- आग से बचाव के लिए पटना के अधिकांश प्राइवेट हॉस्पीटल में नहीं है ठोस व्यवस्था

- आई नेक्स्ट की टीम ने खंगाले कई प्राइवेट हॉस्पीटल्स

amit.jaiswal@inext.co.in : पटना में प्राइवेट हास्पीटल की भीड़ सी है। इनमें से अधिकांश प्राइवेट हॉस्पीटल्स और नर्सिग होम्स ऐसे हैं, जहां आग लगने पर सामने होगा तबाही का मंजर। जी हां, अधिकांश प्राइवेट हॉस्पीटल की सच्चाई ये ही है। खासकर मीठापुर बस स्टैंड, एनएच-फ्0 और राजेन्द्र नगर एरिया में खुले प्राइवेट हॉस्पीटल की हालत बदतर है। आग से बचाव के लिए किसी प्रकार का ठोस इंतजाम नहीं पाया गया है। दरअसल, ट्यूजडे को राजधानी के बड़े व नामी हॉस्पीटल्स में शामिल पारस हॉस्पीटल के छठे फ्लोर पर आग लग गई थी। फायर सेफ्टी सिस्टम होने के बाद भी पूरे हॉस्पीटल में अफरा-तफरी मच गई थी। टॉप फ्लोर से लेकर ग्रांउड फ्लोर तक धुआं फैल गया था। ऐसे में वेडनसडे को आई नेक्स्ट की टीम ने मीठापुर में बस स्टैंड के आसपास और एनएच-फ्0 पर जाल की तरह फैले प्राइवेट हॉस्पीटल के फायर सेफ्टी सिस्टम की पड़ताल की। जिसमें सिर्फ एक ही बात सामने आई, छोटी सी चिंगारी भी बड़ी तबाही का मंजर सामने ला सकती है।

रूल्स जिन्हें फॉलो करन है जरूरी

पटना की फायर ब्रिगेड के अनुसार क्भ् मीटर से उंची बिल्डिंग को हाई राइज कहा जाता है। बिल्डिंग की कॉरपोरेट एरिया के अनुसार फायर सेफ्टी सिस्टम का होना बेहद जरूरी है।

क्। कमर डाउन सिस्टम

ख्। वेट राइजिंग सिस्टम

फ्। स्प्रींकलर (आग लगने पर हिट होता है, इसके बाद पानी की बौछार होती है)

ब्। स्मोक डिटेक्टर (धुआं निकलने पर अलार्म बज सके)

भ्। होज रील (हर फ्लोर पर भ्0 फीट का ब्रांच होता है)

म्। फायर एक्सटींग्सर (हर फ्लोर पर होना चाहिए)

7. इंट्री और एक्जीट के लिए दो गेट होने चाहिए

क्। श्री राज ट्रस्ट हॉस्पीटल, अपोजिट जक्कनपुर थाना

ग्राउंड प्लस फोर की बिल्डिंग है। ग्राउंड फ्लोर पर मेडिकल स्टोर, रिसेप्शन, डॉक्टर चेंबर और एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिस है। फ‌र्स्ट फ्लोर पर जनरल वार्ड है। जबकि सेकेंड फ्लोर पर आईसीयू और एनआईसीयू है। थर्ड फ्लोर और फोर्थ फ्लोर का रेसिडेंसियल यूज होता है। यहां पेशेंट की संख्या भी ठीक-ठाक दिखी। हर फ्लोर पर सीसीटीवी कैमरे भी दिखे। लेकिन मुकम्मल रूप से फायर सेफ्टी सिस्टम नहीं दिखा।

रूल्स के अनुसार

क्। कमर डाउन सिस्टम - नहीं

ख्। वेट राइजिंग सिस्टम - नहीं

फ्। स्प्रींकलर - नहीं

ब्। स्मोक डिटेक्टर - नहीं

भ्। होज रील - नहीं

म्। फायर एक्सटींग्सर - हां

7. इंट्री और एक्जीट के लिए दो गेट-नहीं

हमें नहीं पता है कि क्या-क्या लगा है.लेकिन सीज फायर वाला लगा गया है। पाइप भी लगा हुआ और सर्टिफिकेट भी दिया गया है।

एमपी प्रियदर्शी, डायरेक्टर

ख्। स्पर्श हेरिटेज हॉस्पीटल, मीठापुर बस स्टैंड के पास

- बाहर से दिखने में ये प्राइवेट हॉस्पीटल काफी अच्छा है। लेकिन अंदर फायर सेफ्टी सिस्टम के नाम पर कोई ठोस इंतजाम नहीं है। सीढि़यां बगैर रेलिंग की हैं। अगर आग लगने से इस हॉस्पीटल में अफरा-तफरी मची तो भागने के चक्कर में लोग ऐसे ही गिर के मर जाएंगे।

रूल्स के अनुसार

क्। कमर डाउन सिस्टम - नहीं

ख्। वेट राइजिंग सिस्टम - नहीं

फ्। स्प्रींकलर - नहीं

ब्। स्मोक डिटेक्टर - नहीं

भ्। होज रील - नहीं

म्। फायर एक्सटींग्सर - हां

7. इंट्री और एक्जीट के लिए दो गेट-हां

डायरेक्टर डा। विनोद कुमार विदेश गए हुए हैं। ऐसे हमारे पास फायर एक्सटींग्सर है, दो गेट भी हैं। लेकिन पाइप वाले पानी की व्यवस्था नहीं है।

संजय कुमार, मैनेजर

फ्। एपेक्स हॉस्पीटल, चांगर, एनएच-फ्0

जी प्लस थ्री की बिल्डिंग है। बाहरी बनावट काफी आकर्षित करने वाली है। लेकिन अंदर का हाल बुरा है। पतली सीढि़ है, लिफ्ट की व्यवस्था है पर स्लोपिंग नहीं बनी हुई है। अगर यहां आग लगी तो स्थिति भयावह हो सकती है।

रूल्स के अनुसार

क्। कमर डाउन सिस्टम - नहीं

ख्। वेट राइजिंग सिस्टम - नहीं

फ्। स्प्रींकलर - नहीं

ब्। स्मोक डिटेक्टर - नहीं

भ्। होज रील - नहीं

म्। फायर एक्सटींग्सर - हां

7. इंट्री और एक्जीट के लिए दो गेट-हां

हर फ्लोर पर फायर एक्सटींग्सर है। दो गेट भी है। बाकि सिस्टम के बारे में हमें नहीं पता। मैनजमेंट के लोग इन सब चीजों को देखते हैं।

डा। राकेश कुमार, डायरेक्टर

ब्। एडवांस चिल्ड्रेन हॉस्पीटल, चांगर, एनएच-फ्0

जी प्लस वन की बिल्डिंग। मेन रोड से हॉस्पीटल में जाने के लिए बांस की फट्टीयों से कच्चे रास्ते बने हैं। जहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। हॉस्पीटल की हालत खुद बीमारू टाइप की है। यहां भी फायर सेफ्टी सिस्टम दुरूस्त नहीं दिखा।

रूल्स के अनुसार

क्। कमर डाउन सिस्टम - नहीं

ख्। वेट राइजिंग सिस्टम - नहीं

फ्। स्प्रींकलर - नहीं

ब्। स्मोक डिटेक्टर - नहीं

भ्। होज रील - नहीं

म्। फायर एक्सटींग्सर - हां

7. इंट्री और एक्जीट के लिए दो गेट-हां

हम सुबह और शाम में हॉस्पीटल में रहते हैं। हॉस्पीटल में आकर बात करीए।

डा। देवांशु, डायरेक्टर

Posted By: Inextlive