CBSE Board Exam 2021: कोरोना की दूसरी लहर के बीच इस साल बोर्ड परीक्षाएं कराने या न कराने को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री &निशंक&य द्वारा आज की गई मैराथन बैठक का कोई नतीजा नहीं निकल सका। उम्‍मीद की जा रही है कि जून के पहले हफ्ते में परीक्षा को लेकर निर्णय ले लियया जाएगा।

नई दिल्‍ली (पीटीआई)। CBSE Board Exam 2021 Dates: शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आज राज्य सरकारों से 25 मई तक विस्तृत सुझाव मांगते हुए बताया कि लंबित कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षाओं पर रविवार को एक उच्च स्तरीय बैठक में फैसला नहीं हो सका। हालांकि उन्‍होंने कहा कि इस पर अंतिम कॉल जल्द से जल्द लिया जाएगा। बता दें कि कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षाओं और उसके बाद की प्रवेश परीक्षाओं पर निर्णय लेने के लिए आज एक वर्चुअल बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में विचार-विमर्श के बाद, निशंक ने कहा, "बैठक बेहद उपयोगी रही क्योंकि हमें अत्यधिक मूल्यवान सुझाव मिले। मैंने राज्य सरकारों से 25 मई तक अपने विस्तृत सुझाव मुझे भेजने का अनुरोध किया है। मुझे विश्वास है कि हम जल्‍द ही एक साझे निर्णय पर पहुंच जाएंगे। जो कि परीक्षा के संबंध छात्रों और अभिभावकों के मन में अनिश्चितता को दूर करने के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा, "मैं दोहराना चाहता हूं कि छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा और भविष्य दोनों हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।"

राजनाथ सिंह की अध्‍यक्षता में हुई लंबी मीटिंग

बता दें कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दो घंटे से अधिक की इस बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में शामिल होने वालों में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, ​​प्रकाश जावड़ेकर और संजय धोत्रे के अलावा कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा मंत्री और सचिव शामिल थे।

दिल्ली सरकार बिना वैक्‍सीनेशन बोर्ड एग्‍जाम कराने के पक्ष में नहीं

एक तरफ केंद्रीय मंत्रियों द्वारा ली गई बैठक बेनतीजा रही, वहीं इस बैठक के दौरान दिल्‍ली सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपनी बात रखते हुए कहा कि दिल्ली सरकार सीबीएसई द्वारा 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के विकल्प तलाशने के पक्ष में नहीं है और छात्रों का टीकाकरण किए बिना इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाना एक बड़ी गलती साबित होगी।

जिद्दी इच्छाओं को पूरा करने के लिए छात्रों की सुरक्षा से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए

आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में बताया कि इस बैठक में दो विकल्पों पर चर्चा की गई। पहला ऑप्‍शन था कि प्रमुख विषयों के लिए वर्तमान प्रारूप में परीक्षा आयोजित करना और बाकी विषयों के लिए इन पेपरों में स्‍टूडेंट्स की परफॉर्मेंस के आधार पर मार्क्‍स देना शामिल था। "दूसरा ऑप्‍शन, छात्रों के होम स्‍कूल्‍स में परीक्षा आयोजित करना, उसकी अवधि कम करना और परीक्षा पैटर्न में बदलाव करना था। दिल्ली सरकार इन विकल्पों के पक्ष में नहीं है। मनीष सिसोदिया के मुताबिक हम केवल अपनी जिद्दी इच्छाओं को पूरा करने के लिए छात्रों की सुरक्षा के साथ नहीं खेल सकते हैं।&&य शिक्षा प्रणाली की अपनी मजबूरियां हैं, लेकिन विषम परिस्थितियों को देखते हुए, उन्हें अलग रखा जा सकता है।

परीक्षा आयोजित करना एक बड़ी गलती

सिसोदिया ने कहा कि "छात्रों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करके परीक्षा आयोजित करना एक बड़ी गलती साबित होगी। पहले टीका, फिर परीक्षा। देश भर में कक्षा 12 के 1.5 करोड़ से अधिक छात्र हैं और उनमें से 95 प्रतिशत सत्रह वर्ष से ऊपर के हैं। ऐसे में केंद्र को विशेषज्ञों से बात करनी चाहिए कि क्या उन्हें कोविशील्ड या कोवैक्सिन के टीके दिए जा सकते हैं। उन्होंने यही भी कहा, "कक्षा 12 के छात्रों के लिए टीकाकरण का स्थिति साफ करने के लिए केंद्र को फाइजर से भी बात करनी चाहिए। छात्रों को टीकाकरण करना जरूरी है, खासकर तब जबकि विशेषज्ञ यह बता रहे हैं कि कोरोनावायरस की तीसरी लहर बच्चों के लिए अधिक खतरनाक होगी।

Posted By: Chandramohan Mishra