शोध गंगा ऐप में पीएचडी के सबसे अधिक थिसिस किए गए हैं अपलोड

अच्छे और अधिक थीसिस अपलोड करने में सीसीएस यूनिवर्सिटी को यूपी में दूसरी और देश में 33वीं रैंक

Meerut। शोध गंगा ऐप में पीएचडी के सबसे अधिक और अच्छे थीसिस अपलोड करने में सीसीएस यूनिवर्सिटी यूपी में दूसरी और देश में 33वीं रैंक पर पहुंच गई है। इससे न केवल यूनिवर्सिटी का बल्कि यहां पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स का भी नाम रोशन हुआ है। उप पुस्तकालय डॉ। जमाल अहमद सिद्दीकी ने बताया कि यूनिवर्सिटी के अन्य स्टूडेंट्स को भी इससे प्रेरणा मिलेगी कि वे अच्छे शोध प्रस्तुत करें। ये बहुत ही खुशी की बात है कि ऑल इंडिया में भी हम जगह बना पाए।

यूपी में दूसरा नंबर

एक साल के अंदर यूपी में सीसीएस यूनिवर्सिटी के सबसे अधिक व सबसे अच्छे थीसिस शोध गंगा ऐप पर अपलोड हुए हैं। इसी कारण सीसीएस यूनिवर्सिटी यूपी में दूसरी रैंक वे देश में 33वीं रैंक पर पहुंच गई है। इस रैंकिंग के लिए यूजीसी ने यूनिवर्सिटी को बधाई भी दी है। जबकि पहले नंबर पर पूर्वाचल जौनपुर की वीर बहादुर सिंह यूनिवर्सिटी के थीसिस अपलोड हुए हैं। वहीं तीसरे नंबर बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी ने जगह बनाई है। अगर ऑल इंडिया रैंकिंग की बात करें तो 13 यूनिवर्सिटीज की दौड़ में यूपी से सीसीएसयू का 33वां रैंक आया है।

यूपी की ये यूनिवर्सिटीज रही शामिल

यूनिवर्सिटी रैक थीसिस संख्या

वीबीएस 1 8037

सीसीएसयू 2 1927

बुंदेलखंड 3 1720

लखनऊ विवि 4 779

दयालबाग 5 768

इलाहबाद विवि 6 295

अमेटी विवि 7 178

छत्रपतिसाहू महाराज 8 101

बाबू बनारसी दास 9 21

बाबूसहाब भीमराव 10 19

राजर्षि टंडन 11 16

दीनदयाल उपाध्याय 12 9

डॉ। राम मनोहर लोहिया अवध 13 1

क्या है शोध गंगा ऐप

गौरतलब है कि कुछ साल पहले पीएचडी धारकों द्वारा कॉपी-पेस्ट करके शोध प्रस्तुत कर काम चला लिया जाता था, जिससे शोध की क्वालिटी पर असर पड़ता था। ऐसे में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अपने नए सॉफ्टवेयर शोध गंगा ऐप में शोध की सीडी को अपलोड करना अनिवार्य कर दिया। जिससे अच्छे लेवल के थीसिस आने लगे हैं और कॉपी-पेस्ट के चलन पर रोक लग गई।

ये है स्थिति

दरअसल, कुछ साल पहले तक शोधार्थी को सीडी जमा नहीं करनी पड़ती थी बल्कि केवल शोध पत्र जमा करने के बाद सीधे तिथि तय हो जाती थी। जिसके बाद विशेषज्ञों द्वारा साक्षात्कार लेकर पीएचडी की डिग्री दे दी जाती थी। इसमें होता यह था कि जिस विषय पर शोध है। उससे जुड़े पुराने शोध से थोड़ा बहुत बदलाव कर ओके कर दिया जाता था। इस प्रकार एक गाइड एक साल में कई शोध करा देता था। मगर पीएचडी धारकों को पढ़ाते समय उतनी नॉलेज नहीं हो पाती, जिससे एजुकेशन का स्तर गिरता जा रहा था। इसी कारण ये ऐप बनाया गया है।

टीचर्स बोले, बेहतर कदम

यूनिवर्सिटी के प्रेस प्रवक्ता डॉ। प्रशांत कुमार ने बताया कि ऑल इंडिया की लिस्ट में भी सीसीएसयू की रैंक बेहतर आई है.यूपी में दूसरे नंबर पर स्थान बनाना दूसरों को प्रेरणा दे रहा है। वहीं इस्माईल कॉलेज की प्रिसिंपल डॉ। नीलिमा गुप्ता ने कहाकि बहुत ही अच्छी बात है कि सीसीएसयू का नाम रोशन हुआ है, उम्मीद है कि अगली बार सीसीएसयू पहली रैंक हासिल करेगी।

सॉफ्टवेयर बता देता है असलियत

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा लांच किए गए सॉफ्टवेयर शोध गंगा ऐप पर शोधार्थी को शोध की सीडी बनानी पड़ती है। यह सीडी शोध की हार्ड कॉपी केसाथ विश्वविद्यालय में जमा होती है। इसके बाद एक निर्धारित तिथि पर सीडी अपलोड कर जांच होती है। जांच के दौरान सॉफ्टवेयर बता देगा कि शोध असली है।

क्या है फायदा

यूजीसी के अनुसार इस ऐप के जरिए सही क्वालिटी के थीसिस को सिलेक्ट कर नॉलेज वाले शिक्षकों को कॉलेजों में पहुंचाना है। इसके साथ ही जिनके थिसिस अपलोड हो रहे हैं उनको प्रोत्साहन देना व अन्य स्टूडेंट्स को भी बेहतर शोध करने के लिए प्रेरित करना है।

Posted By: Inextlive