सुप्रीम कोर्ट को सरकारी पिंजड़े से आजाद कराने में लगा सुप्रीम कोर्ट लगता है अपने मिशन में फेल हो जाएगा. ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि खुद सीबीआई अब इस पिंजड़े से बाहर नहीं आना चाहती.


सीबीआई निदेशक को अधिकारसुप्रीम कोर्ट भले ही सीबीआई को आजाद करने के लिए कितनी भी कोशिशें कर ले, लेकिन खुद सीबीआई पिंजड़े से बाहर आने के लिए तैयार नहीं है. टयूजडे को जारी किए गए सीबीआई के एक सर्कुलर में साफ लिखा गया है कि कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों पर सीबीआई सीधे कार्रवाई नहीं करेगी, बल्कि ऐसी शिकायतों को फॉरन गृह मंत्रालय के पास भेज दिया जाएगा. 2005 के मैनुअल में कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ शिकायतों पर कार्रवाई का निर्णय लेने का अधिकार सीबीआई निदेशक को दिया गया.2005 सीबीआई मैनुअल
संयुक्त सचिव व उससे ऊपर के अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में सुप्रीम कोर्ट से मिली खुली छूट के बाद सीबीआई ने अपने मैनुअल में संशोधनों संग नया सर्कुलर जारी किया. सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मैनुअल में काफी समय से ये प्रावधान है. उनके अनुसार शायद ये प्रावधान उस समय किया गया होगा, जब सीबीआई गृह मंत्रालय के अधीन काम करती थी. लेकिन, जांच एजेंसी की वेबसाइट पर मौजूद सीबीआई के पुराने मैनुअल से इसकी पुष्टि नहीं होती. 2005 के सीबीआई मैनुअल के चैप्टर आठ में साफ लिखा है कि पूर्व व मौजूदा मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों को अग्रिम आदेश के लिए सीबीआई निदेशक के सामने रखा जाएगा और तब तक फाइल एसपी स्तर के अधिकारी के कब्जे में रहेगी.ताजा सर्कुलर बिल्कुल उलटसुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष ही सीबीआई की तुलना पिंजड़े में बंद तोते से करते हुए उसकी आजादी पर बल दिया था. खुद सीबीआई ने भी जांच के साथ-साथ प्रशासनिक व वित्तीय ऑटोनॉमी के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई थी. लेकिन, ताजा सर्कुलर सीबीआई की आजादी की मांग से उलट है. संयुक्त सचिव व उससे ऊपर के अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोर्ट ने भले सीबीआई को छूट दे दी हो, लेकिन इसका निर्णय लेने का हक निचले स्तर के अफसरों को नहीं होगा. सर्कुलर के अनुसार ऐसा निर्णय लेने से पहले विशेष निदेशक या सहायक निदेशक को केस के बारे में निदेशक को जानकारी देना होगा.

Posted By: Subhesh Sharma