- सर्दियों के मुकाबले गर्मियों में बदलें दवाओं की डोज

- ब्लड प्रेशर, यूरीन, हार्ट की बीमारी से परेशान लोगों के लिए है जरूरी

Meerut : अगर आप भी किसी बीमारी से ग्रस्त हैं और लगातार दवाइयों का सेवन कर रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए है। क्योंकि जो दवाई आप सर्दियों में ले रहे थे, हो सकता है उसे आपको गर्मी में चेंज करना पड़े। डॉक्टरों की मानें तो सर्दियों की तुलना गर्मियों में शरीर ज्यादा एक्टिव और कंट्रोल में रहता है। साथ ही लाइफ स्टाइल और खानपान भी अलग हो जाता है। इससे बॉडी की फिजियोलॉजी भी बदल जाती है। ऐसे में कई बिमारियों में लोगों को दवा का डोज बदलना पड़ सकता है।

तो ये है अंतर

दरअसल, सर्दी की तुलना गर्मी में बॉडी की फिजियोलॉजी चेंज होने से बॉडी की मांग भी बदल जाती है। गर्मी में बॉडी की जरूरत कम हो जाती है। मौसम का असर बॉडी पर पड़ता है।

हार्ट प्रॉब्लम है तो

सर्दी में नसों में सिकुड़न हो जाती है। इससे हार्ट को ब्लड प्रेशर बनाए रखने के लिए ज्यादा पंप करना पड़ता है। इसका सीधा मतलब है कि हार्ट को ज्यादा काम करना पड़ता है। इसीलिए दवा का डोज ज्यादा चाहिए। गर्मी में नसें चौड़ी हो जाती हैं, तो ब्लड फ्लो बेहतर होता है। ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के लिए हार्ट को उतनी मेहनत हीं करनी पड़ती है। इस स्थिति में हार्ट को उतनी दवा की जरूरत नहीं होती, जितनी सर्दियों में होती थी। इसीलिए डोज में बदलाव जरूरी है।

यूरिन की समस्या है अगर

कोई पेशेंट यूरिन की समस्या से पीडि़त है और वह दवा ले रहा है, तो सर्दी के मुकाबले गर्मी में कम दवा लेनी चाहिए। गर्मी में टेंप्रेचर बढ़ते ही लोग पानी ज्यादा पीने लगते हैं। हैवी खाना लेने की जगह लिक्विड ज्यादा लेते हैं, तो निश्चित तौर से इसका असर पड़ता है। पानी ज्यादा पीने से यूरिन की समस्या कुछ हद तक दूर हो जाती है। ऐसे में डोज में बदलाव तो करना ही होगा।

ब्लड प्रेशर की परेशानी

ब्लड प्रेशर के शिकार मरीजों को गर्मियों में पसीना बहुत आता है। साथ ही बॉडी से पसीने के साथ नमक भी बाहर निकलता है। हाई बीपी वाले पेशेंट को कम नमक खाना चाहिए। ऐसी स्थिति में दवा का डोज चेंज करना पड़ता है।

ये भी है कारण

सर्दी में हवा में नमी ज्यादा होती है, जो अस्थमा और एलर्जी की समस्या बढ़ा देती है। गर्मी में लोग सुबह जल्दी उठते हैं और हैवी खाना कम खाते हैं, लिक्विड ज्यादा लेते हैं। ब्रेकफास्ट, लंच और डीनर का टाइम सर्दी से अलग हो जाता है। एक्सरसाइज और वाकिंग के लिए लोग ज्यादा निकलते हैं। इसकी वजह से बॉडी स्ट्रांग हो जाती है और दवा की जरूरत कम पड़ती है।

सर्दियों के मुकाबले गर्मियों में दवाईयों के डोज में चेंज आता है। बॉडी का एटमोस्फेयर चेंज होता है, उसके मुताबिक ही डोज भी चेंज की जाती है।

डॉ। प्रदीप गौड़, फिजिशियन

जो दवाइयां सर्दियों में काम करती हैं, उन्हें गर्मियों में नहीं दिया जा सकता है। कई दवाइयां गर्मियों में स्कीन को नुकसान भी पहुंचा सकती है, इसीलिए डोज में चेंज करना पड़ता है।

डॉ। विवेक जैन, स्कीन स्पेशलिस्ट

Posted By: Inextlive