सेंसर बोर्ड ने 'मोदी का गांव' पर लगाई रोक, मेकर्स को भेजा चुनाव आयोग के पास
ऐसी आई समस्या
फिल्म को सर्टिफिकेशन के लिए सेंसर बोर्ड भेजा गया। यहां बोर्ड ने फिलहाल फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी है। दरअसल सेंसर बोर्ड के अधिकारी चाहते हैं कि रिलीज होने से पहले फिल्म के मेकर्स चुनाव आयोग और प्रधानमंत्री कार्यालय से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेकर आएं। अब फिलहाल फिल्म को चुनाव आयोग के पास भेज दिया गया है। वहीं फिल्म के मेकर्स कुछ और ही सोचते हैं।
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ऐसा कहना है फिल्म मेकर्स का
फिल्म मेकर्स का कहना है जब और दूसरी फिल्मों को रिलीज करने से पहले इस तरह के प्रमाणपत्रों की जरूरत नहीं पड़ती तो आखिर इस फिल्म के साथ ही ऐसा बर्ताव क्यों। ऐसे में फिल्म के मेकर्स के बीच सेंसर बोर्ड को लेकर काफी असंतोष है। उनका कहना है उनकी फिल्म के साथ ऐसा बर्ताव नहीं होना चाहिए।
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ऐसा दिया तर्क
फिल्म के निर्माताओं की इस बात के पीछे असल तर्क ये है कि ये फिल्म सीधे-सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ी हुई नहीं है। न ही तो ये पीएम मोदी की बायोपिक है। संदेह सिर्फ इस बात से है कि फिल्म में मुख्य किरदार की भुमिका निभा रहे एक्टर विकास महांते बिल्कुल नरेंद्र मोदी की तरह दिखाई दे रहे हैं। इसके साथ ही ये भी बताया गया है कि फिल्म के ज्यादातर हिस्सों की शूटिंग पटना, दरभंगा और मुंबई में की गई है।
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