चंबल दिखाने लगी रौद्र रूप, प्रशासन का हाई अलर्ट
प्रशासनिक अधिकारियों ने चंबल किनारे गांवों का किया दौरा
कई गांवों का संपर्क मुख्यालय से टूटा खोहरी गांव में नाव से हो रहा आवागमन जैतपुर। बीते दिनों से राजस्थान में हो रही मूसलाधार बारिश के कारण कोटा बैराज बांध के गेट खोल दिए गए हैं। कोटा बैराज से लाखों क्यूसेक पानी आने से बाह-जैतपुर क्षेत्र स्थित चंबल नदी में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। तहसील प्रशासन द्वारा शनिवार को कई गांवों में ग्रामीणों के आवागमन के लिए स्टीमर का संचालन कराकर सहायता पहुंचाई है। वहीं प्रशासन ने चंबल किनारे गांवों में हाईअलर्ट की सूचना जारी करते हुए सतर्क रहने की नसीहत दी है।जानकारी के अनुसार राजस्थान स्थित कोटा बैराज से बीते तीन रोज से करीब एक लाख 13 हजार 103 क्यूसेक पानी चंबल नदी में छोड़ा गया है। इसके कारण चंबल नदी ने रातों रात विकराल रुप धारण कर लिया है। चंबल नदी के इस रौद्र रूप को देखकर नदी किनारे बसे गांवों में दहशत फैल गई है। गौहरा, भटपुरा, रानीपुरा गांव के लोगों का मुख्यालय से संपर्क टूट गया है। सूचना मिलते से ही तहसील प्रशासन के आला अफसर चंबल किनारे बसे गांवों का दौरा करने को सुबह से ही पहुंच गए।
प्रशासन ने चलाया स्टीमरकस्बा क्षेत्र के थाना खैड़ा राठौर के अन्तर्गत आने वाला गांव गौहरा चंबल किनारे ही बसा हुआ है। चंबल की खारों से होकर गौहरा गांव के वाशिंदे अपने घरों पर पहुंचते हैं, लेकिन बीती रात में चंबल का पानी गौहरा गांव सहित भटपुरा, रानीपुरा, गुड़ा आदि कई गांवों में आ गया, जिसके कारण लोग घरों में कैद हो गए हैं। सूचना पर तहसील प्रशासन ने ग्रामीणों की मदद के लिए स्टीमर का संचालन कराकर उनके आवागमन की व्यवस्था को बनाया है।
स्वास्थ्य विभाग की टीम भी पहुंची रातों रात चंबल नदी में बाढ़ जैसे हालात होने से गौहरा, भटपुरा, रानीपुरा के लोगों को सहायता उपलबध कराने के लिए तहसील प्रशासन ने जैतपुर सीएचसी से चिकित्सकों की एक टीम को भेजा। स्वास्थ्य विभाग की टीम स्टीमर के माध्यम से गौहरा गांव में पहुंची और करीब 95 मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण किया और उन्हें दवाएं वितरित की। जैतपुर सीएचसी से डॉ। विनय कुमार सिंह, डॉ। शैलेन्द्र सिंह, मोहनलाल, रामदास, मयंक ने अधिक से अधिक ग्रामीणों की मदद की। बॉक्स ग्रामीणों को सता रहा मगरमच्छ का डरगौहरा गांव के ग्रामीणों को सबसे ज्यादा डर मगरमच्छ व घडि़यालों का सता रहा है। गांव के ही रहने वाले संतोष ने बताया कि जब भी चंबल में इस तरह के हालात बनते हैं तो चंबल में विचरण करने वाले मगरमच्छ व घडि़याल गांवों में घुस आते हैं। उनका कहना है कि रात-रात भर जाग कर हम लोग अपने बच्चों व मवेशियों की रखवाली कर रहे हैं। समाज सेवी राजीव राठौर ने वन विभाग से हर समय अलर्ट रहने की बात कही है।
इनका कहना--- चंबल किनारे के गांवों को हाइअलर्ट कर दिया गया है। बाह, जैतपुर व पिनाहट की स्वास्थ्य विभाग की टीम को प्रभावित गांवों में कैम्प लगा कर मरीजों को इलाज देने के निर्देश दिए हैं। वन विभाग को भी गांवों में जलीय जीव के घुस जाने पर तुरंत मदद के लिए पहुंचने के सख्त निर्देश दिए हैं। मोहन प्रकाश, उपजिलाधिकारी बाह