- आबादी बढ़ती जा रही और घट रहा अनाज का उत्पादन

- जिला प्रशासन भी अनाज की खरीदारी में हुआ फेल

BAREILLY:

आबादी बढ़ने से खेत-खलिहान कंक्रीट के जंगल में तब्दील रहे हैं। लिहाजा, खेती-किसानी का दायरा भी सिमट रहा है। ऐसे में, अनाज का उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है, जो बरेली की जरूरत को पूरा करने के लिए नाकाफी है। यह चिंता का विषय भी है। इससे सरकारी अमला भी वाकिफ है, लेकिन वह बेबस है। यह वजह रही कि खरीफ की फसल के उत्पादन का इस साल जो लक्ष्य रखा गया वह लास्ट ईयर की अपेक्षा महज 0.29 प्रतिशत ही अधिक है। वहीं रबी की फसल का उत्पदान कम होने का असर गेहूं की सरकारी खरीद में देखने को मिला। सरकार के तमाम प्रयास के बावजूद लक्ष्य के सापेक्ष महज 45 फीसद गेहूं की खरीद हो सकी।

2015 में सूखा की भरपाई अभी तक नहीं

45 लाख आबादी वाले इस जिले में रबी, जायद और खरीफ तीनों सीजन की फसल की बुआई होती है। कृषि विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक खरीफ के फसलों की 28,4,854 हेक्टेयर में खेती होती हैं। वहीं रबी की खेती 23,2,644 हेक्टेयर और जायद की खेती 24,661 हेक्टेयर में होती है। मौसम के अकॉर्डिग हर वर्ष प्रत्येक फसल की खेती का अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित होता है। 2015 में सूखा पड़ने की वजह से और बुरा हाल हो गया था। जिसका असर अब तक देखने को मिला रहा है। खपत के हिसाब से इतना अनाज पैदा नहीं हो रहा है कि इसकी भरपाई की जा सके। लिहाजा, सरकारी गेहूं की खरीद भी की गई। लेकिन वह भी पूरी तरह से सफल नहीं हो सका। जिसकी वजह से आने वाले दिनों में अनाज को लेकर संकट बना रहने वाला है।

45 फीसदी ही लक्ष्य की प्राप्ति

सरकारी गेहूं की खरीद अप्रैल 2017 से 15 जून 2017 तक चली। बरेली जिला में इसके लिए 89 केंद्र खोले गए थे। राज्य खाद्य निगम और पीसीएफ ने खरीद में दिलचस्पी नहीं ली। सबसे ज्यादा विपणन शाखा खरीद कराकर लक्ष्य प्राप्ति 45 प्रतिशत तक पहुंचा दी। बरेली जिला में 2.40 लाख टन गेहूं खरीद लक्ष्य रखा गया था। लेकिन इसके सापेक्ष मात्र 1.09 लाख टन ही गेहूं की खरीद हो सकी। हालांकि मंडल की बात करें तो बरेली जिले में सबसे अधिक गेहूं की खरीद की गई। लेकिन लक्ष्य के पूरा न होने का एक कारण किसानों के यहां गेहूं की पैदावार कम होना भी रहा।

सरकारी राशन पर डिपेंड है लाखों परिवार

स्थिति यह है कि पेट भरने के लिए पात्र गृहस्थी केटेगरी के 6,73,652 परिवार और अंत्योदय केटेगरी के 99,687 परिवार सरकारी अनाज पर डिपेंड है। अनाज की कमी के चलते हजारों अपात्र लोगों ने भी धोखे से राशन कार्ड बनवा लिए थे। ताकि, उनके घर का चूल्हा जल सके। जिले में पात्र गृहस्थी परिवारों को 10011.463 मीट्रिक टन गेहूं और 4290.627 मीट्रिक टन चावल हर महीने आवंटित हो रहा है। वहीं अंत्योदय परिवार को 14953.05 मीट्रिक टन गेहूं व 19937.40 मीट्रिक टन चावल आवंटित किए जा रहे हैं।

हेल्प लाइन नम्बर जारी

जिले में अनाज की अधिक से अधिक पैदावार हो सके इसके लिए कृषि विभाग की ओर से हेल्प लाइन नम्बर भी जारी किया गया है। ताकि, अच्छी पैदावार होने से स्थिति में सुधार लाई जा सके। कृषि विभाग ने सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली योजना के अंतर्गत फसलों के रोग व कीटों के प्रकोप के निदान के लिए हेल्प लाइन नम्बर जारी किए हैं। 945225711 और 945224711 पर एसएमएस कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 24 घंटे के अंदर निदान कृषि विभाग की ओर से एसएमएस के माध्यम से उपलब्ध करा दिए जाएंगे।

जिले की स्थिति

- 28,4,854 हेक्टेयर होती है खरीफ की खेती।

- 23,2,644 हेक्टेयर होती है रबी की खेती।

- 24,661 हेक्टेयर होती है जायद की खेती।

रबी फसल उपलब्धि 2015-2016

क्षेत्रफल हेक्टेयर में, उत्पादन मैट्रिक टन एवं उत्पादकता क्विंटल प्रति हेक्टेयर में है।

फसल - क्षेत्रफल - उत्पादन - उत्पादकता

गेहूं - 20,9,611 - 61,4,160 - 29.30

जौ - 40 - 99 - 24.66

मक्का - 17 - 38 - 21.98

चना - 4 - 2 - 5.98

मटर - 374 - 370 - 9.89

मसूर - 4507 - 3574 - 7.93

अरहर - 0 - 3 - 6.56

टोटल - 21,4,553 - 61,8,240 - 28.81

खरीफ में फसल की बुवाई हेक्टेयर में

फसल - 2016 - 2017 लक्ष्य है

धान - 15,9,246 - 15,9,258

मक्का - 407 - 407

ज्वार - 149 - 149

बाजरा - 6693 - 6692

उर्द - 4555 - 4554

अरहर - 2660 - 2661

मूंगफली - 1239 - 1240

तिल - 1798 - 1798

टोटल - 17,6,247 - 17,6,759

सरकारी राशन की स्थिति

- 1700 कोटेदार है जिले में।

कार्ड होल्डर और राशन का आवंटन

- 6,73,652 पात्र गृहस्थी कार्ड होल्डर।

- 10011.463 मीट्रिक टन गेहूं।

- 4290.627 मीट्रिक टन चावल।

- 5 केजी प्रति यूनिट के हिसाब से।

- साढ़े तीन किग्रा गेहूं।

- डेढ़ किग्रा चावल।

- 99,687 अंत्योदय कार्ड होल्डर।

- 14953.05 मीट्रिक टन गेहूं।

- 19937.40 मीट्रिक टन चावल।

- 35 किग्रा प्रति कार्ड।

- 15 किग्रा केजी गेहूं।

- 20 किग्रा चावल।

किसान अच्छी पैदावार कर सके इसके लिए उनकी पूरी मदद की जाती है। मौसम के हिसाब से उन्हें फसल की बुआई करने की सलाह दी जाती है। हेल्प लाइन नम्बर भी जारी किए गए है। ताकि वह समस्या का निदान पा सके।

राम तेज यादव, जिला कृषि अधिकारी

Posted By: Inextlive