- स्कूलों में महंगी किताबों को ही दी जा रही है खासियत

- शिक्षा विभाग और सीबीएसई में पहुंच रहे शिकायती लेटर

- सीबीएसई ने 20 दिन पहले ही जारी किया था एक सर्कुलर।

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Meerut पब्लिक स्कूलों में एनसीईआरटी किताबों की जगह प्राइवेट किताबें लगाकर मोटी कमाई का खेल चल रहा है। शिक्षा विभाग में स्कूलों की शिकायतें पहुंच रही हैं, जिनमें साफ लिखा है कि स्कूल बच्चों का बोझ बढ़ाने के साथ ही पेरेंट्स की जेब पर डाका भी डाल रहे हैं। एनसीईआरटी की बुक्स लगाने के नियमों को ताक पर रख स्कूल अपनी जेबे भरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

पहुंची रहीं शिकायतें

स्कूलों में प्राइवेट किताबें लगाकर पब्लिक स्कूल मोटी कमाई का खेल कर रहे हैं। इस संबंध में शिक्षा विभाग के पास लिखित रुप से और मौखिक रुप से काफी शिकायतें पहुंच रहीं हैं। शिकायतों के अनुसार शहर के तमाम पब्लिक स्कूलों में जीटीबी, एमपीएस, शांति निकेतन, सिटी वोकेशनल, एमपीएस शास्त्रीनगर, जेपी एकेडमी, सेंट जोंस आदि स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक प्राइवेट और महंगी किताबें लगाने की ही बात सामने आ रही हैं। शास्त्रीनगर निवासी पूनम सिंह ने बताया कि उसने अभी कुछ दिन पहले भी इस बारे में डीआईओएस को कम्पलेन की थी उनके बच्चे जीटीबी में पढ़ते हैं, जहां पर सभी किताबें प्राइवेट ही लगाई जा रही हैं। वहीं थापरनगर स्थित अर्पिता ने बताया कि उनके दोनों बच्चे एमपीएस में पढ़ते हैं, उनकी सभी किताबें प्राइवेट ही हैं और बहुत ही महंगी हैं।

सीबीएसई का सर्कुलर

पब्लिक स्कूलों में प्राइवेट किताबें लगाई जा रही हैं, जिससे पेरेंट्स की जेब पर तो डाका पड़ ही रहा है। बच्चों पर भी एक्स्ट्रा कोर्स और मोटी किताबों का बोझ बढ़ रहा है। हालांकि इस बाबत में सीबीएसई ने पहले भी कई सर्कुलर के जरिए स्कूलों को निर्देश दिए हैं। बढ़ती शिकायतों को देखते हुए सीबीएसई ने भी बीते दिनों में 20 जुलाई को स्कूलों को एक सर्कुलर के जरिए एक सख्ती भरा लेटर लिखा है। लेटर में सीबीएसई ने भी माना है कि बच्चों पर किताबों का बोझ बढ़ रहा है।

आठवीं तक प्राइवेट

सीबीएसई ने स्कूलों को निर्देश के जरिए ज्यादा से ज्यादा एनसीईआरटी की बुक्स लगाने का नियम बनाया है। लेकिन इसके बावजूद भी स्कूल्स में कक्षा एक से आठ तक हर साल प्राइवेट ही किताबें लगाई जाती हैं।

बनाते हैं बहाने

स्कूल भी अपनी मोटी कमीशन के चलते प्राइवेट पब्लिशर्स से सेटिंग करते हैं। मोटी कमाई के खेल के लिए स्कूल बहाने बनाते हुए बचने का प्रयास करते हैं। स्कूल के अनुसार बाजार में एनसीईआरटी की बुक्स मिलना मुश्किल है इसलिए ही वह प्राइवेट किताबें लगाते हैं।

क्या कहते है पेरेंट्स

स्कूलों की मनमानी बढ़ती जा रही हैं, सीबीएसई भी बस सर्कुलर जारी करता है कार्रवाई नहीं। मेरे बच्चे पब्लिक स्कूल में है दोनों ही छोटी क्लासेज में है और उनको प्राइवेट बुक्स लगी हैं।

-चेतना, रजबन

स्कूलों पर किसी अधिकारी किसी सर्कुलर का कोई फर्क नहीं है। ये स्कूल अपनी मनमानी कर पेरेंट्स को लूटते रहते हैं, लेकिन उनकी कोई खैर खबर नहीं लेने वाला है।

-राजीव, सदर

स्कूलों की मनमानी पर आखिर कब लगाम लगेगी, इसके बारे में कोई कुछ कह नहीं पा रहा है। अभी सीबीएसई की एक बड़ी कांफ्रेंस चेयरपर्सन तक भी इसका जवाब नहीं दे पाई थीं।

-सुप्रिया गोस्वामी, पीएल शर्मा रोड

पेरेंट्स की जेब पर डाका डालना और मोटी कमाई का खेल करना। इस मामले में पब्लिक स्कूल नंबर वन हैं। स्कूलों को इससे मतलब नहीं कि वो बच्चों को क्या पड़ा रहे हैं। उन्हें यह मतलब है कि वह कितना कमा रहे हैं।

-कृष्ण मोहन शर्मा, अजंता कालोनी

क्या कहते हैं स्कूल

स्कूलों को किसी पेरेंट्स को परेशान करने का शोक नहीं है। हम वहीं करते हैं जो बच्चों के लिए व उनके भविष्य के लिए सही हो।

-मधु सिरोही, प्रिंसिपल ,एमपीजीएस

कोई भी स्कूल इस तरह से पेरेंट्स को परेशान नहीं करता है। यह सब उनकी गलत सोच है। स्कूल तो बच्चों का उज्ज्वल भविष्य चाहते हैं।

-कृपाल सिंह, प्रिंसिपल, एसएनवीपी

हमारे स्कूल में एनसीईआरटी की भी बुक्स हैं। ऐसा नहीं है सभी बुक्स प्राइवेट हैं। जिनकी आवश्यकता है वो ही बुक्स लगाई गई हैं, जो किसी भी बुक्स स्टेशनरी से ली जा सकती हैं।

-कपिल सूद, प्रिंसिपल, जीटीबी

स्कूल का कोई अपना पर्सनल बुक स्टोर नहीं है न ही कोई पर्सनल पब्लिशर है। वैसे भी हमने एनसीईआरटी और प्राइवेट दोनों ही बुक्स लगाई हैं।

-प्रेम मेहता, प्रिंसिपल, सिटी वोकेशनल

लगातार आती शिकायतों को देखते हुए इस संबंध में एक बैठक करने का विचार किया जा रहा है। डीएम माध्यम से आदेश आते ही एक डेट फिक्स कर जल्द ही स्कूलों की बैठक की जाएगी।

-श्रवण कुमार मिश्रा, डीआईओएस

केस-1

02 मार्च 2015 को डीआईओएस के कार्यालय पर एक शिकायत लेटर पहुंचा है, जिसमें पेरेंट्स ने शांति निकेतन और एमपीएस स्कूल में कक्षा एक से आठ तक प्राइवेट बुक्स लगाने की कम्पलेन की है।

केस- 2

तीन मई 2015 को जेडी कार्यालय पर किसान अंदोलन संस्था की लिखित शिकायत पहुंची है। जिसमें संस्था ने जीटीबी, एमपीएस और सिटी वोकेशनल स्कूल की प्राइवेट बुक्स लगाने और अपनी मनमानी करने की कम्पलेन की है।

Posted By: Inextlive