क्लीन गंगा के लिए कई विभागों से किया करार, गंगा में नही जाएगा गंदा पानी

गंगा किनारे के गांव बनेंगे खूबसूरत, टेनरियों का पानी ट्रीट कराकर करेंगे इस्तेमाल

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ALLAHABAD: कहावत है साधु-संन्यासियों का टेक्नोलॉजी से क्या लेना-देना। टेक्नोलॉजी के बेहतरीन इस्तेमाल से गंगा की सफाई के लिए केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने जो आंकड़े जुटाए और उसके बाद गंगा सफाई की जो कार्ययोजना तैयार की, उसने सोच बदलने पर मजबूर कर दिया है। उन्होंने नमामि गंगे के तहत क्लीन गंगा मैनेजमेंट के बिंदुओं को सिलसिलेवार रखना शुरू किया तो लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली। कहा कि अभी तक उन्होंने परियोजना के फंड का यूज नहीं किया और मंत्रालयों के सहयोग से प्लान को अंजाम तक पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने वादा किया कि गंगा को स्वच्छ व निर्मल बनाकर वह अपने जीवन के राजनीतिक उद्देश्य को सफल बनाएंगी।

ट्रीटमेंट के बाद आराम से बिकेगा गंदा पानी

उन्होंने कहा कि अभी तक टेनरिया, स्लाटर हाउस, चमड़े उद्योग का दूषित पानी गंगा में बहाया जा रहा था। मंत्री गया तो एसटीपी चालू हो गई वरना डीजल का पैसा भी अधिकारी हजम कर लेते थे। हमारे मंत्रालय ने तय किया है कि इस वाटर को ट्रीट करने के बाद गंगा में डालने के बजाय मार्केट में सेल किया जाय। इस वाटर का भी मार्केट होगा यह हमने सच भी साबित कर दिखाया है। अगले 15 साल के लिए तमाम कंपनियों से हजारों करोड़ का करार किया गया है जो फैक्ट्रियों और नालों के गंदे पानी को ट्रीट करने के बाद यूज में लाएंगे। इसमें रेलवे, पावर जनरेशन समेत तमाम कंपनियां शामिल हैं।

हर मंत्रालय को सौंपा गया काम

1- बुढ़ापे में करिए गंगा सेवा

एचआरडी मिनिस्ट्री को गंगा वालंटियर्स टीम बनाने को कहा गया है। इसके तहत रिटायरमेंट के बाद ओल्ड एज पर्सस को गंगा सेवा के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जो परिवार में अकेले और उपेक्षित हैं वह गंगा की सफाई अलख जगा सकते हैं।

2- गंगा किनारे पनपेंगी औषधियां

आयुष मंत्रालय से पूछा गया है कि गंगा किनारे कौन से प्लांट लगाए जाएं। जिनके जरिए इलाज हेतु औषधियां प्राप्त की जा सकें।

3- लैब में टेस्ट नही होगा गंगाजल

अभी तक लैब में गंगाजल को टेस्ट कर उसमें प्रदूषण का लेवल आंका जाता था। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब पानी की एक्वा लाइफ मापी जाएगी। अगर गंगा में डाल्फिन, हिल्सा सहित मछलियों की प्रजाति जीवित हैं और कछुए पनप रहे हैं तो उसे शुद्ध माना जाएगा।

4- रिसर्च बताएगी पानी का राज

गंगा के जल में कभी कीड़े नही पड़ते। इस तथ्य की रिसर्च एक एजेंसी को दी गई है। जिसकी रिपोर्ट तैयार हो गई है। केंद्र की कोशिश है कि गंगाजल की इस प्रोडक्टिविटी को कैसे अधिक बढ़ाया जाए।

5- कैसे होगी आर्गेनिक फार्मिग

गंगा किनारे के गांवों में कैसे आर्गनिक फार्मिग कराई जा सकती है। इसकी रिपोर्ट कृषि विभाग से मांगी गई है। इससे गंगा किनारे के गांवों के जमीनों का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा।

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जब शरीर ने दिया आत्मा को आश्वासन

उमा भारती ने कहा कि केंद्र सरकार से हमने नमामि गंगे के नाम बीस हजार करोड़ का अनलैप्स फंड लिया है। इसके अलावा गंगा किनारे के गांवों को ओडीएफ प्लस बनाया जा रहा है। इन गांवों में घाट, फुलवारी, शौचालय विकसित करने के साथ सुंदरता को बढ़ावा दिया जाएगा। 1750 करोड़ के इस प्रोजेक्ट में 874 करोड़ अभी बाकी हैं। जिसमें से कुछ पैसा ग्राम्य विकास विभाग को देने के बाद बाकी रकम को गांवों की सुंदरता पर खर्च किया जाएगा। उन्होंने अपने संस्मरण को याद करते हुए कहा कि विहिप संरक्षक अशोक सिंघल से सात साल पहले मिली थी। तब उन्होंने कहा कि अब बूढ़ा हो गया हूं और गंगा की चिंता सताती है। तब मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि मैं गंगा का कार्य करुंगी। आप आत्मा हैं तो मैं शरीर होकर आपकी इच्छा को पूर्ण करूंगी।

तो फिर मिनरल वाटर से करिए तर्पण

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गंगा का पानी इतना प्रदूषित हो चुका है कि लोग अपने पूर्वजों का तर्पण उससे करते हैं खुद मिनरल वाटर पीते हैं। हिम्मत है तो एक लोटा गंगा का पानी पीकर दिखाएं। या तो संकल्प लें कि गंगा को दूषित नही करेंगे। फिर देखिए, आने वाले समय में गंगाजल से तर्पण के साथ उसका आचमन भी कर सकेंगे। केंद्र सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है। हमने सुप्रीम कोर्ट से गंगा की धारा छोड़ने के लिए हलफनामा दिया है जिससे उसे सूखने से बचाया जा सके।

Posted By: Inextlive