Chaiti Chhath 2020 हिंदी पंचांग अनुसार चैत्र माह केशुक्ल पक्ष की षष्ठी को चैती छठ पर्व का आरंभ हो जाता है। चार दिन चलने वाला ये चैती छठ महा पर्व इस साल 28 मार्च से 31मार्च के बीच मनाया जा रहा है।

कानपुर। Chaiti Chhath 2020: हिंदी पंचांग अनुसार, चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की षष्ठी को चैती छठ मनाई जाती है। इस साल 28 मार्च से 31मार्च के बीच चैती छठ मनाया जा रहा है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत आज नहाय-खाय से हो चुकी है। इसके अगले दिन पंचमी को व्रती खरना, षष्ठी को भगवान भास्कर को संध्या अर्घ्य एवं सप्तमी को प्रातः काल सुबह का अर्घ्य अरिपित कर पूजन करेंगे। यह पर्व बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पूर्वांचल सहित नेपाल में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। हांलाकि इस बार कोरोनावायरस के अटैक के चलते इसे उतने उत्साह और धूमधाम से मनाया जाना संभव नहीं है।

कब है पूजा मुहूर्त

छठ पूजा साल में दो बार की जाती है। पहली चैत्र में और दूसरी कार्तिक महीने में होती है। चैत्र माह की शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली छठ पूजा को चैती छठ कहते हैं। जिसका आरंभ चतुर्थी को नहाय खाय से होता है। हांलाकि इस व्रत को महिलाएं अधिक करती हैं, लेकिन मान्यता है कि जिनकी मन्नत पूरी हो उस घर के पुरुषों को भी छठ पूजा करनी चाहिए। छठी मैया को सूर्य देव की बहन मानते हैं, इसलिए जो व्यक्ति छठ पूजा में सूर्य देव की आराधना करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं छठी मैया पूरी करती हैं। साथ में घर में धन-धान्य की वर्षा होती है। इस पूजा से प्रसन्न हो कर भगवान भास्कर अच्छे स्वास्थ्य का आर्शिवाद देते हैं। इस बार नहाय खाय का शुभ मुहूर्त दिन भर है। अतः किसी समय पूजन किया जा सकता है। हांलाकि दिन के पहले पहर में सूर्य देव की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।

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ये है पूजा विधि

नहाय खाय के लिए प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ़ सफाई करके निकट के तालाब अथवा सरोवरों में स्नान किया जाता है, लेकिन इस वर्ष कोरोना वायरस के प्रभाव को फैलने से रोकने के लिए देश में 21 दिन का लॉकडाउन चल रहा है। ऐसे में घर पर ही स्नान करें और छठ व्रत का संकल्प लें। स्नान के पश्चात सूरज को जल का अर्घ्य देकर व्रत प्रारंभ करें। पूजा गृह में छठी मैया को साक्षी मानकर विधि विधानसे उनकी पूजा करें, और घर की सुख शांति एवम् समृद्धि के लिए भगवान सूर्य से प्रार्थना करें। नहाय खाय के दिन लौकी की सब्जी, अरवा चावल और चने की दाल खाना चाहिए। पहले भोजन वो करे जिसने व्रत किया हो उसके बाद परिवार के बाकी सदस्यों को खाना खाने बैठना चाहिए। व्रती के खाने के बाद घर के बाकी सदस्य खाते हैं।अगले दिन 29 तारीख को खरना होगा।

Posted By: Molly Seth