- दिल्ली-सहारनपुर-यमुनोत्री नेशनल हाइवे के चौड़ीकरण में फर्जीवाड़े का मामला

- ईडी ने एफआईआर हासिल कर मुख्यालय को मंजूरी के लिए भेजा केस का ब्योरा

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LUCKNOW :

दिल्ली-सहारनपुर-यमुनोत्री नेशनल हाइवे के चौड़ीकरण के काम में कई राष्ट्रीयकृत बैंकों का करोड़ों रुपये का गबन करने वाली हैदराबाद की कंस्ट्रक्शन कंपनी एसईडब्ल्यू-एलएसवाई हाइवे लिमिटेड के कारनामों की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) करेगा। करीब 455 करोड़ रुपये के गबन के इस मामले में कई बैंकों के चार्टर्ड एकाउंटेंट भी जांच के दायरे में आ रहे हैं जिन्होंने नियमों को दरकिनार कर जालसाज कंपनी को करोड़ों रुपये का लोन दिलाया। ध्यान रहे कि इस मामले की जांच राज्य सरकार ने सीबीआई से कराने की सिफारिश भी की है। हाल ही में गृह विभाग ने सीबीआई को जांच शुरू करने का रिमाइंडर भी भेजा था। सीबीआई जांच शुरू होने की सूरत में राज्य सरकार के कई अफसरों की भूमिका की पड़ताल भी होगी।

मुख्यालय से मांगी मंजूरी

ईडी के सूत्रों की मानें तो बैंकों का करीब 455 करोड़ रुपये हड़प करने वाली कंस्ट्रक्शन कंपनी के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया जाना है। राजधानी स्थित ईडी के जोनल कार्यालय ने विगत 24 फरवरी को राजधानी के विभूति खंड थाने में यूपी हाइवे अथॉरिटी के जीएम शिवकुमार अवधिया द्वारा इस मामले को लेकर दर्ज करायी एफआईआर की प्रमाणित प्रति हासिल करने के बाद केस का ब्योरा नई दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय भेजा है। मुख्यालय की मंजूरी मिलते ही इसका केस दर्ज कर लिया जाएगा। मालूम हो कि यूपी हाइवे अथॉरिटी के जीएम ने पुलिस में दर्ज करायी शिकायत में कहा था कि हैदराबाद की कंस्ट्रक्शन कंपनी एसईडब्ल्यू-एलएसवाई हाइवे लिमिटेड ने वर्ष 2012 में दिल्ली-सहारनपुर-यमुनोत्री नेशनल हाइवे नंबर 57 के चौड़ीकरण का टेंडर हासिल किया था। कंपनी के प्रमोटर डायरेक्टर्स ने 14 बैंकों से इसके निर्माण के लिये लोन कॉन्ट्रैक्ट किया। थोड़ा काम करने के बाद प्रमोटर्स की नीयत खराब हो गई और उन्होंने एक तिहाई काम पूरा होने की फर्जी वर्क रिपोर्ट तैयार की और बैंकों से 603 करोड़ रुपये का लोन हासिल कर लिया। वहीं यूपी स्टेट हाइवे अथॉरिटी ने जब काम पूरा न होने पर निरीक्षण किया तो अफसरों के होश उड़ गये। पता चला कि कंपनी के प्रमोटर्स लोन के 455 करोड़ रुपये लेकर चंपत हो चुके हैं। इसके बाद हड़कंप मच गया और आनन-फानन में कंपनी के प्रमोटर, डायरेक्टर्स और लोन देने वाले सभी बैंकों के चार्टर्ड अकाउंटेंट्स समेत 18 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। वहीं राज्य सरकार ने भी विगत 14 मई को इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति कर दी।

इन बैंकों से लिया था लोन

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक, देना बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, विजया बैंक आदि।

Posted By: Inextlive