि ऑर्डर कैंसिल हो रहे हैं। पेपर वर्क भी काफी बढ़ा है। निर्यातकों को जीएसटी लागू होने से पहले ड्यूटी ड्रॉ बैक 9.फ्0 परसेंट मिलता था, इसमें भी कटौती की तैयारी चल रही है। कालीन कारोबारियों को इस बात का संकट सताने लगा है कि यदि यही हाल रहा तो एक साल में निर्यात आधा हो जाएगा। भारत वर्तमान में विश्व बाजार में कालीन के क्षेत्र में पहले नंबर पर है, लेकिन अब यह अपनी वर्तमान स्थिति को चीन, ईरान, तुर्की, पाकिस्तान व नेपाल जैसे प्रतिस्पर्धी देशों के कारण खोने के कगार पर है। वर्तमान में बनारस, भदोही, मीरजापुर जिले का कारोबार करीब आठ हजार करोड़ का है।

जीएसटी लागू होने के बाद उत्पादन लागत बढ़ गया है। यही वजह है कि ऑर्डर कैंसिल हो रहे हैं। जीएसटी लागू होने के बाद पेपर वर्क भी काफी बढ़ा है।

रवि पटोदिया,

अध्यक्ष, आल इंडिया कारपेट मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन

जुलाई से अब तक करोड़ों के कालीन का ऑर्डर कैंसिल हुआ है। निर्यातकों ने बढ़ी हुई लागत पर ऑर्डर पूरा करने से इंकार कर दिया है। ऑर्डर कैंसिल होने से मजदूरों के पेट पर भी संकट है।

अमिताभ सिंह पूर्व अध्यक्ष

पूर्वाचल निर्यात संघ

एक नजर

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हजार करोड़ का है सालाना निर्यात

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लाख कारीगर हैं कालीन उद्योग से जुड़े

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निर्यातक हैं कालीन उद्योग से जुड़े

Posted By: Inextlive