PATNA: सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) क्ख्वीं की परीक्षा ख्ख् अप्रैल तक चलनी है। हालांकि फिजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ (पीसीएम) की परीक्षा हो गई है। लेकिन पिछले साल की तरह ही इस बार भी क्ब् मार्च को हुई मैथ की परीक्षा के बाद हंगामा मचा है। मामला इतना गंभीर हुआ कि लोकसभा के मौजूदा सत्र में भी इस पर बहस हुई। शिक्षाविद्, स्टूडेंट और एक्स्पर्ट सभी ने एक स्वर में स्वीकारा कि मैथ का क्वेश्चन कुछ ज्यादा ही कठिन था। विरोध की स्थिति ऐसी है कि अबतक ख्0,भ्फ्ब् स्टूडेंट ने पेटिशन साइन किया है। इस ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान की मांग है कि मैथ के मूल्यांकन में ग्रेस दिया जाए। इतने हंगामे का एक कारण आईआईटी भी है।

आईआईटी के कारण ही डिप्रेशन में स्टूडेंट

मैथ की परीक्षा खराब जाने से पीसीएम के क्0 लाख से अधिक स्टूडेंट खासे परेशान हैं। देशभर के वैसे स्टूडेंट जो ट्वेल्थ के साथ-साथ आईआईटी की तैयारी कर रहे हैं वे ज्यादा परेशान हैं। विगत साल भी छात्रों के आत्महत्या की खबरें भी आई। इस साल भी मैथ के पेपर खराब जाने के कारण स्टूडेंट डिपे्रशन में हैं। हकीकत है यह है कि देशभर के ख्फ् आईआईटी में सेलेक्शन की प्रक्रिया जेईई मेंस के साथ शुरू होती है। इसमें सफल होने के साथ-साथ वैसे स्टूडेंट जिनका ट्वेल्थ में 70 प्रतिशत से ज्यादा अंक होता है। वही जेईई एडवांस में शामिल हो सकते हैं।

प्रक्रिया की भी हो रही आलोचना

जेईई एडवांस में शामि होने के लिए हाईयर सेकेंड्री में शामिल होने के लिए 70 प्रतिशत के अधिक की अनिवार्यता की भी अब खूब आलोचना हो रही है। शिक्षाविदें का मानना है कि इसमें एवरेज स्टूडेंट भी शामिल होते रहे हैं। व्यवस्था को उसे भी ध्यान में रखना चाहिए।

भेजा जा रहा स्मृति और सीबीएसई को पेटीशन

ऐसा पहली बार हुआ है कि मैथ की परीक्षा खराब जाने के कारण ख्0 हजार से अधिक स्टूडेंट ने पेटीशन भेजा है। पेटीशन लेटर में लिखा गया है कि क्वेशचन मैथ का क्वेशचन ज्यादा ही कठिन था। यह भी लिखा गया है कि एक नंबर के जो सवाल पूछे गए वो भी टिकी थे। यहां तक कि कैलकुलेशन भी काफी टफ था। चेंज डॉट ओआरजी के जरिए स्टूडेंट और पैरेंट्स पेटीशन कैंपेन चला रहे हैं।

बदले पैटर्न पर था मैथ का क्वेश्चन

सीबीएसई एकेडमिक ईयर शुरू होने से पहले ही पेपर का ब्लू पि्रंट घोषित करती है। ब्लू पि्रंट में प्रश्नों को टॉपिक और विषय के आधार पर बांटा जाता है। लेकिन स्टूडेंट के साथ-साथ एक्स्पर्ट का कहना है कि इस बार भी बदले पैटर्न पर परीक्षा ली गई। पिछले दो साल से इस तरह का बदलाव देखने को मिल रहा है। परीक्षार्थियों का कहना है कि जब एनसीईआरटी से सवाल ही नहीं पूछे जाते हैं तो सीबीएसई एनसीआरटी के बुक्स पढने क्यों कहती है। अचानक किए गए बदलाव के कारण स्टूडेंट डिपे्रशन में हैं। इस बार आईआईटी की तैयारी करने वाले स्टूडेंट पर भी रेग्यूलर क्लास अटेंड करने का दबाव था। अब आईआईटी की तैयारी करने वाले स्टूडेंट पर 70 प्रतिशत से अधिक लाने का भी दबाव है। क्योंकि जेईई एडवांस में वही दो लाख स्टूडेंट शामिल होंगे, जिन्होंने हाईयर सेकेंड्री में 70 प्रतिशत से अधिक मा‌र्क्स लाए हों।

ये हैं आईआईटी

कानपुर, खड़कपुर, रुड़की, दिल्ली, वाराणसी, भुवनेश्वर, गांधीनगर, बॉम्बे, हैदराबाद, गुवाहाटी, इंदौर, मद्रास, पटना, जोधपुर, रोपड़, धनबाद, मंडी, रायपुर, गोवा, पालघाट, जम्मू कश्मीर, धारवाड़, तिरुपति।

साल सीटें शामिल स्टूडेंट

ख्0क्ख् 9म्ब्7 क्क्.ख्0 लाख

ख्0क्फ् 988भ् क्ब्.00 लाख

ख्0क्ब् 98म्7 क्फ्.भ्0 लाख

ख्0क्भ् 9900 क्फ्.00 लाख

ख्0क्म् क्0000 क्ख्.भ्0 लाख

ट्वेल्थ में शामिल स्टूडेंट

ख्0क्ब् - 9.ब्ख् लाख

ख्0क्भ् - क्0.ब्0 लाख

ख्0क्म् - क्0.म्7 लाख

बच्चों को डिप्रेशन में रहने की आवश्यकता नहीं है। यह जीवन की अंतिम परीक्षा भी नहंी है। आईआईटी में 70 प्रतिशत की अनिवार्यता इसलिए है कि वे एलेवंथ और ट्वेल्थ अच्छे से पढ़ें। ताकि उनका बेस मजबूत हो और वे रेग्यूलर स्कूल आएं।

डॉ। राजीव रंजन सिंह, सिटी कोऑर्डिनेटर, सीबीएसई

हमारा मैथ पेपर बहुत ही खराब गया। जबकि में आईआईटी की तैयारी भी साथ साथ कर रहा हूं। जब बच्चों को डिप्रेशन में नहीं रहने की बात की जाती है तो इस तरह का सवाल सीबीएसई पूछती ही क्यों है।

अमित मुखर्जी, स्टूडेंट

Posted By: Inextlive