- पूर्वोत्तर राज्यों और बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के प्रकोप के बाद दून में भी दहशत का माहौल

- दून हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने इमरजेंसी से निपटने को अलग वार्ड किया रिजर्व, डॉक्टर्स की सलाह लीची खाने से बचें

देहरादून,

पूर्वोत्तर राज्यों और बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) या चमकी बुखार के प्रकोप के बाद दून में भी दहशत का माहौल है। स्टेट गर्वनमेंट पहले ही इसको लेकर अलर्ट जारी कर चुकी है। इसके बाद दून हॉस्पिटल में इस बीमारी से निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। हॉस्पिटल में इसके लिए 21 बेड का सैपरेट वार्ड रिजर्व कर दिया गया है। इसके अलावा बीमारी की रोकथाम के लिए जरूरी मेडिसिन्स और अन्य सामग्री की डिमांड मेडिकल कॉलेज मैनेजमेंट कमेटी को भेजी गई है।

अलर्ट पर हेल्थ डिपार्टमेंट

स्टेट गवर्नमेंट ने थर्सडे को एईएस की आशंका को देखते हुए अलर्ट जारी किया था। सभी सीएमओ को एईएस से निपटने के लिए तैयारी के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद स्वास्थ्य महकमे ने भी इमरजेंसी से निपटने को एडवाइजरी जारी कर दी है। दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में इसके लिए 21 बेड के पीडियॉट्रिक वार्ड को एईएस केसेज के लिए रिजर्व किया है। इसके अलावा एईएस से निपटने के लिए एक पीडिया वेंटिलेटर, 2 इन्फ्यूजन पंप, 2 सक्शन मशीनकी डिमांड मेडिकल कॉलेज मैनेजमेंट के जरिये हेल्थ डायरक्ट्रेट को भेजी है। वार्ड और ओपीडी में पीडियॉट्रीशियन की ड्यूटी भी निर्धारित की गई है।

बाहर से आने वाले बच्चों पर नजर

गांधी आई हॉस्पिटल के सीनियर पीडियॉट्रीशियन डॉ। पीएस रावत ने बताया कि जिन क्षेत्रों में इस बीमारी का प्रकोप है, वहां से आने जाने वाले बच्चों पर नजर रखना जरूरीहै। इन्फेक्शन की वजह से अगर बच्चों में एईएस (चमकी बुखार) का असर नजर आए तो फिर यह संक्रामक हो सकती है। हालांकि, इस बीमारी की चेपट में ज्यादातर कुपोषित बच्चे आते हैं। कहा कि जिन इलाकों में मच्छरों का प्रकोप ज्यादा है उनपर भी फोकस करने की जरूरत है।

फिलहाल लीची से रहें दूर

सीनियर पीडियॉट्रीशियन डॉ। पीएस रावत का मानना है कि एईएस को लेकर अभी कई चीजों पर रिसर्च जारी है। खासकर लीची से इसके होने का खतरा है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी में शुगर लेवल को कंट्रोल रखना पड़ता है, ऐसे में केमिकल युक्त लीची से बचने की जरूरत है। डॉ। रावत ने कहा कि सुबह के समय लीची खाना ज्यादा खतरनाक हो सकता है। ऐसे में कम से कम सुबह के समय लीची से परहेज करें।

डेंगू व स्वाइन फ्लू का भी खतरा

बरसात शुरू होने से पहले ही दून में डेंगू व स्वाइन फ्लू का भी डर सताने लगा है। अभी तक स्वास्थ्य महकमे की ओर से इन खतरनाक बीमारियों को लेकर कोई खास इंतजाम नहीं किए गए हैं। शहर के किसी भी इलाके में साफ-सफाई का कोई खास ध्यान नहीं रखा जा रहा है। खासकर मच्छरों से निपटने को कोई प्लान नहीं है। दून हॉस्पिटल में डेंगू की जांच के लिए किट ही नहीं हैं, जबकि स्वाइन फ्लू की जांच के लिए सैंपल दिल्ली भेजे जाते हैं, अभी तक दून हॉस्पिटल में इसकी जांच का कोई इंतजाम नहीं है।

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किसी भी तरह की इमरजेंसी से निपटने के लिए एहतियाती कदम उठाए गए हैं। एईएस के लिए अलग से वार्ड रिजर्व करने के अलावा जरूरी उपकरण और मेडिसिन्स की डिमांड भेज दी गई है। स्टाफ की कमी को भी किया जाएगा।

डॉ। केके टम्टा, एमएस, दून हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive