शनि के सफर पर निकले 'कैसिनी' की कहानी, जो उसमें ही समा गया
1997 में भेजा गया था धरती से15 अक्टूबर 1997 को फ्लोरिडा के केप केनवरेल एयरफोर्स स्टेशन से 'कैसिनी' अंतरिक्षयान को लॉन्च किया गया था। इस स्पेसक्रॉफ्ट को सौरमंडल में भेजने का सिर्फ एक मकसद था कि वह अबूझ पहेली बने शनि ग्रह के बारे में नई-पई जानकारियां जुटा सके। कैसिनी ने इस काम को बखूबी निभाया और शनि ग्रह की सैकड़ों तस्वीरें नासा को भेजीं।
शनि की कक्षा में प्रवेश करते ही कैसिनी ने अपना काम करना शुरु कर दिया। उसका पहला मिशन था अपने साथ जिस यात्री को ले गया, उसे चंद्रमा यानी टाइटन पर छोड़ना। यह यात्री कोई इंसान नहीं बल्िक एक रोबोट था जिसे टाइटन पर गिरा दिया गया। इसका नाम ह्यूगन्स प्रोब था। इसने टाइटन के बारे में काफी जानकारियां इकठ्ठा कर नासा को भेजी थीं। ह्यूगन्स प्रोब को टाइटन पर छोड़ने के बाद कैसिनी आगे की ओर चल पड़ा।
26 अप्रैल 2017 को कैसिनी अपने आखिरी मिशन पर निकल पड़ा। यह था छल्लों को पार कर शनि के नजदीक जाना। शनि के वायुमंडल में प्रवेश करते ही कैसिनी गैस की पतली परत के बीच अपने एंटीना को धरती की ओर सक्रिय बनाए रखने के लिए छोटे-छोटे विस्फोट करने लगा। लेकिन जैसे ही गैस की परत मोटी होती गई, यह अपनी शत-प्रतिशत क्षमता के साथ विस्फोट करने लगा और एक मिनट के अंतराल में ही पृथ्वी से यान का संपर्क टूट गया। इसके आखिरी ट्रांसमिशन ऑस्ट्रेलिया में नासा के एंटीना को मिले थे। शुक्रवार को एक लाख 13 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ग्रह पर अंतिम गोता लगाने के बाद कैसिनी खुद ही जलकर राख हो गया। इसके साथ कैसिनी का 20 साल लंबा सफर का अंत हो गया।