स्टूडेंट्स को बेहतर शिक्षा देने के लिए कई स्कूलों को आपस में जोड़ेंगे

GORAKHPUR: सीबीएसई स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को बेहतर शिक्षा देने की कवायद शुरू कर दी गई है. इसके लिए कई स्कूलों को आपस में जोड़ने की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है. सीबीएसई का मानना है कि सभी स्कूलों में एक समान संसाधन नहीं हैं. इसे देखते हुए स्टूडेंट्स को बेहतर शिक्षा देने के लिए नजदीक के चार से छह स्कूलों के समूह को आपस में जोड़ने का फैसला लिया है. सीबीएसई इसके लिए 'हब्स ऑफ लर्निग' प्रोसेज स्टार्ट करने जा रही है.

जुलाई तक बन जाएगा हब्स ऑफ लर्निग

सीबीएसई की माने तो जुलाई तक 'हब्स ऑफ लर्निग' बन जाएगा. इसके लिए स्कूलों का चयन और अन्य कार्य पर काम चल रहा है. स्कूलों में लिए लर्निग हब्स से जुड़ना अनिवार्य है. इसमें साथ मिलकर करिकुलम बनाना, कठिनाई होने पर को-टीचिंग, क्विज प्रतियोगिता, प्रोजेक्ट प्रस्तुति, कला प्रदर्शनी, को-करिकुलर व एक्स्ट्राकरिकुलर गतिविधियों में साथ शामिल होंगे. साथ मिलकर स्कूल वार्षिक पेडगॉजिकल करकिुलम तैयार कर उस पर पूरे साल अमल भी करेंगे. इससे स्कूलों में व्याप्त शिक्षण असामनता कम होगी, जिसका लाभ बच्चों को मिलेगा.

हर स्कूल में है अलग-अलग सुविधाएं

सीबीएसई के एक सीनियर आफिसर ने बताया कि अगर एक स्कूल में अधिक सुविधाएं और दूसरे स्कूल में कम सुविधाएं हैं तो एक स्कूल दूसरे स्कूल को अपने खेल के मैदान, शिक्षा पद्धति और अन्य जानकारी व सुविधाएं साझा कर सकेंगे. इनको हब्स ऑफ लर्निग का नाम दिया गया है. इसके लिए सीबीएसई अपनी तरफ से स्कूलों का समूह बनाएगा. इससे स्कूलों में व्याप्त शिक्षण असमानता कम होगी. जिसका लाभ बच्चों को मिलेगा. सीबीएसई के आफिसर ने बताया कि कुछ स्कूलों में शिक्षण की बेहतर व्यवस्था है तो कुछ स्कूलों में खेल के बेहतर साधन हैं तो कहीं पर सांस्कृतिक गतिविधियां बेहतरीन हैं. स्कूलों को आपस में जोड़ने से उनको यह कार्यक्रम आपस में साझा करने की सुविधा होगी.

अपने संसाधन भी साझा करेंगे.

विभिन्न स्कूल आपस में खेलकूद से लेकर प्रश्नोत्तरी और सांस्कृतिक गतिविधियों के अलावा उन अन्य गतिविधियों को शामिल करेंगे, जिससे बेहतर शैक्षणिक माहौल बने और इसका लाभ स्टूडेंट्स को मिले. सीबीएसई का मानना है कि स्कूलों में बेहतर शिक्षण और पाठ्यक्रम के बाद भी सभी स्कूलों के परीक्षा परिणाम में अंतर है. जबकि स्कूल चाहे तो आपस में सहयोग कर इसे और बेहतर कर सकते हैं.

सहोदर योजना से अलग है यह व्यवस्था

सीबीएसई के एक आफिसर ने बताया कि सीबीएसई के स्कूल पहले सहोदर योजना के तहत जुड़े थे. जिसके तहत वह आपस में प्रतिस्पर्धा, विभिन्न आयोजन व शैक्षणिक अंतर्विद्यालयी प्रतियोगी कराता था. लेकिन यह व्यवस्था सहोदर से अलग है, क्योंकि इसमें स्कूलों का चयन सीबीएसई करेगा.

एक स्कूल को बनाएंगे प्रमुख

आपसी तालमेल के साथ शिक्षा देने के अलावा एक स्कूल को मुख्य स्कूल के रूप में नामित किया जाएगा. यह अवधि दो साल की होगी. इस स्कूल के परिणाम, स्टूडेंट टीचर अनुपात नावेन्मेषी कार्य आइद को भी इसमें ध्यान रखा जाएगा. अगर स्कूलों का समूह चाहेगा तो उसीको आगे प्रमुख स्कूल में जारी रखा जाएगा. संबंधित स्कूलों को आपस में महीने में एक बार बैठक करना आवश्यक है.

Posted By: Syed Saim Rauf