- वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने की पुरातन विज्ञान पर नए अनुसंधान व अध्ययन पर चर्चा

ALMORA: प्राचीन ऋषि परंपरा से जुड़े ध्यान, योग व मर्म चिकित्सा पद्धति पर विश्व में शोध का नया सूर्योदय भारत से ही होगा। हजारों वर्ष पुराने भारतीय चिकित्सा विज्ञान व पद्धति का लोहा अब पश्चिम भी मानने लगा है। मन व बुद्धि को एकाग्र कर ही भारत वर्ष को पुन: विश्वगुरु बनाया जा सकता है। यह बात कुमाऊं विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय सेमिनार के पहले दिन वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ। मुरली मनोहर जोशी ने कहा।

 

कुमाऊं विश्वविद्यालय के सोबन सिंह जीना परिसर के योग विभाग सभागार में शुक्रवार को 'नेशनल वर्कशॉप ऑन मर्म थैरेपी फॉर ट्रीटमेंट ऑफ वैरियस डिजीज' विषयक तीन दिनी कार्यशाला के समापन समारोह पर डॉ। जोशी ने प्राचीन भारतीय चिकित्सा विज्ञान की गहराई को छूआ। मर्म चिकित्सा पद्धति को महाभारत से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि उस महायुद्ध में आहत व हताहत सैनिक अगली सुबह फिर उठ खड़े हुए। यानी उस दौर में हजारों वर्ष पुरानी यह चिकित्सा पद्धति थी जिसमें हमारे पूर्वजों को महारथ हासिल थी। शरीर के क्षत विक्षत अंगों को त्वरित उपचार देकर प्राकृतिक अवस्था में पुनर्जीवित करने का समृद्ध चिकित्सा विज्ञान हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। यही वजह है भ्0 वर्ष पूर्व तक ध्यान योग की महत्ता को नकारने वाले पश्चिमी देशों के न्यूरो वैज्ञानिक आज उसे सत्य मान आजमाने लगे हैं।

 

स्वीकार करने लगा है विश्व

वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ। मुरली मनोहर जोशी ने कहा, बगैर रेडिएशन व हानिकारक दवाओं के इस्तेमाल के मर्म चिकित्सा, रोग को समाप्त करने में कारगर है। शरीर के कुछ खास बिंदुओं को दबाने मात्र से व्याधि खत्म करने की इस प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति के साथ ही ध्यान एवं योग की विश्व स्तर पर स्वीकार्यता की ओर भारत के कदम आगे बढ़ चुके हैं।

Posted By: Inextlive