ट्रैक के 'ट्रीटमेंट' में गैंगमैनों को टेंशन
ट्रेन की सुरक्षा का भार उठाने वालों की सुरक्षा पर नहीं है सरकार का ध्यान
ट्रैक की मरम्मत में किए जा रहे खेल से बढ़ रहे हैं ट्रेन हादसे ALLAHABAD: ट्रेन में मौजूद हजारों यात्रियों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी 25 किलोमीटर बोझ लादकर पेट्रोलिंग करने वाले ट्रैकमैन व गैंगमैनों पर रहती है। जान की बाजी लगाकर ड्यूटी करने वाले इन गैंगमैनों की रेलवे को तनिक भी परवाह नहीं है। आए दिन हो रही दुर्घटनाओं के लिए ट्रैकमैन ही जिम्मेदार ठहराए जाते हैं। जबकि गैंगमैन व ट्रैकमैनों की मानें तो इसके जिम्मेदार अधिकारी हैं। क्योंकि वे ब्लॉक लेकर ठीक से ट्रैक की मरम्मत कराने की बजाय दबाव बनाकर ट्रैक फिट होने की रिपोर्ट बनवाते हैं। रिपोर्ट में फिट, हकीकत कुछ औरपिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही रेल दुर्घटनाओं, डिरेलमेंट के संबंध में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने मंगलवार को इलाहाबाद मंडल के कुछ गैंगमैन व ट्रैकमैनों के साथ ही एनसीआर मेन्स यूनियन के पदाधिकारियों से बात की तो हादसे की वजह आईने की तरह साफ नजर आने लगी। कुछ गैंगमैनों ने नाम और फोटो न छापने की शर्त पर बात की। क्या बोले गैंगमैन और ट्रैकमैन, आप भी जानें
बातें जो निकलकर सामने आई ब्लॉक लिए बगैर, मार्जिन टाईम में होता है ट्रैक मेंटीनेंसएक ट्रेन के बाद दूसरी आने के बीच में जो टाईम मिलता है, उसी में ट्रैक रिपेयर कर फिट करना पड़ता है
समय का अभाव होने से पटरियों की मरम्मत बेहतर तरीके से नहीं हो पा रही है दिल्ली-हावड़ा रूट पर ट्रैफिक का इतना प्रेशर है कि हर पांच मिनट के बाद एक गाड़ी है पंक्चुअलिटी पर प्रभाव न पड़े इसलिए ब्लाक लेने से बचते हैं अधिकारी मुजफ्फरनगर में उत्कल एक्सप्रेस की घटना की यही वजह है। बगैर ब्लॉक लिए ट्रैक खोल कर काम चल रहा था और ट्रेन आ गई थी ट्रैकमैनों से क्षमता से ज्यादा काम कराया जा रहा है मई-जून में एकगैंगमैन से चार-चार स्लीपर लगवाए जाते हैं 40 प्रतिशत गैंगमैन व ट्रैकमैन साहब के बंगलों पर लगे हैं 30 की गैंग बनी है तो 15 बंगले पर रहते हैं सुरक्षा पर नहीं दे रहे ध्यान 25 किलोग्राम का बोझ लेकर प्रत्येक ट्रैकमैन को आठ किलोमीटर तक जाना व आना पड़ता है गैंगमैनों को अच्छे टूल दिए जाने की मांग चल रही है। लेकिन रेल मंत्रालय कोई ध्यान नहीं दे रहा है ट्रैक पर चलने के लिए शूज व हेल्मेट दिए जाने का आदेश है। लेकिन किसी भी कर्मचारी को हेल्मेट नहीं दिया गयाअंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का आदेश है कि किसी को भी मानव मल उठाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है, लेकिन ट्रैक मरम्मत के दौरान गैंगमैन ये भी करते हैं
रेलवे की रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी पीडब्ल्यूआई को हाइड्रोलिक मशीन दी गई है, लेकिन एनसीआर में एक भी पीडब्ल्यूआई को हाइड्रोलिक मशीन नहीं दी गई है ब्लाक लिए बगैर काम और लापरवाही से हर साल 60 से 70 गैंगमैन व ट्रैकमैनों की मौत एनसीआर में होती है लगभग 300 टै्रकमैन हर साल पूरे देश में मौत के मुंह में समा जाते हैं रेलवे ट्रैक काफी पुराने हैं। इन्हें बदलने की जरूरत है। ट्रैक मेंटीनेंस के निर्धारित स्टैंडर्ड को फॉलो नहीं किया जा रहा। ट्रैक का पहला रेलवे कर्मचारी है गैंगमैन। फिर भी उनकी नौकरी और ड्यूटी का सिस्टम नहीं बदला है। वीरेंद्र सिंह, मंडल अध्यक्ष, एनसीआरएमयू, इलाहाबाद नियम है कि परडे 24 में से 20 घंटे ट्रैक पर गाड़ी चले। मरम्मत के लिए मात्र चार घंटे निर्धारित हैं। लेकिन ये चार घंटे भी नहीं मिलते हैं। ट्रेनें 120 की स्पीड से भाग रही हैं तो यह गैंगमैन व ट्रैकमैनों की देन है। आरडी यादव, महामंत्री, एनसीआर मेंस यूनियनट्रैकमैन इतने अनुभवी होते हैं कि ट्रैक पर हथौड़ा लगाते ही जान जाते हैं कि कहां क्या दिक्कत है। लेकिन ब्लाक न मिलने से हल्का-फुल्का मरम्मत कर छोड़ना पड़ता है। केवल 10 परसेंट ही ब्लॉक मिलता है। 90 परसेंट वर्क मार्जिन टाईम में कराया जाता है।
शंभु लाल सारी जिम्मेदारी अधिकारियों की है। वे ट्रैक की फिटनेस रिपोर्ट देते हैं, जबकि वे अनफिट होते हैं। ट्रैकमैनों को पुराने औजार ही दिए गए हैं। जिन्हें बदले जाने की जरूरत है। राम सिंह 5749 पद गैंगमैन के स्वीकृत 2000 पद गैंग मैन के हैं वैकेंट 433 की मैन की है स्ट्रेंथ 222 पद की मैन के हैं खाली 643 पद गेटमैन के हैं स्वीकृत 76 पद गेटमैन के हैं खाली