बोर्ड ने सेंटर फॉर एक्सीलेंस की शुरुआत

स्कूल बोले, जरूरी है ऐसी ट्रेनिंग

Meerut। सात साल बाद सीबीएसई ने एक बार फिर दसवीं में बोर्ड एग्जाम्स के नियम को लागू कर दिया है। शिक्षा के क्षेत्र में आए बदलाव और नई तकनीक से शिक्षकों को अपडेट करवाने के लिए बोर्ड ने सेंटर फॉर एक्सीलेंस ट्रेनिंग की शुरुआत की है। साथ ही सीबीएसई ने दिसंबर 2017 से मार्च 2018 तक का ट्रेनिंग शेड्यूल भी जारी कर दिया है।

यह है फायदा

आजकल क्लासरूम में जो सब्जेक्ट या टॉपिक्स पढ़ाए जाते हैं, उनके बारे में स्टूडेंट पहले ही इंटरनेट या कोचिंग में पढ़ चुके होते हैं। ऐसे में ट्रेनिंग के जरिए टीचर्स को सब्जेक्ट या टॉपिक को समझाने की यूनीक टेक्निक बताई जाती है। इसके जरिए स्टूडेंट्स पहले से पढ़ चुके टॉपिक को भी नए सिरे से समझ सकते हैं।

सब्जेक्ट पर हो फोकस

बच्चों का ध्यान सब्जेक्ट पर फोकस करवाना टीचर्स के लिए काफी मुश्किल होता है। क्लास का एनालिसिस इस तरह से करना होता है, जिससे बच्चों का फोकस सब्जेक्ट पर बना रहे। इस तकनीक पर भी ट्रेनिंग में काफी काम होता है।

यह विषयों हैं शामिल

इस तरह की ट्रेनिंग में हिंदी, अंग्रेजी और मैथमेटिक्स जैसे बेसिक सब्जेक्ट्स के अलावा इस ट्रेनिंग शेड्यूल में क्लासरूम मैनेजमेंट, करियर गाइडेंस, लाइफ स्किल्स, स्ट्रेस मैनेजमेंट, रीमॉडल्ड स्ट्रक्चर ऑफ एसेसमेंट, इंक्लूजन एंड इंक्लूजिव स्ट्रेटजी, जेंडर सेंस्टिविटी और आईटी जैसे विषय शमिल किए गए हैं।

इनका है कहना

सीबीएसई में 7 साल बाद फिर 10वीं बोर्ड की परीक्षाएं शुरु होने जा रही है। टीचर्स को गाइडेंस की सख्त जरूरत है। ऐसे में सीबीएसई की यह ट्रेनिंग बहुत मददगार साबित होगी।

राहुल केसरवानी, सहोदय अध्यक्ष

इस तरह की ट्रेनिंग के जरिए टीचर्स का अपडेशन होता है, जिससे टीचिंग की नई टेक्नोलॉजी की जानकारी मिलती है।

सतीश शर्मा, प्रिंसिपल, मिलेनियम पब्लिक स्कूल

यह ट्रेनिंग एक अहम रोल प्ले करती है। इससे जहां टीचर्स को पढ़ाने के नए तरीके को समझने का मौका मिलता है वहीं बच्चों को भी नई तकनीक द्वारा सीखने का अवसर प्राप्त होता है।

प्रीति मल्होत्रा, प्रिंसिपल, द आर्यस स्कूल

Posted By: Inextlive